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मस्जिद प्रकरणः प्रशिक्षु आईएएस की कार्रवाई की जांच करेगा पर्सनल एवं ट्रेनिंग विभाग

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Published : Jun 6, 2021, 9:26 AM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मस्जिद गिराने के प्रकरण में शिकायत की गई है. अब मामले की जांच पर्सनल एवं ट्रेनिंग विभाग करेगा.

बाराबंकी
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बाराबंकीः जिले में स्थित वर्षों पुरानी मस्जिद को जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्त करा दिए जाने को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधि विरुद्ध करार दिया है. पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य का आरोप है कि मस्जिद गिराए जाने का जो आदेश जॉइन्ट मजिस्ट्रेट ने पारित किया था, वे उसके लिए सक्षम ही नहीं थे, लिहाजा उनका आदेश शून्य है. पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य द्वारा की गई शिकायत पर पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग की निदेशक पूरे प्रकरण की जांच करेंगी.

बाराबंकी में मस्जिद प्रकरण
जॉइन्ट मजिस्ट्रेट द्वारा की गई कार्रवाई की होगी जांचभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कौंसिल के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को गिराने का आदेश देने वाले प्रशिक्षु आईएएस तत्कालीन जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल के खिलाफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग में लिखित शिकायत भेजकर पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है .सदस्य राज्य कौंसिल द्वारा की गई इस शिकायत की जांच पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग की निदेशक आईएएस नीला मोहनन करेंगी.क्या है मामलाबताते चलें कि रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज में स्थित गरीब नवाज मस्जिद जिसे तहसील वाली मस्जिद भी कहा जाता था, उस मस्जिद को जिला प्रशासन ने अवैध मानते हुए बीती 17 मई शाम को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जेसीबी लगाकर ध्वस्त करा दिया था. रातों-रात मलबा भी उठवा दिया था. इस कार्रवाई के बाद जिले ही नहीं राजधानी लखनऊ तक भूचाल आ गया था. स्थानीय लोगों ने इसे प्रशासन की मनमानी और ज्यादती करार दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद वक्फ बोर्ड में दर्ज है. इस मामले की एक रिट भी न्यायालय में की गई थी लेकिन प्रशासन ने बिना सुनवाई के मस्जिद ध्वस्त करा दी.सुन्नी वक्फबोर्ड में दर्ज है मस्जिद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी का कहना है कि मस्जिद को गिराना सीधे तौर पर हाईकोर्ट की अवहेलना है. उन्होंने कहा कि मस्जिद की लोकल कमेटी हाईकोर्ट गई थी लेकिन बिना कोई नोटिस दिए एसडीएम ने ऑर्डर पास कर अपने ऑर्डर की तामील कराकर मस्जिद को ध्वस्त करा दिया. यही नहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड और लोकल लोगों ने हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें 24 अप्रैल को हाईकोर्ट ने एक रिट की सुनवाई करते हुए सरकारी संपत्तियों पर बने किसी भी धार्मिक निर्माण पर कोविड महामारी को देखते हुए 31 मई तक किसी तरह की कार्रवाई न करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके जिला प्रशासन ने कोर्ट की अवहेलना करके 17 मई को रातों रात मस्जिद को गिरा दिया.

33 सीआरपीसी के तहत हुई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई
प्रशासन का कहना है कि इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ द्वारा रिट याचिका संख्या 7948 एमवी ऑफ 2021 में पारित आदेश के क्रम में पक्षकारों का प्रत्यावेदन दिनांक 2 अप्रैल को निस्तारित करने पर यह तथ्य सिद्ध हुआ कि ये आवासीय निर्माण अवैध था. इस आधार पर उप जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय रामसनेहीघाट पर न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत वाद योजित किया गया था. इस प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारित आदेश का मौके पर अनुपालन कराया गया. जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल ने धारा 133 सीआरपीसी के तहत आदेश पारित कर मस्जिद को ध्वस्त करा दिया .

