बाराबंकीः गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से पशु सम्पदा को बचाने के लिए पशुपालन विभाग हर साल निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है. अमूमन बरसात के महीने से शुरू होने वाले इस अभियान को इस बार कोरोना की नजर लग गई है. वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हो रहा है. डिमांड के बाद भी विभाग को वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं.
जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोंटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. यही वजह है कि पशुपालन विभाग हर साल बरसात के महीने में पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है, लेकिन इस बार वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हुआ है. कई बार लिखापढ़ी के बाद विभाग को अभी तक महज एक लाख 14 हजार वैक्सीन ही मिल सकी हैं.
पशु टीकाकरण पर भी लग गई कोरोना की नजर, गलघोटू का बना खतरा
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. इस साल कोरोना वायरस के चलते पशुओं का टीकाकरण कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ है. इसके पीछे वैक्सीन की कमी बताई जा रही है.
बाराबंकीः गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से पशु सम्पदा को बचाने के लिए पशुपालन विभाग हर साल निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है. अमूमन बरसात के महीने से शुरू होने वाले इस अभियान को इस बार कोरोना की नजर लग गई है. वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हो रहा है. डिमांड के बाद भी विभाग को वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं.
जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोंटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. यही वजह है कि पशुपालन विभाग हर साल बरसात के महीने में पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है, लेकिन इस बार वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हुआ है. कई बार लिखापढ़ी के बाद विभाग को अभी तक महज एक लाख 14 हजार वैक्सीन ही मिल सकी हैं.