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पशु टीकाकरण पर भी लग गई कोरोना की नजर, गलघोटू का बना खतरा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. इस साल कोरोना वायरस के चलते पशुओं का टीकाकरण कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ है. इसके पीछे वैक्सीन की कमी बताई जा रही है.

मवेशियों में गलाघोटू का खतरा
मवेशियों में गलाघोटू का खतरा
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Published : Jul 17, 2021, 2:29 PM IST

बाराबंकीः गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से पशु सम्पदा को बचाने के लिए पशुपालन विभाग हर साल निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है. अमूमन बरसात के महीने से शुरू होने वाले इस अभियान को इस बार कोरोना की नजर लग गई है. वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हो रहा है. डिमांड के बाद भी विभाग को वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं.


जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोंटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. यही वजह है कि पशुपालन विभाग हर साल बरसात के महीने में पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है, लेकिन इस बार वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हुआ है. कई बार लिखापढ़ी के बाद विभाग को अभी तक महज एक लाख 14 हजार वैक्सीन ही मिल सकी हैं.

मवेशियों में गलाघोटू का खतरा
विभाग को जून माह में दस हजार उसके बाद 33 हजार और फिर 63 हजार वैक्सीन मिल पाई है. प्राथमिकता के आधार पर विभाग बाढ़ प्रभावित इलाकों में टीकाकरण कर रहा है ताकि वहां संक्रमण का खतरा कम हो. इसके अलावा दो ब्लॉक निन्दूरा और पूरेडलई और हैं जिनमे भी टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष वैक्सीन की कमी से विभाग खासा चिंतित है.बहुत तेजी से फैलने वाला ये रोग पस्ट्यूरेला मल्टोसिडा नामक जीवाणु (bacteria) के कारण होता है. मुख्यतया ये गाय और भैंस में फैलता है. इस बीमारी से पशुओं की अकाल मौत हो जाती है. ये बरसात के समय बहुत ही तेजी से फैलता है.लक्षण के साथ इलाज न किये जाने पर पशु एक या दो दिन में मर जाता है.

पशुओं में गलाघोटू का खतरा
पशुओं में गलाघोटू का खतरा
इस बीमारी से ग्रसित पशुओं में बहुत तेज बुखार तकरीबन 105 से 107 डिग्री तक होता है जो बढ़ता जाता है. पशुओं के मुंह से लार निकलने लगता है. गर्दन में सूजन आ जाती है जिसके चलते सांस लेने में तकलीफ होती है और अजीब आवाज निकलती है. आंखें लाल हो जाती हैं. बीमारी से एक ही बचाव है कि पशुओं का टीकाकरण किया जाय.

बाराबंकीः गलाघोटू जैसी गम्भीर बीमारी से पशु सम्पदा को बचाने के लिए पशुपालन विभाग हर साल निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है. अमूमन बरसात के महीने से शुरू होने वाले इस अभियान को इस बार कोरोना की नजर लग गई है. वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हो रहा है. डिमांड के बाद भी विभाग को वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं.


जिले में गाय और भैंसों की कुल संख्या 08 लाख 33 हजार 592 है. गलाघोंटू जैसी गम्भीर बीमारी से हर साल तमाम पशुओं की जान चली जाती है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. यही वजह है कि पशुपालन विभाग हर साल बरसात के महीने में पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाता है, लेकिन इस बार वैक्सीन की कमी से अभियान खासा प्रभावित हुआ है. कई बार लिखापढ़ी के बाद विभाग को अभी तक महज एक लाख 14 हजार वैक्सीन ही मिल सकी हैं.

मवेशियों में गलाघोटू का खतरा
विभाग को जून माह में दस हजार उसके बाद 33 हजार और फिर 63 हजार वैक्सीन मिल पाई है. प्राथमिकता के आधार पर विभाग बाढ़ प्रभावित इलाकों में टीकाकरण कर रहा है ताकि वहां संक्रमण का खतरा कम हो. इसके अलावा दो ब्लॉक निन्दूरा और पूरेडलई और हैं जिनमे भी टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष वैक्सीन की कमी से विभाग खासा चिंतित है.बहुत तेजी से फैलने वाला ये रोग पस्ट्यूरेला मल्टोसिडा नामक जीवाणु (bacteria) के कारण होता है. मुख्यतया ये गाय और भैंस में फैलता है. इस बीमारी से पशुओं की अकाल मौत हो जाती है. ये बरसात के समय बहुत ही तेजी से फैलता है.लक्षण के साथ इलाज न किये जाने पर पशु एक या दो दिन में मर जाता है.

पशुओं में गलाघोटू का खतरा
पशुओं में गलाघोटू का खतरा
इस बीमारी से ग्रसित पशुओं में बहुत तेज बुखार तकरीबन 105 से 107 डिग्री तक होता है जो बढ़ता जाता है. पशुओं के मुंह से लार निकलने लगता है. गर्दन में सूजन आ जाती है जिसके चलते सांस लेने में तकलीफ होती है और अजीब आवाज निकलती है. आंखें लाल हो जाती हैं. बीमारी से एक ही बचाव है कि पशुओं का टीकाकरण किया जाय.
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