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बाराबंकी: घाघरा नदी में बढ़ता कटान, जलमग्न हुए कई गांव

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Published : Sep 22, 2019, 7:34 AM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में घाघरा नदी में जलस्तर बढ़ने से कटान बढ़ता जा रहा है. कटान बढ़ने से पीएम आवास योजना के तहत मिले मकान भी नदी में समा गए हैं, जिसने गरीब लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं.

बाढ़ में ढहे पीएम आवास योजना के तहत मिले मकान.

बाराबंकी: जिले में पिछले तीन महीने से लगातार घाघरा नदी का कहर जारी है. नदी में जलस्तर बढ़ने से कटान और बढ़ता जा रहा है. बढ़ते कटान से जहां पहले से ही कई गांव जलमग्न हो चुके हैं, वहीं अब तेलवारी गांव के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवास भी नदी में समा गए हैं, जिसने गरीब बाढ़ पीड़ितों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं.

बाढ़ में ढहे पीएम आवास योजना के तहत मिले मकान.

जिले ही नहीं बल्कि जहां-जहां से घाघरा नदी होकर गुजरती हैं. आसपास के इलाकों में तबाही करने के लिए ही जानी जाती हैं. बाढ़ तो हर बार आती है, लेकिन इस बार नदी जिले के कुछ गांवों के लिए अभिशाप साबित हुई है.

यह भी पढ़ें:- वाराणसी: गंगा का जलस्तर बढ़ने से सड़क पर होने लगी आरती

टेपरा गांव, सनावा गांव, तेलवारी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गांवों में शामिल है. गांवों के लोगों को पीएम आवास योजना के तहत मिले घर भी नदी में समा गए हैं. वहीं, कटान के कारण इनकी पूरी खेती समाप्त हो चुकी है. अब इनके पास खाने को भी नहीं बचा है. प्रशासनिक स्तर पर जो कुछ भी लोगों को भेजा जा रहा है. उसी पर लोग जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें:- मिर्जापुर: पानी में गिरने से बाल बाल बचीं अनुप्रिया पटेल, नाव से उतरते समय हुआ हादसा


प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिले थे, जो नदी में डूब गए हैं.
-चदाना, बाढ़ पीड़ित

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिला था. वो भी बाढ़ में बह गया है. बस एक डर के साथ जीवन जी रहे हैं
-सीतापति, बाढ़ पीड़ित

यहां रहने में डर लगता है, लेकिन हम अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहते हैं.
-शिव देवीश्री, बाढ़ पीड़ित बच्ची

बाराबंकी: जिले में पिछले तीन महीने से लगातार घाघरा नदी का कहर जारी है. नदी में जलस्तर बढ़ने से कटान और बढ़ता जा रहा है. बढ़ते कटान से जहां पहले से ही कई गांव जलमग्न हो चुके हैं, वहीं अब तेलवारी गांव के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवास भी नदी में समा गए हैं, जिसने गरीब बाढ़ पीड़ितों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं.

बाढ़ में ढहे पीएम आवास योजना के तहत मिले मकान.

जिले ही नहीं बल्कि जहां-जहां से घाघरा नदी होकर गुजरती हैं. आसपास के इलाकों में तबाही करने के लिए ही जानी जाती हैं. बाढ़ तो हर बार आती है, लेकिन इस बार नदी जिले के कुछ गांवों के लिए अभिशाप साबित हुई है.

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टेपरा गांव, सनावा गांव, तेलवारी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गांवों में शामिल है. गांवों के लोगों को पीएम आवास योजना के तहत मिले घर भी नदी में समा गए हैं. वहीं, कटान के कारण इनकी पूरी खेती समाप्त हो चुकी है. अब इनके पास खाने को भी नहीं बचा है. प्रशासनिक स्तर पर जो कुछ भी लोगों को भेजा जा रहा है. उसी पर लोग जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिले थे, जो नदी में डूब गए हैं.
-चदाना, बाढ़ पीड़ित

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिला था. वो भी बाढ़ में बह गया है. बस एक डर के साथ जीवन जी रहे हैं
-सीतापति, बाढ़ पीड़ित

यहां रहने में डर लगता है, लेकिन हम अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहते हैं.
-शिव देवीश्री, बाढ़ पीड़ित बच्ची

Intro: बाराबंकी 21 सितंबर। पिछले दिनों लगातार हो रही बारिश और घाघरा की कटान ने बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. जहां पहले से ही घाघरा नदी की कटान ने कई गांव निगल लिए, वहीं अब भी घाघरा नदी की कटान का कहर जारी है. पिछले कई सालों से रहने वाले लोगों के घर और पेड़ तक भी घाघरा नदी के इस कहर से नहीं बच सके. बच्चों को स्कूल जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिले के तेलवारी गांव में स्कूल में भी पानी भर गया है, और गांव के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले हुए घर भी घाघरा नदी में बह गए. पहले से ही गरीब लोगों पर घाघरा नदी कहर बनकर टूटी है.