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे विधि विरुद्ध बताया
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे विधि विरुद्ध बताया.पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जॉइन्ट मजिस्ट्रेट प्रशिक्षु आईएएस थे और धारा 133 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने और आदेश पारित करने के लिए वे सक्षम ही नहीं थे, लिहाजा उनका आदेश शून्य था. ऐसे में मस्जिद ध्वस्त करने की कार्रवाई गलत हुई है.

जॉइन्ट मजिस्ट्रेट के सक्षम न होने का दिया हवाला
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने सीडीएसयूपी एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन नैनीताल की गाइडलाइंस हवाला दिया. उन्होंने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार सीधी भर्ती से आए केवल वही प्रशासनिक सेवा के आईएएस और पीसीएस अधिकारी उपखंड के भार साधक कलेक्टर अथवा परगनाधिकारी नियुक्त किये जा सकते हैं, जिन्होंने कम से कम तीन माह की सेवा पूरी कर ली हो और विभागीय परीक्षा का प्रथम भाग सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लिया हो.

नियम विरुद्ध कर दी जाती है नियुक्ति
रणधीर सिंह सुमन ने आरोप लगाया कि कुछ जिलों में ऐसे अधिकारियों को भी परगना अधिकारी अथवा अतिरिक्त परगना अधिकारी नियुक्त कर दिया जाता है जो केवल सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी में है .ऐसी नियुक्ति विधिक नहीं है और यदि ऐसे नियुक्त किए गए अधिकारियों द्वारा किसी वाद में अथवा न्यायिक कार्य में कोई आदेश पारित किया जाता है जिसके लिए वह सक्षम नहीं थे तो यह आदेश शून्य होगा.

इसे भी पढ़ेंः यूपी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, राधा मोहन सिंह आज राज्यपाल से करेंगे मुलाकात !

प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग को भेजी शिकायत
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने के लिए प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग को लिखित शिकायत भेजी थी. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रशिक्षु आईएएस जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल ने धारा 133 सीआरपीसी के तहत मस्जिद को गिरवा दिया. उनके इस कृत्य से विधि के शासन का कोई मतलब नहीं रह गया है.

बाराबंकीः जिले में स्थित वर्षों पुरानी मस्जिद को जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्त करा दिए जाने को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधि विरुद्ध करार दिया है. पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य का आरोप है कि मस्जिद गिराए जाने का जो आदेश जॉइन्ट मजिस्ट्रेट ने पारित किया था, वे उसके लिए सक्षम ही नहीं थे, लिहाजा उनका आदेश शून्य है. पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य द्वारा की गई शिकायत पर पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग की निदेशक पूरे प्रकरण की जांच करेंगी.

बाराबंकी में मस्जिद प्रकरण
जॉइन्ट मजिस्ट्रेट द्वारा की गई कार्रवाई की होगी जांचभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कौंसिल के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को गिराने का आदेश देने वाले प्रशिक्षु आईएएस तत्कालीन जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल के खिलाफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग में लिखित शिकायत भेजकर पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है .सदस्य राज्य कौंसिल द्वारा की गई इस शिकायत की जांच पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग की निदेशक आईएएस नीला मोहनन करेंगी.क्या है मामलाबताते चलें कि रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज में स्थित गरीब नवाज मस्जिद जिसे तहसील वाली मस्जिद भी कहा जाता था, उस मस्जिद को जिला प्रशासन ने अवैध मानते हुए बीती 17 मई शाम को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जेसीबी लगाकर ध्वस्त करा दिया था. रातों-रात मलबा भी उठवा दिया था. इस कार्रवाई के बाद जिले ही नहीं राजधानी लखनऊ तक भूचाल आ गया था. स्थानीय लोगों ने इसे प्रशासन की मनमानी और ज्यादती करार दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद वक्फ बोर्ड में दर्ज है. इस मामले की एक रिट भी न्यायालय में की गई थी लेकिन प्रशासन ने बिना सुनवाई के मस्जिद ध्वस्त करा दी.सुन्नी वक्फबोर्ड में दर्ज है मस्जिद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी का कहना है कि मस्जिद को गिराना सीधे तौर पर हाईकोर्ट की अवहेलना है. उन्होंने कहा कि मस्जिद की लोकल कमेटी हाईकोर्ट गई थी लेकिन बिना कोई नोटिस दिए एसडीएम ने ऑर्डर पास कर अपने ऑर्डर की तामील कराकर मस्जिद को ध्वस्त करा दिया. यही नहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड और लोकल लोगों ने हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें 24 अप्रैल को हाईकोर्ट ने एक रिट की सुनवाई करते हुए सरकारी संपत्तियों पर बने किसी भी धार्मिक निर्माण पर कोविड महामारी को देखते हुए 31 मई तक किसी तरह की कार्रवाई न करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके जिला प्रशासन ने कोर्ट की अवहेलना करके 17 मई को रातों रात मस्जिद को गिरा दिया.

