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बाराबंकीः अफसरों की लापरवाही से परेशान किसानों ने चंदा लगाकर शुरू कराई नहर की सफाई - jalalpur minear

आला अधिकारियों से लेकर हुक्मरानों तक नहर की सफाई की गाथा गाने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो बाराबंकी के किसानों ने पैसे जमा कर खुद ही नहर की सफाई में जुट गए. सूख रही फसलों की बदहाली देख किसानों ने खुद के खर्च से सफाई कराने से बेहतर कुछ न समझा.

बाराबंकी : किसानों ने शुरू कराई नहर की सफाई
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Published : Mar 26, 2019, 11:22 AM IST

बाराबंकी : पिछले तीन वर्षों से नहर की सफाई के लिए परेशान बाराबंकी के अन्नदाताओं की गुहार का जब कोई असर न हुआ, तो मजबूरन इन किसानों ने अपने पैसे से ही नहर साफ करने का फैसला लिया और चंदा इकट्ठा कर नहर को साफ करने में जुट गए. सूख रही फसलों को देखकर दुखी अन्नदाताओं ने कोई दरवाजा नही छोड़ा जिसे इन्होंने खटखटाया न हो. हताश और निराश किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए इससे बेहतर कोई दूसरा रास्ता नहीं सूझा.

जानिए क्यों बाराबंकी के किसानों ने चंदा लगाकर शुरू कराई नहर की सफाई

मसौली विकासखण्ड की प्रतापगंज रजबहा से निकली जलालपुर माइनर जो पिछले तीन वर्षों से सफाई न होने से माइनर पटी पड़ी है. जिसके चलते माइनर में झाड़-झंखाड़ उग आई है और सिल्ट जम गई है. सिल्ट जमा होने से माइनर में पानी नहीं आ पाता है. पानी न आने से आस-पास की सैकड़ों बीघे फसल सूख रही है.

किसान किसी तरह पम्पिंग सेट लगाकर फसलों की सिंचाई करते हैं जिससे उन्हें काफी नुकसान होता है. फसल में लाभ मिलने की बजाय हर वर्ष घाटा हो रहा है यहां तक की फसल की लागत तक नहीं निकल पाती है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों से लेकर तहसील दिवस में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री के पोर्टल के जरिये राजधानी तक अपनी पीड़ा बताई, लेकिन हुआ कुछ नहीं. मजबूरन इन किसानों ने खुद ही नहर की सफाई कराने का फैसला किया.

गांव के किसान अशोक श्रीवास्तव ने दूसरे किसानों में रामतीर्थ, अनिल वर्मा, आनंद, विवेक, बजरंग और विपिन ने मिलकर योजना बनाई. रणनीति बनी कि चंदा लगाया जाए. लिहाजा गांव में चंदा जुटाया गया और सफाई शुरू करा दी गई. दरअसल 7 किलोमीटर लंबी इस माइनर से इलाके के जलालपुर, दादरा, चंदवारा, सैदाबाद और सफदरगंज गांवों के करीब 3000 किसानों की सैकड़ों बीघा खेतों की सिंचाई होती है. नहर की सफाई न होने से मेंथा की फसल सूख रही थी. इन नहरों की सफाई मनरेगा के बजट से होती थी, लेकिन अब मना कर दिया गया.जिसके चलते किसानों की मेंथा की फसल चौपट होने लगी.

गौरतलब है कि बाराबंकी जिले में मेंथा की फसल काफी महत्वपूर्ण है, इसके जरिये जिले के किसानों को करीब चार सौ करोड़ रुपये सालाना की आय होती है, लेकिन समय पर पानी न मिल पाने से फसल सूख रही है. किसानों ने बताया कि इस नहर को साफ कराने के लिए तमाम गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उनकी परेशानी को गम्भीरता से नहीं लिया. मजबूरन उन्हें अपनी फसलों को बचाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा.

