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पर्यावरण बचाने के लिए गन्ना विभाग की पहल, किसानों की मुश्किल भी हुई आसान - barabanki hindi news

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की तरफ से हर साल भरे जाने वाले घोषणा पत्र को अब ऑनलाइन कर दिया गया है. जिसके बाद किसान अब ऑनलाइन ही अपना घोषणा पत्र भर सकेंगे. इससे किसानों की दौड़-भाग जहां कम होगी वहीं पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा.

गन्ना विभाग की पहल
गन्ना विभाग की पहल
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Published : Jul 13, 2021, 12:43 PM IST

बाराबंकी : गन्ना विकास विभाग (sugarcane development department) ने किसानों को घोषणा पत्र (declaration form) जमा करने में दौड़-भाग से बचाने के साथ पर्यावरण (Environment) को बचाने के लिए नई पहल की है. जिसके बाद अब गन्ना किसान अपना घोषणा पत्र ऑनलाइन (Online) ही भर सकेंगे. इससे न केवल गन्ना किसानों की परेशानी दूर होगी, बल्कि घोषणा पत्र भरने में हर वर्ष लगने वाले क्विंटलों कागज (Paper) को बचाकर पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा.


आपको बता दें कि, गन्ना किसानों को हर वर्ष विभाग को एक घोषणा पत्र देना होता है. जिसमें गन्ना किसान एक निर्धारित फार्मेट पर अपने नाम और पूरे पते के साथ अपने खेत का रकबा, गन्ने का रकबा, गन्ना कितने खेतों में बोया गया और ब्लॉक, गांव और खेत का लोकेशन दर्ज करना होता है. घोषणा पत्र भरने और जमा करने के लिए किसानों को जिला मुख्यालय और गन्ना समितियों पर चक्कर लगाने पड़ते थे. ऐसे में गन्ना विभाग किसानों की इस परेशानी को दूर करते हुए घोषणा पत्र ऑनलाइन भरने का आदेश जारी कर दिया.

गन्ना विभाग की पहल
मई और जून महीने के बाद से ही हर वर्ष किसान घोषणा पत्र भरना शुरू करते हैं. घोषणा पत्र जमा करने के बाद गन्ना विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाकर इनका वैरिफिकेशन करते हैं, साथ ही गन्ने के रकबे का सर्वे करते हैं. इसी घोषणा पत्र के आधार पर किसानों को सट्टा दिया जाता है. साथ ही गन्ने की तौल के लिए केंद्रों और किसानों को पर्चियों की व्यवस्था की जाती है. घोषणा पत्र न जमा करने पर विभाग किसानों को गन्ना तौल के लिए पर्चियां नहीं देता है और बिना पर्ची के किसान चीनी मिलों को अपना गन्ना नहीं बेच सकता है.


गन्ना विभाग धीरे-धीरे हाईटेक होता जा रहा है. इससे पहले विभाग ने ई-गन्ना ऐप की शुरुआत की थी. इस पोर्टल पर किसानों का सारा ब्यौरा दर्ज किया गया है. इसी के जरिये किसानों को उनके मोबाइल पर मैसेज भेजकर तौल की तारीख बताई जा रही है. मोबाइल मैसेज से ही किसानों को गन्ना पर्ची दी जा रही है, इसी ऐप के जरिये तौल का कांटा, तारीख और भुगतान सारा ब्यौरा किसानों को उनके मोबाइल पर दिया जा रहा है. लेकिन घोषणा पत्र अभी भी मैनुअली ही भरा जा रहा था. जिसे विभाग ने अब ऑलाइन कर दिया है. जिले में तकरीबन 72 सौ हेक्टेयर में 10 हजार किसान गन्ने की खेती करते हैं. जिले में बाराबंकी, बुढ़वल, दरियाबाद और हैदरगढ़ चार गन्ना समितियां हैं.

घोषणा पत्र ऑनलाइन भरे जाने से सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को होगा. विभाग का मानना है कि सूबे में तकरीबन 28 लाख गन्ना किसान हैं और सभी को घोषणा पत्र भरना होता है. जिसमें टनों कागज भी खर्च होता है. इस प्रक्रिया के ऑनलाइन हो जाने से तमाम कागज बचेगा और कागज तैयार करने के लिए पेड़ पौधों की कटाई कम होगा. जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. पेड़ों के कटान से दिनों दिन दूषित हो रहे पर्यावरण ने मानव जीवन को संकट में डाल दिया है. ऐसे में पर्यावरण बचाने की दिशा में गन्ना विभाग की ये पहल सराहनीय है.