33 सीआरपीसी के तहत हुई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई
प्रशासन का कहना है कि इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ द्वारा रिट याचिका संख्या 7948 एमवी ऑफ 2021 में पारित आदेश के क्रम में पक्षकारों का प्रत्यावेदन दिनांक 2 अप्रैल को निस्तारित करने पर यह तथ्य सिद्ध हुआ कि ये आवासीय निर्माण अवैध था. इस आधार पर उप जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय रामसनेहीघाट पर न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत वाद योजित किया गया था. इस प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारित आदेश का मौके पर अनुपालन कराया गया. जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल ने धारा 133 सीआरपीसी के तहत आदेश पारित कर मस्जिद को ध्वस्त करा दिया .

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे विधि विरुद्ध बताया
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे विधि विरुद्ध बताया.पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जॉइन्ट मजिस्ट्रेट प्रशिक्षु आईएएस थे और धारा 133 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने और आदेश पारित करने के लिए वे सक्षम ही नहीं थे, लिहाजा उनका आदेश शून्य था. ऐसे में मस्जिद ध्वस्त करने की कार्रवाई गलत हुई है.

जॉइन्ट मजिस्ट्रेट के सक्षम न होने का दिया हवाला
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कौंसिल सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने सीडीएसयूपी एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन नैनीताल की गाइडलाइंस हवाला दिया. उन्होंने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार सीधी भर्ती से आए केवल वही प्रशासनिक सेवा के आईएएस और पीसीएस अधिकारी उपखंड के भार साधक कलेक्टर अथवा परगनाधिकारी नियुक्त किये जा सकते हैं, जिन्होंने कम से कम तीन माह की सेवा पूरी कर ली हो और विभागीय परीक्षा का प्रथम भाग सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लिया हो.

नियम विरुद्ध कर दी जाती है नियुक्ति
रणधीर सिंह सुमन ने आरोप लगाया कि कुछ जिलों में ऐसे अधिकारियों को भी परगना अधिकारी अथवा अतिरिक्त परगना अधिकारी नियुक्त कर दिया जाता है जो केवल सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी में है .ऐसी नियुक्ति विधिक नहीं है और यदि ऐसे नियुक्त किए गए अधिकारियों द्वारा किसी वाद में अथवा न्यायिक कार्य में कोई आदेश पारित किया जाता है जिसके लिए वह सक्षम नहीं थे तो यह आदेश शून्य होगा.

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प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग को भेजी शिकायत
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने के लिए प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग को लिखित शिकायत भेजी थी. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रशिक्षु आईएएस जॉइन्ट मजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल ने धारा 133 सीआरपीसी के तहत मस्जिद को गिरवा दिया. उनके इस कृत्य से विधि के शासन का कोई मतलब नहीं रह गया है.

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