बाराबंकीः विश्व मलेरिया दिवस हर वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन मलेरिया से रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग आयोजन करता था, लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते कोई भी आयोजन नहीं हुआ. मच्छर से फैलने वाला यह रोग भी बड़ा खतरनाक है.
हर वर्ष मानसून शुरू होते ही जिले का मलेरिया विभाग सक्रिय हो जाता है. पूरे जिले में अभियान चलाकर विभाग के कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों के रक्त से स्लाइड तैयार करते हैं. पिछले वर्ष जिले में 52,213 स्लाइड तैयार कर उनका परीक्षण किया गया था, जिनमें से 46 केस पॉजिटिव पाए गए थे.
क्या है मलेरिया?
सीएमओ डॉ. रमेश चन्द्रा ने बताया कि मलेरिया को जानलेवा बीमारी माना जाता है. हालांकि लगातार चलाये जा रहे अभियानों के चलते मलेरिया के मरीजों की संख्या का ग्राफ साल दर साल गिरता जा रहा है. यही नहीं इससे होने वाली मौतों में भी 40 फीसदी तक गिरावट आई है. मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है. मच्छर के काटने के 10 से 15 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें बुखार, सरदर्द और कंपकंपी लगती है.
उपचार
मच्छरदानी का प्रयोग और कीटनाशक छिड़काव से मच्छरों के प्रकोप को कम किया जा सकता है. पानी का गड्ढों में जमाव न होना और साफ सफाई से इन मच्छरों के प्रकोप से बचा जा सकता है. कूलर के पानी को बदलते रहना चाहिये और घर के आस-पास झाड़ियों को नहीं पनपने देना चाहिए.
कब से मनाया जाता है विश्व मलेरिया दिवस
वर्ष 2007 से मलेरिया दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई, जिसका मकसद है कि लोग मलेरिया के अस्तित्व को पहचानें और इसके प्रति जागरूक रहें.