बाराबंकी: अधिकारियों की उपेक्षा से नाराज राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है. इस दौरान कर्मचारियों ने विकास भवन के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का आरोप है कि मिशन से जुड़े उच्चाधिकारी सरकार की छवि खराब करने में लगे हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि आदेश होने के बावजूद पिछले कई वर्षों से न तो उनके वेतन में वृद्धि की गई और न ही उनको स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा जबकि पीएम मोदी की ये महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसके जरिये मिशन कर्मचारी गांव गांव महिला समूहों का गठन कराकर उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. आंदोलित कर्मचारियों ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी न की गईं तो उनके इस आंदोलन में समूह की महिलाएं भी शामिल हो जाएंगी.
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े कर्मचारियों के मुताबिक प्रदेश में कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में वर्ष 2016 में 12 वीं शासी निकाय की बैठक हुई थी, जिसमें मॉडल मानव संसाधन नियमावली बनाई गई थी. इसके तहत 7 प्रतिशत वेतन में वार्षिक वृद्धि, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा का लाभ समस्त मिशन स्टाफ को प्रदान किये जाने के लिए अनुमोदन हुआ. इसी वर्ष 2022 के अप्रैल माह में कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में 18वीं शासी निकाय की बैठक फिर हुई. जिसमें नवम्बर 2015 से 07 प्रतिशत की वेतन वृद्धि को फिर से अनुमोदित किया गया. राज्य स्तर के कर्मचारियों को तो इसका लाभ मिल गया, लेकिन आदेश के बावजूद अभी तक जिला स्तर के कर्मचारियों को इसका लाभ नही मिला.
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आक्रोशित कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि राज्य मिशन मुख्यालय के कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा जानबूझकर वर्तमान सरकार की छवि खराब करने के लिए इस प्रकार का कृत्य किया जा रहा है. वेतन वृद्धि और स्वास्थ्य जीवन बीमा इन दो प्रमुख मांगों के अलावा भी कर्मचारियों की कई मांगे हैं.
कर्मचारियों का आरोप है कि आजीविका मिशन में कम्प्यूटर ऑपरेटर के अतिरिक्त किसी भी कर्मचारी के लिए ईपीएफ का प्रावधान आज तक नहीं किया गया. कर्मचारियों की मांग है कि पहले की तरह संविदा पर ही नियुक्ति प्रक्रिया हो, आउट सोर्सिंग व्यवस्था खत्म की जाए. मिशन मुख्यालय में दूसरी योजना से आए दागी कर्मचारियों को तुरंत हटाया जाए. जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक नई भर्ती न की जाए.
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