बाराबंकी: जिले में भारी बारिश और बाढ़ ने गन्ना किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. फसल के नुकसान ने गन्ना किसानों के चेहरे की रौनक उड़ा दी हैं. किसानों का कहना है कि 30 से 35 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है. वहीं ऐसे में समय से भुगतान न होना किसानों के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी है.
प्रकृति की मार के साथ-साथ जानवरों से भी गन्ना किसानों को नुकसान हो रहा है. बाढ़ और बारिश के कारण जो फसल गिरी है, उसको चूहों से नुकसान होने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. प्रशासनिक तंत्र इसे ठीक करने की कवायद में जुटा है, लेकिन सफलता शायद उतनी नहीं मिली है जितनी कि अपेक्षा है. ऊपर से चलने वाली योजनाएं किसानों के पास तक पहुंचते-पहुंचते धीमी हो जाती हैं. जिले में 100 फीसदी भुगतान की बात कहने वाली सरकारी मशीनरी शायद यह नहीं जानती कि बहुत सारे किसान अब भी भुगतान से वंचित हैं.
घाघरा नदी में आई बाढ़ से गन्ना किसान परेशान
बाराबंकी जिले में बड़े स्तर पर गन्ने की खेती की जाती है. घाघरा नदी के तटवर्ती क्षेत्र रामनगर, सिरौली गौसपुर, फतेहपुर के साथ हैदरगढ़ के इलाकों में ज्यादातर गन्ने की खेती होती है. हैदरगढ़ में चीनी मिले भी हैं, जहां जिले का लगभग पूरा गन्ना समायोजित हो जाता है.
किसानों का कहना है कि उनका गन्ना तो ले लिया जाता है, लेकिन सही समय पर उन्हें भुगतान नहीं किया जाता है. जिसकी वजह से उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
घाघरा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आने के कारण और लगातार बारिश और हवा ने गन्ने की फसल को जमींदोज कर दिया, जिसे तकनीकी भाषा में गन्ने की लॉगिंग कहते हैं. गन्ने की फसल गिरने के कारण लगभग 30 से 35% नुकसान होने की संभावना है.
कुछ किसानों का कहना है कि उनके यहां पर लगभग 50 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है. फसल जब गिर जाती है तो उसे चूहे कुतर देते हैं, जिससे और ज्यादा नुकसान हो जाता है. बारिश के बाद जब जमीन बिल्कुल नरम होती है और गन्ने की फसल गिरी रहती है तो चूहों को गन्ने की फसल को कुतरने का पूरा मौका मिल जाता है, जिससे बड़े स्तर पर नुकसान होता है.
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किसान बताते हैं कि बारिश होने के कारण उन्हें जहां नुकसान हुआ है , वहीं जानवरों से भी उन्हें नुकसान होता है. साथ ही साथ समय पर भुगतान न होना और समय पर उन्हें पर्ची न मिलना ऐसी तमाम समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं.
यह फसल लगभग एक साल की फसल होती है, जिसे हर मौसम में बचाव की जरूरत होती है, लेकिन इस प्रकार से प्राकृतिक और मानव निर्मित समस्याओं के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.
लॉगिंग की समस्या से लगभग 20% नुकसान तो होता है. गन्ने की फसल को पानी से उतना ज्यादा नुकसान नहीं होता है, लेकिन फसल गिर जाने के कारण समस्या जरूर हो जाती है. उसके लिए गन्ना समिति और चीनी मिल दोनों के प्रयासों से किसानों के साथ मिलकर गन्ने को बांधकर गट्ठर नुमा खड़ा किया जा रहा है. जिससे होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके. गन्ना किसानों को जिले में 100% भुगतान किया जा चुका है. आने वाले दिनों में गन्ना किसानों को समस्याएं न हो इसके लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं.
रत्नेश्वर त्रिपाठी, जिला गन्ना अधिकारी
फिलहाल एक बात तो तय है कि गन्ना किसानों की मदद कितनी भी क्यों न कर दी जाए, लेकिन जब तक उनको पर्याप्त सुविधा एवं संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे और समय पर योजनाबद्ध तरीके से भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी. पुख्ता इंतजाम कब तक होंगे यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि लंबे समय से गन्ना किसानों की समस्याएं जस की तस बरकरार हैं.