बाराबंकी: जिले में क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के कर्मचारियों की संवेदनहीनता के चलते विभाग की बिक्री साल दर साल कम होती जा रही है. विभागीय कर्मचारियों का रुझान विभाग की उन्नति की ओर कम बल्कि राजनीति में ज्यादा रहता है. इसका नजारा शुक्रवार को बाराबंकी में दिखाई दिया, जहां वार्षिक बैठक में संस्थान के आर्थिक संकट को कम करने, बिक्री और उत्पाद बढ़ाने पर मंथन करने की बजाय सदस्य, मंत्री और अध्यक्ष बनने को लेकर हंगामा होता रहा. हंगामा बढ़ता देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. बैठक में बतौर राज्य निरीक्षक प्रतिनिधि इस हंगामे को देख हैरान नजर आए. उन्होंने इस पूरे मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को देने की बात कही है.
आर्थिक संकट पर नहीं हुई कोई चर्चा
दरअसल, रविकांत पांडे का कार्यकाल पूरा हो गया है, लिहाजा संस्था को फिर से मंत्री चुनना था. मंत्री पद के लिए राजेश कुमार सिंह सामने आए, लेकिन रविकांत ने नियम विरुद्ध बताया. रविकांत ने कहा कि वही मंत्री रहेंगे, लेकिन अध्यक्ष ने कई सदस्यों की राय पर राजेश को मंत्री घोषित कर दिया. इसको लेकर जमकर हंगामा हुआ. उधर बैठक की निगरानी करने आये सुबोध कुमार इस हंगामे को देखकर हैरान नजर आए. बैठक में न तो बिक्री और उत्पादन बढ़ाने पर विचार हुआ और न ही संस्था पर छाए आर्थिक संकट पर कोई चर्चा हुई.
गौरतलब है कि संस्था की बिक्री दिनों दिन कम हो रही है. वर्ष 2018-19 में जहां संस्था ने करीब 64 लाख की बिक्री की थी, वहीं इस बार 59 लाख की ही बिक्री हुई है. संस्था के लोगों की इस घाटे को बराबर करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखी.
राज्य निरीक्षक प्रतिनिधि ने बताया
इससे दुखी राज्य निरीक्षक प्रतिनिधि ने कहा कि इसकी रिपोर्ट वे अपने उच्चाधिकारियों को देंगे, क्योंकि इस संस्था में उनके विभाग खादी ग्रामोद्योग आयोग का सबसे बड़ा योगदान है. यही नहीं वे श्री गांधी आश्रम की मातृ संस्था से शिकायत करेंगे कि क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम बाराबंकी की संस्था को बर्बाद होने से बचा लें.