बाराबंकी: जनपद में बैंक कर्ज के बोझ से दबे एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. मृतक किसान के बेटों ने बैंक कर्ज की रिकवरी करने गए नायब तहसीलदार और संग्रह अमीन को इस हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
किसान की मौत की खबर से जिले के किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया. पोस्टमार्टम हाउस पर किसानों की खासी भीड़ जमा हो गई. किसान आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे थे. मामले की गम्भीरता को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया. एसडीएम नवाबगंज, सीओ सिटी और सीओ सदर समेत तमाम अधिकारियों ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान एफआईआर की जिद पर अड़े रहे.
कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सादुल्लापुर के रहने वाले जगजीवन वर्मा के घर गुरुवार की शाम हैदरगढ़ तहसील के नायब तहसीलदार और संग्रह अमीन पहुंचे. इन्होंने जगजीवन से बैंक कर्ज अदा करने की बात कही. किसान जगजीवन द्वारा असमर्थता जताई गई तो इन लोगों ने उसे अपनी गाड़ी में बिठा लिया और थाना कोठी लाकर पुलिस के हवाले कर दिया. थोड़ी देर बाद कोठी पुलिस ने जगजीवन के घर उसकी तबीयत खराब होने की खबर भेजी.
परिजनों के थाने पहुंचने पर नायब तहसीलदार और अमीन सूचना पाकर लौटे और सबने मिलकर जगजीवन को सीएचसी में भर्ती कराया. इस दौरान नायब तहसीलदार ने बताया कि जगजीवन ने जहर खा लिया है. हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां से लखनऊ भेज दिया गया. शुक्रवार को जगजीवन की मौत हो गई. परिजनों ने इसके लिए सीधे तौर पर नायब तहसीलदार और अमीन को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.
बताया जाता है कि मृतक किसान का तीन बैंकों से 40 लाख रुपये कर्ज था, जबकि केवल एक ही बैंक से लोन हो सकता है. दूसरा यह कि जगजीवन की तबियत खराब होने पर अधिकारी उसे छोड़कर क्यों चले गए?
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