बाराबंकी: सरकार ने अन्नदाताओं को बड़ी राहत देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक कर दिया है. साथ ही मंडी अधिनियम में भी सुधार करते हुए किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश की गई है. पहले सभी केसीसी धारकों का अपने आप फसल बीमा हो जाता था, साथ ही प्रीमियम भी काट लिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
किसानों को राहत देते हुए सरकार ने इस वर्ष से फसल बीमा की अनिवार्यता समाप्त करते हुए इसे ऐच्छिक कर दिया है. अब किसानों को प्रधानमंत्री फसल योजना के लिए आवेदन करना होगा. पहले किसान क्रेडिट कार्ड धारकों की फसलों का बीमा अपने आप हो जाता था और उनका प्रीमियम भी अपने आप काट लिया जाता था, लेकिन नई व्यवस्था के तहत किसानों को बैंक में जाकर बताना होगा कि उन्हें बीमा नहीं कराना है जिससे उनका प्रीमियम न काटा जाए.
बीमा स्वरूप में भी हुआ बदलाव
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्वरूप में भी बड़ा बदलाव किया गया है. अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल का मूल्य जनपद के स्केल आफ फाइनेंस के आधार पर निर्धारित किया जाता था, जबकि अब न्यूनतम समर्थन मूल्य और जनपद की औसत उत्पादकता के अनुसार निर्धारित किया जाएगा.
मंडी अधिनियम में भी सुधार
मंडी अधिनियम में भी कृषकों के हितों के लिए व्यापक सुधार किए गए हैं. इसके अनुसार किसान एफपीओ यानी फार्मर्स प्रोडक्शन ऑर्गनाइजेशन (कृषक उत्पादकता संगठन) के माध्यम से सीधे अपने उत्पादों का विपणन मंडी में करा सकते हैं. इसके लिए उन्हें कोई मंडी शुल्क भी नहीं देना होगा.