बाराबंकी: जिले को खुले में शौच मुक्त कराने में योगदान देने वाले करीब एक हजार स्वच्छाग्रही सिस्टम से नाराज हैं. काम करने के बावजूद भी भुगतान न दिए जाने से दुखी जिले के स्वच्छाग्रहियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. स्वच्छाग्रहियों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे.
स्वच्छाग्रहियों का धरना प्रदर्शन
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर गांव में एक स्वच्छाग्रही की नियुक्ति की गई थी.
- इनका काम था कि गांवों में जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करें, साथ ही शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करें.
- इन स्वच्छाग्रहियों ने पीएम मोदी के इस मिशन को आगे बढ़ाया.
- नियुक्ति के समय इनसे कहा गया था कि हर सर्वे पर इन्हें 200 रुपये दिए जाएंगे.
- शौचालय के लिए प्रेरित करने पर शौचालय निर्माण के समय 75 रुपये और निर्माण के बाद उसका प्रयोग शुरू होने पर 75 रुपये दिए जाने का वादा किया गया था.
- गांव 'खुले में शौच मुक्त घोषित' हो जाने पर इनको 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने की भी बात कही गई थी.
- आंदोलनकारी स्वच्छाग्रहियों ने कहा कि वर्ष 2017 से आज तक उनको कुछ भी भुगतान नहीं किया गया.
- उन्होंने कहा कि जिले की सभी 1166 ग्राम पंचायतें 'खुले में शौच मुक्त' हो चुकी हैं, लेकिन इनको भुगतान नहीं किया गया.
पीएम मोदी और सीएम योगी की मंशा को हम लोगों ने अपनी जिम्मेदारी समझकर पूरा किया, लेकिन हमारी तरफ किसी का ध्यान नहीं है.
- विनोद कुमार, पीड़ित स्वच्छाग्रही
सुबह सवेरे उठकर गांवों में जाकर महिलाओं को शौचालय के लिए न केवल प्रेरित किया बल्कि शौचालय निर्माण भी करवाया, लेकिन किसी ने हमारी मेहनत पर ध्यान नहीं दिया. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम क्रमिक धरना करते रहेंगे.
- फूलमती, महिला स्वच्छाग्रही
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