बाराबंकी : सेवा और समर्पण का भाव देखना है तो बाराबंकी के श्रीराम वन कुटीर आइए. पिछले 40 वर्षों से ये आश्रम गरीबों की जिंदगी को रोशन कर रहा है. यहां गरीबों की आंखों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यही नहीं, हाइड्रोसील, पाइल्स, ट्यूमर और हर्निया जैसे गंभीर ऑपरेशन भी किए जाते हैं.
बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर रेट नदी के किनारे श्रीराम वन कुटीर है. कभी इसे हड़ियाकोल का जंगल कहा जाता था, लेकिन अब यहां लोगों की जिंदगी में रोशनी भरी जाती है. हर साल बसंत मास की पंचमी से 10 दिन पहले यहां सेवाभाव का जो अद्भुत नजारा देखने को मिलता है, शायद ही आपको कहीं देखने को मिले. यहां दूसरे प्रदेशों के लोग भी इलाज कराने आते हैं.
हड़ियाकोल बहुत ही भयानक जंगल था. यहां बड़े-बड़े तपस्वियों ने साधना की. उन्हीं तपस्वियों में से एक थे स्वामी रामदास, जो मानस मर्मज्ञ थे. इस इलाके की गरीबी देख उन्होंने कुछ करने की सोची. उनके तमाम शिष्य डॉक्टर थे. लिहाजा उन्होंने वर्ष 1981 में यहां नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर की शुरुआत की. संसाधन न होने से पेट्रोमैक्स की रोशनी में ऑपरेशन हुए और फिर ये सिलसिला चल निकला. अब तो बिहार, छतीसगढ़ तक के मरीज यहां आते हैं. 2019 में 2170 ऑपरेशन हुए थे, तो 2020 में 1872. इस वर्ष करीब 3 हजार रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं. अब तक यहां एक लाख से ज्यादा सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. यही नहीं यहां हाइड्रोसील, पाइल्स, हर्निया और ट्यूमर जैसे ऑपरेशन भी होते हैं.
यहां शिविर लगने से कुछ दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. 300 बेड का हॉस्पिटल और हाईटेक ऑपरेशन थिएटर तैयार किया जाता है. देश-विदेश के कई एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम यहां आती है. मरीजों के लिए बेड, बिस्तर, नाश्ता और खाना आदि आश्रम की तरफ से नि:शुल्क दिया जाता है.
इस पुण्य कार्य में देश-विदेश के नामी डॉक्टर सेवा देना अपना सौभाग्य मानते हैं. लगातार 13 वर्षों से यहां आ रहे पंजाब के मशहूर डॉक्टर सोलोमन तो हर वर्ष इस समय का इंतजार करते हैं. 15 दिनों तक चलने वाले इस शिविर में देश के कई इलाकों के सेवादार आकर इन दीन-दुखियों की सेवा करते हैं. कई सेवादार तो ऐसे हैं, जो नौकरी से छुट्टी लेकर आते हैं.