लखनऊ: बाराबंकी जनपद के रामसनेही घाट तहसील परिसर में स्थित रही मस्जिद के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अंतरिम राहत पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर मस्जिद वाले स्थान पर अजान और पांच वक्त नमाज पढ़ने में दखल न दिये जाने की मांग की गई है.
- 17 मई को ध्वस्त किया गया था मस्जिद
- मस्जिद वाले स्थान पर नमाज पढ़ने में दखल न देने की सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की मांग
- वक्फ बोर्ड ने याचिका दाखिल कर मस्जिद को गिराए जाने को दी है चुनौती
- वक्फ बोर्ड की याचिका पर हाईकोर्ट ने किया अपना आदेश सुरक्षित रखा
बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि उक्त मस्जिद सौ साल पुरानी थी. बोर्ड की दलील है कि उसके रिकॉर्ड में उक्त मस्जिद वर्ष 1968 से ही दर्ज थी. याचिका में रामसनेही घाट के एसडीएम पर मनमाने तरीके से कार्रवाई करते हुए, मस्जिद को 17 मई को ध्वस्त करवाने का आरोप लगाया गया है. याचिका में एसडीएम को दंडित करने का आदेश राज्य सरकार को देने की भी मांग की गई है.
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याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि मस्जिद कमेटी को बकायदा नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कमेटी की ओर से जवाब ही नहीं दिया गया. वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा याचिका दाखिल करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया. हालांकि राज्य सरकार के अधिवक्ता ने सरकार से निर्देश न प्राप्त हो पाने के कारण समय दिये जाने की मांग की. न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही अंतरिम राहत की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.