बाराबंकी: जिले में शुक्रवार शाम को काशी के घाट जैसा नजारा दिखाई दिया. काशी से आए खास पुरोहितों ने जब आरती शुरू की तो लोगों को काशी की गंगा आरती का एहसास हुआ. दरअसल, हिंदू नव वर्ष से पूर्व यहां चार दिवसीय नव संवत्सर महोत्सव की शुरुआत की गई. इस दौरान महोत्सव को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा. शहर के धनोखर तालाब को दुल्हन की तरह सजाया गया था. तालाब के किनारे जब 51 हजार मिट्टी के दीये जलाए गए तो इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी.
बता दें कि इस बार भारतीय नव वर्ष 22 मार्च से शुरू हो रहा है. इसी नव वर्ष को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. बाराबंकी में नए वर्ष को भव्यता प्रदान करने के लिए पिछले एक पखवारे से नव संवत्सर महोत्सव समिति तैयारियों में जुटी थी. शुक्रवार शाम को चार दिवसीय महोत्सव का बड़ी ही धूमधाम से शुभारम्भ हो गया. इस दौरान शहर के बीचों बीच स्थित धनोखर तालाब को दुल्हन की तरह सजाया गया था.
शाम होते ही यह तालाब 51 हजार दीपों से जगमगा उठा. इस नजारे को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी थी. इस दौरान भजन संध्या के जरिए नव वर्ष की महत्ता बताई गई. बनारस से खास कर पुरोहित बुलाए गए थे, जिन्होंने आरती कर काशी की आरती की याद दिला दी. चार दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में शनिवार को जीआईसी ऑडिटोरियम से एक मोटरसाइकिल यात्रा निकाली जाएगी. रविवार को धनोखर चौराहे से नागेश्वरनाथ मंदिर तक पदयात्रा निकाली जाएगी. इसके बाद शाम को दीपदान होगा. सोमवार को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए हिन्दू नववर्ष उत्सव, प्रदर्शनी और रात को एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा.
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