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बाराबंकी: आर्थिक तंगी से हारा होमगार्ड, 6 महीने से वेतन न मिलने पर उठाया आत्महत्या का कदम

यूपी के बाराबंकी में जिलाधिकारी आवास में ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड के आर्थिक तंगी के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और होमगार्ड ने जिंदगी की बदहाली से तंग आकर आत्महत्या की कोशिश की. होमगार्ड को पिछले 7 महीने से मानदेय नहीं मिला है.

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बाराबंकी के होमगार्ड
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Published : Dec 6, 2019, 12:01 AM IST

बाराबंकी: सतरिख के सेठमऊ गांव निवासी होमगार्ड विजयसेन ने स्ट्रीट लाइट के पोल से रस्सी के सहारे लटककर जान देने की कोशिश की. जानकारी मिलते ही पुलिस ने होमगार्ड को नीचे उतारकर सीएचसी हैदरगढ़ पहुंचाया. होमगार्ड ने छह माह से मानदेय न मिलने की बात कही. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से परेशान है.

होमगार्ड विजयसेन का कहना है कि उन्हें जून से मानदेय नहीं मिला है. परिवार के भूखे रहने की नौबत आ गई है. फीस जमा न होने की वजह से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. जो जानवर पले हैं वो भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.

आर्थिक तंगी से जूझ रहा होमगार्ड का परिवार.

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होमगार्ड ने बताईं परेशानियां
होमगार्ड विजय सेन के मुताबिक उनकी ड्यूटी कानून व्यवस्था में जून माह से चल रही है. उनको दूर-दूर के थानों पर ड्यूटी के लिए पेट्रोल फूंककर जाना होता है. उनको जून माह से मानदेय नहीं मिला है. वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. मानदेय न मिलने से परिवार में भूखे रहने की नौबत है. बच्चों की स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही. उन्हें पढ़ने नहीं दिया जा रहा है. घर की हालत भी काफी खराब हो चुकी है. घर में जो जानवर पले हैं वह भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से सब तंग आ चुके हैं. इसके चलते उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.

होमगार्ड विजय सेन की पत्नी और बेटे ने भी बताया कि मानदेय न मिलने के चलते घर की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है. बेटे के मुताबिक उसके स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही है, जिसके चलते उसे वहां से भगा दिया जाता है.

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सहायक कमांडेंट होमगार्ड राम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि होमगार्डों का जो मानदेय बाकी है उसके लिए लगातार पत्रचार के माध्यम से शासन से बजट की मांग की जा रही है. उन्होंने बताया कि होमगार्डों की ड्यूटी साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई जाती है, इसलिए उनकी इच्छा के मुताबिक ड्यूटी लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि पीड़ित होमगार्ड को जल्द कोई सहायता दिलवाई जाए. साथ ही हम लोग भी व्यक्तिगत तौर पर चंदा इकट्ठा करके उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे.

बाराबंकी: सतरिख के सेठमऊ गांव निवासी होमगार्ड विजयसेन ने स्ट्रीट लाइट के पोल से रस्सी के सहारे लटककर जान देने की कोशिश की. जानकारी मिलते ही पुलिस ने होमगार्ड को नीचे उतारकर सीएचसी हैदरगढ़ पहुंचाया. होमगार्ड ने छह माह से मानदेय न मिलने की बात कही. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से परेशान है.

होमगार्ड विजयसेन का कहना है कि उन्हें जून से मानदेय नहीं मिला है. परिवार के भूखे रहने की नौबत आ गई है. फीस जमा न होने की वजह से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. जो जानवर पले हैं वो भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.

आर्थिक तंगी से जूझ रहा होमगार्ड का परिवार.

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होमगार्ड ने बताईं परेशानियां
होमगार्ड विजय सेन के मुताबिक उनकी ड्यूटी कानून व्यवस्था में जून माह से चल रही है. उनको दूर-दूर के थानों पर ड्यूटी के लिए पेट्रोल फूंककर जाना होता है. उनको जून माह से मानदेय नहीं मिला है. वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. मानदेय न मिलने से परिवार में भूखे रहने की नौबत है. बच्चों की स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही. उन्हें पढ़ने नहीं दिया जा रहा है. घर की हालत भी काफी खराब हो चुकी है. घर में जो जानवर पले हैं वह भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से सब तंग आ चुके हैं. इसके चलते उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.

होमगार्ड विजय सेन की पत्नी और बेटे ने भी बताया कि मानदेय न मिलने के चलते घर की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है. बेटे के मुताबिक उसके स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही है, जिसके चलते उसे वहां से भगा दिया जाता है.