Body:पिछले 3 महीने से लगातार घाघरा नदी का कहर जारी है. बाराबंकी जिले ही नहीं बल्कि जहां-जहां से घाघरा नदी होकर गुजरती है आसपास के इलाकों में तबाही करने के लिए ही जानी जाती है. बाढ़ तो हर बार ही आती है , लेकिन इस बार घाघरा नदी जिले के कुछ गांवों के लिए अभिशाप साबित हुई है . जिनमें से टेपरा गांव, सनावा गांव, तेलवारी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गांवों में शामिल है. इन गांवों में कटान के कारण इनकी पूरी खेती समाप्त हो चुकी है. अब इनके पास खाने को भी नहीं बचा है. प्रशासनिक स्तर पर जो कुछ भी इन्हें भेजा जा रहा है , उसी पर यह लोग जीवन यापन करने को मजबूर हैं. लेकिन आखिर कब तक यह इस प्रकार से प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा दिए गए भोजन पर जीवन यापन करेंगे. और प्रशासन को कब तक इस तरह से राशन और व्यवस्था उपलब्ध कराएगा. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवास भी पानी में बह गए.
जब हमने तेलवारी गांव के कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि, उनके घर पूरी तरीके से घाघरा नदी में बह गए. बात करने के दौरान पानी में इशारा करते हुए दिखाया कि , उनका घर वहां पर था ,जहां पर अब तेजी के साथ पानी बह रहा है. इतना क्या कम था कि, जो उनके घास फूस के छप्पर थी ,वह भी अब कटान के करीब है.
एक छोटी बच्ची शिव देवी से जब हमने बात की तो उसने बताया कि, उसके उसके गांव का स्कूल पानी में डूब गया है. लेकिन गांव के बाहर का जो स्कूल है अब वहां वह जाती है. उसे वहां पढ़ाया भी जाता है. छोटी बच्ची ने बताया कि जब वह शाम को घर आती है तो, उसे बहुत डर लगता है लेकिन फिर भी वह अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहती है. पुलिस वाले आते हैं और वह कहते हैं कि घर छोड़कर बंधे पर चले जाओ. लेकिन फिर भी वह जाने से मना कर देती है. क्योंकि अपने घर से उसको लगाव है. उसका जो पक्का मकान था वह नदी की भेंट चढ़ चुका है .लेकिन जो अब घास फूस का ही बचा है, उस घर से भी उसको उतना ही प्यार है ,इसलिए वह छोड़कर नहीं जाना चाहती.


Conclusion:गरीबों की स्थिति देखने के बाद वास्तव में भयावह लगती है, और ऐसा लगता है कि वास्तव में जो कहा जाता है कि, घाघरा नदी उत्तर प्रदेश के घाघरा नदी से सटे हुए क्षेत्रों के लिए तबाही का स्वरूप है ,वह बिल्कुल सही भी लगता है. क्योंकि अभी जहां चंद महीनों पहले भरा पूरा गांव निवास करता था, सड़के बनी थी ,खड़ंजा लगा हुआ था, वहां अब केवल पानी और पानी है, वह भी तेज बहाव के साथ. अब आने वाले दिनों में भी यदि ग्रामीण वहां बस जाएंगे तो, उनके लिए समस्या टलेगी नहीं, बल्कि वह जस की तस बनी रहेगी. ऐसे में ग्रामीणों की इस भयानक समस्या का स्थाई समाधान करना नितांत आवश्यक है. इसके लिए प्रशासनिक तंत्र को कड़े प्रबंधन करने की जरूरत है.


bite -

1- श्रीमती चदाना ,(बाढ़ पीड़ित तेलवारी, गांव) इनके दोनों बेटों को प्रधानमंत्री आवास मिले थे दोनों कटान में बह गए.

2- श्रीमती सीतापति (बाढ़ पीड़ित, तेलवारी गांव) इनके बच्चे के प्रधानमंत्री आवास बह चुका हैं.


3- सुश्री शिव देवी, ( बाढ़ पीड़ित , पौत्री श्रीमती सीतापति, तेलवारी गांव)



रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907
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