बाराबंकी : गन्ना विकास विभाग (sugarcane development department) ने किसानों को घोषणा पत्र (declaration form) जमा करने में दौड़-भाग से बचाने के साथ पर्यावरण (Environment) को बचाने के लिए नई पहल की है. जिसके बाद अब गन्ना किसान अपना घोषणा पत्र ऑनलाइन (Online) ही भर सकेंगे. इससे न केवल गन्ना किसानों की परेशानी दूर होगी, बल्कि घोषणा पत्र भरने में हर वर्ष लगने वाले क्विंटलों कागज (Paper) को बचाकर पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा.


आपको बता दें कि, गन्ना किसानों को हर वर्ष विभाग को एक घोषणा पत्र देना होता है. जिसमें गन्ना किसान एक निर्धारित फार्मेट पर अपने नाम और पूरे पते के साथ अपने खेत का रकबा, गन्ने का रकबा, गन्ना कितने खेतों में बोया गया और ब्लॉक, गांव और खेत का लोकेशन दर्ज करना होता है. घोषणा पत्र भरने और जमा करने के लिए किसानों को जिला मुख्यालय और गन्ना समितियों पर चक्कर लगाने पड़ते थे. ऐसे में गन्ना विभाग किसानों की इस परेशानी को दूर करते हुए घोषणा पत्र ऑनलाइन भरने का आदेश जारी कर दिया.

गन्ना विभाग की पहल
मई और जून महीने के बाद से ही हर वर्ष किसान घोषणा पत्र भरना शुरू करते हैं. घोषणा पत्र जमा करने के बाद गन्ना विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाकर इनका वैरिफिकेशन करते हैं, साथ ही गन्ने के रकबे का सर्वे करते हैं. इसी घोषणा पत्र के आधार पर किसानों को सट्टा दिया जाता है. साथ ही गन्ने की तौल के लिए केंद्रों और किसानों को पर्चियों की व्यवस्था की जाती है. घोषणा पत्र न जमा करने पर विभाग किसानों को गन्ना तौल के लिए पर्चियां नहीं देता है और बिना पर्ची के किसान चीनी मिलों को अपना गन्ना नहीं बेच सकता है.


गन्ना विभाग धीरे-धीरे हाईटेक होता जा रहा है. इससे पहले विभाग ने ई-गन्ना ऐप की शुरुआत की थी. इस पोर्टल पर किसानों का सारा ब्यौरा दर्ज किया गया है. इसी के जरिये किसानों को उनके मोबाइल पर मैसेज भेजकर तौल की तारीख बताई जा रही है. मोबाइल मैसेज से ही किसानों को गन्ना पर्ची दी जा रही है, इसी ऐप के जरिये तौल का कांटा, तारीख और भुगतान सारा ब्यौरा किसानों को उनके मोबाइल पर दिया जा रहा है. लेकिन घोषणा पत्र अभी भी मैनुअली ही भरा जा रहा था. जिसे विभाग ने अब ऑलाइन कर दिया है. जिले में तकरीबन 72 सौ हेक्टेयर में 10 हजार किसान गन्ने की खेती करते हैं. जिले में बाराबंकी, बुढ़वल, दरियाबाद और हैदरगढ़ चार गन्ना समितियां हैं.

घोषणा पत्र ऑनलाइन भरे जाने से सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को होगा. विभाग का मानना है कि सूबे में तकरीबन 28 लाख गन्ना किसान हैं और सभी को घोषणा पत्र भरना होता है. जिसमें टनों कागज भी खर्च होता है. इस प्रक्रिया के ऑनलाइन हो जाने से तमाम कागज बचेगा और कागज तैयार करने के लिए पेड़ पौधों की कटाई कम होगा. जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. पेड़ों के कटान से दिनों दिन दूषित हो रहे पर्यावरण ने मानव जीवन को संकट में डाल दिया है. ऐसे में पर्यावरण बचाने की दिशा में गन्ना विभाग की ये पहल सराहनीय है.

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