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सहायक कमांडेंट होमगार्ड राम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि होमगार्डों का जो मानदेय बाकी है उसके लिए लगातार पत्रचार के माध्यम से शासन से बजट की मांग की जा रही है. उन्होंने बताया कि होमगार्डों की ड्यूटी साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई जाती है, इसलिए उनकी इच्छा के मुताबिक ड्यूटी लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि पीड़ित होमगार्ड को जल्द कोई सहायता दिलवाई जाए. साथ ही हम लोग भी व्यक्तिगत तौर पर चंदा इकट्ठा करके उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे.

Intro:बाराबंकी, 05 दिसंबर। रोटी, कपड़ा और मकान की जद्दोजहद में हारा होमगार्ड, जिंदगी खत्म करने की कोशिश, सात महीनों से मानदेय न मिलने से पूरा परिवार हुआ बेहाल. विभाग ने मदद का दिया आश्वासन. कुछ दिनों पहले जिलाधिकारी आवास में तैनात होमगार्ड ने की थी आत्महत्या. उसे भी महीनों से नहीं मिली थी तनख्वाह. अब सत्री के इस होमगार्ड जवान की मुसीबतें इतनी ज्यादा है कि , अगर उसे सही समय पर तनख्वाह ना मिली तो स्थिति और बदतर होती जाएंगी. इस होमगार्ड जवान की मुसीबतें इतनी ज्यादा है कि उसे अब आश्वासन नहीं मदद की दरकार है.
Body:बाराबंकी के जिलाधिकारी आवास में ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड के कुछ दिनों पहले आर्थिक तंगी के चलते फांसी लगाकर जान देने का मामला अभी ताजा ही था कि इस बीच एक और होमगार्ड ने आत्महत्या की कोशिश की। इस घटना के पीछे महज नशेबाजी नहीं थी, बल्कि उसके पीछे की असल वजह उसे मानदेय न मिलने का दर्द था। यह दर्द वह सह नहीं सका और आखिरकार परिवार से दूर जाने का कदम उठा बैठा।
मामला सतरिख के सेठमऊ गांव के निवासी होमगार्ड विजयसेन से जुड़ा है। जिसने हैदरगढ़ के भीड़ भाड़ भरे चैराहे पर स्ट्रीट लाइट के पोल से रस्सी के सहारे लटककर आत्महत्या का प्रयास किया। जानकारी मिलते ही पुलिस ने होमगार्ड को नीचे उतारकर सीएचसी हैदरगढ़ पहुंचाया है। अस्पताल में होश आने पर होमगार्ड ने छह माह से मानदेय न मिलने व ड्यूटी के एवज में वसूली का आरोप लगाया।
होमगार्ड विजय सेन के मुताबिक उसकी ड्यूटी कानून व्यवस्था में जून माह से चल रही है। इसके चलते उसको दूर-दूर के थानों पर ड्यूटी के लिए पेट्रोल फूंककर जाना होता। उसके अनुसार उसको जून माह से मानदेय नहीं मिला है। इससे वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इसके चलते ही उसने यह कदम उठाया था। विजयसेन ने बताया कि जून माह से मानदेय न मिलने से परिवार में भूखे रहने की नौबत है। उसके बच्चे स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही इसके चलते उसे पढ़ने नहीं दिया जा रहा। घर की हालत भी काफी खराब हो चुकी है। घर में जो जानवर पले हैं वह भी भूखे मर रहे हैं। इन सब परेशानियों सेवक तंग आ चुका है इसके चलते उसने आत्महत्या की कोशिश की।
वहीं होमगार्ड विजय सेन की पत्नी और बेटे ने भी बताया की मानदेय न मिलने के चलते घर की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है। इसी वजह से उनके पति ने जान देने की कोशिश की। लड़के के मुताबिक उसके स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही है जिसके चलते उसे वहां से भगा दिया जाता है।
सहायक कमांडेंट होमगार्ड राम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि होमगार्डों का जो मानदेय बाकी है, उसके लिए लगातार पत्रचार के माध्यम से शासन से बजट की मांग की जा रही है। उन्होंने बताया कि होमगार्डों की ड्यूटी साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई जाती है। इसलिये अभी उनकी इच्छा के मुताबिक ड्यूटी लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं मानदेय न मिलने के चलते आर्थिक स्थिति खराब होने पर उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि पीड़ित होमगार्ड को जल्द कोई सहायता दिलवाई जाए। साथ ही हम लोग भी वयक्तिगत तौर पर चंदा इकट्ठा करके उसकी मदद करने की कोशिश करेंगे।


Conclusion:Bite -

1-बाइट- विजय सेन सिंह, पीड़ित होमगार्ड,

2-बाइट- अभय प्रताप सिंह, होमगार्ड का लड़का,

3-बाइट- राम प्रकाश दीक्षित, सहायक कमांडेंट होमगार्ड

4-बाइट- सुमन सिंह, होमगार्ड की पत्नी,


रिपोर्ट आलोक कुमार शुक्ला रिपोर्टर बाराबंकी 96284 76907
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