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नौ महीने बाद आयोजित हुई मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत - बाराबंकी में उमड़ी भीड़

यूपी के बाराबंकी में शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया. कोरोना के बाद से यह अदालत लगभग नौ महीने बाद आयोजित हुई है. लोक अदालत में जनता के मामलों की सुनवाई की गई.

नौ महीने बाद आयोजित हुई मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत
नौ महीने बाद आयोजित हुई मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत
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Published : Dec 12, 2020, 7:57 PM IST

Updated : Dec 21, 2020, 10:38 AM IST

बाराबंकीः कोविड के चलते फिजिकली रूप से बंद चल रही राष्ट्रीय लोक अदालत का करीब नौ महीने बाद शनिवार को आयोजन किया गया. इस मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा वादों का निस्तारण कर एक रिकॉर्ड बनाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पहले से ही वादकारियों को शत प्रतिशत नोटिसें तामील कराई थीं. यही वजह रही कि लोक अदालत में जबरदस्त भीड़ दिखी. ज्यादातर भीड़ बैंकों के काउंटर्स पर नजर आई.

95 फीसदी से ज्यादा नोटिसों को तामील कराया गया.

पिछली लोक अदालत की गिनाईं उपलब्धियां
इससे पहले लोक अदालत की उपयोगिता को लेकर एक आयोजन किया गया था. जिसमें जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों समेत सभी न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे. इस मौके पर प्राधिकरण सचिव ने पिछली लोक अदालत की उपलब्धियां बताईं. वादकारियों की भीड़ से उत्साहित जनपद न्यायाधीश ने कहा कि इस बार की लोक अदालत पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी.

फरवरी में हुई थी अंतिम लोक अदालत
पिछली राष्ट्रीय लोक अदालत फरवरी में आयोजित की गई थी. अदालत में 26,530 मामलों का निस्तारण करते हुए कुल 07 करोड़ 23 लाख 81 हजार 399 रुपये का अर्थदंड वसूला गया था. तहसील और राजस्व न्यायालयों में 13,189 बैंकों के कुल 863 और चिकित्सा विभाग के 9,124 मामले निस्तारित किये गए थे.

नौ महीने बाद हुआ आयोजन
कोविड-19 के दौरान फिजिकल तौर पर कोई भी लोक अदालत का आयोजन नहीं हो सका. स्थितियों में सुधार को देखते हुए करीब नौ महीने बाद शनिवार को मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने इसको लेकर पहले से ही तैयारी कर ली थी. वाद करियों को नोटिसों का निस्तारण कराने के लिए प्राधिकरण ने काफी प्रयास किये जिसका नतीजा रहा कि 95 फीसदी से ज्यादा नोटिसों को तामील कराया गया.

विषयमामले
बैंक23048
तहसील एवं राजस्व13419
अन्य विभाग1366
वैवाहिक 27
एमएसीटी 12
दीवानी 73
एनआई एक्ट22
शमनीय अपराध4424

क्या है लोक अदालत
जनता को त्वरित और कम खर्च पर न्याय दिलाने के उद्देश्य से लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है. सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन वर्ष 1982 में गुजरात मे किया गया था.वर्ष 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया.

क्या हैं लाभ

  1. कोर्ट फीस से बचत.
  2. वकील की आवश्यकता नहीं होती.
  3. मामले का निपटारा तुरंत होता है.
  4. लोक अदालत का फैसला अंतिम फैसला होता है.
  5. फैसले के विरुद्ध कहीं अपील नहीं होती.

बाराबंकीः कोविड के चलते फिजिकली रूप से बंद चल रही राष्ट्रीय लोक अदालत का करीब नौ महीने बाद शनिवार को आयोजन किया गया. इस मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा वादों का निस्तारण कर एक रिकॉर्ड बनाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पहले से ही वादकारियों को शत प्रतिशत नोटिसें तामील कराई थीं. यही वजह रही कि लोक अदालत में जबरदस्त भीड़ दिखी. ज्यादातर भीड़ बैंकों के काउंटर्स पर नजर आई.

95 फीसदी से ज्यादा नोटिसों को तामील कराया गया.

पिछली लोक अदालत की गिनाईं उपलब्धियां
इससे पहले लोक अदालत की उपयोगिता को लेकर एक आयोजन किया गया था. जिसमें जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों समेत सभी न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे. इस मौके पर प्राधिकरण सचिव ने पिछली लोक अदालत की उपलब्धियां बताईं. वादकारियों की भीड़ से उत्साहित जनपद न्यायाधीश ने कहा कि इस बार की लोक अदालत पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी.

फरवरी में हुई थी अंतिम लोक अदालत
पिछली राष्ट्रीय लोक अदालत फरवरी में आयोजित की गई थी. अदालत में 26,530 मामलों का निस्तारण करते हुए कुल 07 करोड़ 23 लाख 81 हजार 399 रुपये का अर्थदंड वसूला गया था. तहसील और राजस्व न्यायालयों में 13,189 बैंकों के कुल 863 और चिकित्सा विभाग के 9,124 मामले निस्तारित किये गए थे.

नौ महीने बाद हुआ आयोजन
कोविड-19 के दौरान फिजिकल तौर पर कोई भी लोक अदालत का आयोजन नहीं हो सका. स्थितियों में सुधार को देखते हुए करीब नौ महीने बाद शनिवार को मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने इसको लेकर पहले से ही तैयारी कर ली थी. वाद करियों को नोटिसों का निस्तारण कराने के लिए प्राधिकरण ने काफी प्रयास किये जिसका नतीजा रहा कि 95 फीसदी से ज्यादा नोटिसों को तामील कराया गया.

विषयमामले
बैंक23048
तहसील एवं राजस्व13419
अन्य विभाग1366
वैवाहिक 27
एमएसीटी 12
दीवानी 73
एनआई एक्ट22
शमनीय अपराध4424

क्या है लोक अदालत
जनता को त्वरित और कम खर्च पर न्याय दिलाने के उद्देश्य से लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है. सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन वर्ष 1982 में गुजरात मे किया गया था.वर्ष 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया.

क्या हैं लाभ

  1. कोर्ट फीस से बचत.
  2. वकील की आवश्यकता नहीं होती.
  3. मामले का निपटारा तुरंत होता है.
  4. लोक अदालत का फैसला अंतिम फैसला होता है.
  5. फैसले के विरुद्ध कहीं अपील नहीं होती.
Last Updated : Dec 21, 2020, 10:38 AM IST
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