बाराबंकी: करीब 3 साल पहले सगे भाई की हत्या के मामले में अदालत ने आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-4 कमलकांत श्रीवास्तव ने सुनाया है.
एडीजीसी क्रिमिनल मथुरा प्रसाद वर्मा ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि घुघटेर थाना क्षेत्र के धौरहरा गांव के रहने वाले वादी राजकुमार ने 17 मार्च 2020 को थाने में तहरीर देकर बताया कि उसके पिता अयोध्या ने घुघटेर चौराहे पर टिम्बर की दुकान खोल रखी थी. इसी दुकान के बंटवारे को लेकर उसके पिता अयोध्या और चाचा शिवशंकर से पिलर डालने को लेकर जमीनी विवाद चल रहा था. इसी रंजिश को लेकर 17 मार्च 2020 को शाम करीब 5.20 बजे दोनों भाइयों में विवाद होने लगा. तभी शिवशंकर ने फावड़े से मार-मार कर मेरे पिता अयोध्या की हत्या कर दी.
एडीजीसी क्रिमिनल के मुताबिक मृतक के पुत्र वादी राजकुमार की तहरीर पर शिवशंकर के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की गई. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य संकलित कर आरोपी शिवशंकर के विरुद्ध न्यायालय में 302 आईपीसी के तहत चार्जशीट फाइल की गई. मामले में अभियोजन द्वारा ठोस गवाह पेश किए गए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए. गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-4 कमलकांत श्रीवास्तव ने आरोपी शिवशंकर को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
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