इस लापरवाही की बाबत शारदा नहर प्रखंड बाराबंकी के अधिशासी अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कुछ नहरों की सफाई करा दी गई है. कुछ की सफाई बजट मिलते ही कराई जाएगी.

बाराबंकी : पिछले तीन वर्षों से नहर की सफाई के लिए परेशान बाराबंकी के अन्नदाताओं की गुहार का जब कोई असर न हुआ, तो मजबूरन इन किसानों ने अपने पैसे से ही नहर साफ करने का फैसला लिया और चंदा इकट्ठा कर नहर को साफ करने में जुट गए. सूख रही फसलों को देखकर दुखी अन्नदाताओं ने कोई दरवाजा नही छोड़ा जिसे इन्होंने खटखटाया न हो. हताश और निराश किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए इससे बेहतर कोई दूसरा रास्ता नहीं सूझा.

जानिए क्यों बाराबंकी के किसानों ने चंदा लगाकर शुरू कराई नहर की सफाई

मसौली विकासखण्ड की प्रतापगंज रजबहा से निकली जलालपुर माइनर जो पिछले तीन वर्षों से सफाई न होने से माइनर पटी पड़ी है. जिसके चलते माइनर में झाड़-झंखाड़ उग आई है और सिल्ट जम गई है. सिल्ट जमा होने से माइनर में पानी नहीं आ पाता है. पानी न आने से आस-पास की सैकड़ों बीघे फसल सूख रही है.

किसान किसी तरह पम्पिंग सेट लगाकर फसलों की सिंचाई करते हैं जिससे उन्हें काफी नुकसान होता है. फसल में लाभ मिलने की बजाय हर वर्ष घाटा हो रहा है यहां तक की फसल की लागत तक नहीं निकल पाती है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों से लेकर तहसील दिवस में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री के पोर्टल के जरिये राजधानी तक अपनी पीड़ा बताई, लेकिन हुआ कुछ नहीं. मजबूरन इन किसानों ने खुद ही नहर की सफाई कराने का फैसला किया.

गांव के किसान अशोक श्रीवास्तव ने दूसरे किसानों में रामतीर्थ, अनिल वर्मा, आनंद, विवेक, बजरंग और विपिन ने मिलकर योजना बनाई. रणनीति बनी कि चंदा लगाया जाए. लिहाजा गांव में चंदा जुटाया गया और सफाई शुरू करा दी गई. दरअसल 7 किलोमीटर लंबी इस माइनर से इलाके के जलालपुर, दादरा, चंदवारा, सैदाबाद और सफदरगंज गांवों के करीब 3000 किसानों की सैकड़ों बीघा खेतों की सिंचाई होती है. नहर की सफाई न होने से मेंथा की फसल सूख रही थी. इन नहरों की सफाई मनरेगा के बजट से होती थी, लेकिन अब मना कर दिया गया.जिसके चलते किसानों की मेंथा की फसल चौपट होने लगी.

गौरतलब है कि बाराबंकी जिले में मेंथा की फसल काफी महत्वपूर्ण है, इसके जरिये जिले के किसानों को करीब चार सौ करोड़ रुपये सालाना की आय होती है, लेकिन समय पर पानी न मिल पाने से फसल सूख रही है. किसानों ने बताया कि इस नहर को साफ कराने के लिए तमाम गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उनकी परेशानी को गम्भीरता से नहीं लिया. मजबूरन उन्हें अपनी फसलों को बचाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा.

इस लापरवाही की बाबत शारदा नहर प्रखंड बाराबंकी के अधिशासी अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कुछ नहरों की सफाई करा दी गई है. कुछ की सफाई बजट मिलते ही कराई जाएगी.

Intro:बाराबंकी ,26 मार्च । पिछले तीन वर्षों से नहर की सफाई के लिए परेशान बाराबंकी के अन्नदाताओं की गुहार का जब कोई असर न हुआ तब मजबूरन इन किसानों ने अपने पैसे से ही नहर साफ करने का फैसला किया और चंदा लगाकर जुट गए नहर को साफ करने में । अपनी सूख रही फसलों को देखकर दुखी अन्नदाताओं ने कोई दरवाजा नही छोड़ा जिसे इन्होंने खटखटाया न हो । हताश और निराश इन अन्नदाताओं को अपनी फसलों को बचाने के लिए इससे बेहतर कोई दूसरा रास्ता नही सूझा । पेश है अन्नदाताओं की पीड़ा बयान करती बाराबंकी से अलीम शेख की ये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट ......


Body:वीओ - ये है मसौली विकासखण्ड की प्रतापगंज रजबहा से निकली जलालपुर माइनर । पिछले तीन वर्षों से इस माइनर की सफाई नही हुई जिसके चलते माइनर में झाड़ झंखाड़ उग आई है और सिल्ट जमा है । सिल्ट जमा होने से माइनर में पानी नही आ पाता । पानी न आने से आस पास की सैकड़ों बीघे फसल सूख रही है । किसान किसी तरह पम्पिंग सेट लगाकर फसलों की सिंचाई करते हैं इससे उन्हें काफी नुकसान होता है । फसल में लाभ मिलने की बजाय हर वर्ष घाटा हो रहा है लागत तक नही निकल पाती । इसकी सफाई के लिए किसानों ने कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई । तहसील दिवस से लगाकर जिलाधिकारी तक अपनी फरियाद की यही नही मुख्यमंत्री के पोर्टल के जरिये राजधानी तक अपनी पीड़ा बताई लेकिन हुआ कुछ नही । मजबूरन इन किसानों ने खुद से ही इसकी सफाई कराने का फैसला किया । गांव के किसान अशोक श्रीवास्तव ने दूसरे किसानों रामतीर्थ,अनिल वर्मा, आनंद, विवेक बजरंग और विपिन से मिलकर योजना बनाई । रणनीति बनी कि चंदा लगाया जाए लिहाजा गांव में चंदा जुटाया गया और सफाई शुरू करा दी । दरअसल 7 किलोमीटर लंबी इस माइनर से इलाके के जलालपुर, दादरा, चंदवारा , सैदाबाद और सफदरगंज गांवो के करीब 3000 किसानों की सैकड़ों बीघा खेतों की सिंचाई होती है । नहर की सफाई न होने से मेंथा की फसल सूख रही थी ।पहले इन नहरों की सफाई मनरेगा के बजट से होती थी लेकिन अब मना कर दिया गया । जिसके चलते किसानों की मेंथा की फसल चौपट होने लगी । गौरतलब हो कि बाराबंकी जिले में मेंथा की फसल काफी महत्वपूर्ण है इसके जरिये जिले के किसानों को करीब चार सौ करोड़ रुपये सालाना की आय होती है लेकिन समय पर पानी न मिल पाने से फसल सूख रही है । किसानों ने बताया कि इस नहर को साफ कराने के लिए तमाम गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी उनकी परेशानी को गम्भीरता से नही लिया मजबूरन उन्हें अपनी फसलों को बचाने के लिए ये कदम उठाना पड़ा ।
बाईट- रामतीर्थ वर्मा ,पीड़ित किसान
बाईट- अनिल ,पीड़ित किसान
बाईट- अशोक श्रीवास्तव, पीड़ित किसान

वीओ- उधर जब हमने इस लापरवाही की बाबत शारदा नहर प्रखंड बाराबंकी के अधिशासी अभियंता से इस लापरवाही की बाबत पूछा तो उन्होंने बताया कि कुछ नहरों की सफाई करा दी गई है कुछ की सफाई बजट मिलते ही कराई जाएगी । उन्होंने बताया कि पहले मनरेगा से आये बजट से सफाई कराई जाती थी लेकिन अब सफाई के लिए बजट नही मिलेगा । पिछले तीन वर्षों से इस नहर की सफाई क्यों नही हुई इसका जवाब वो नही दे सके ।
बाईट- सुप्रभात सिंह , अधिशासी अभियंता , शारदा सहायक प्रखंड बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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