बाराबंकी: सरकारी राशन के असल हकदारों के लिए शासन द्वारा की गई अपील का जनपद में खासा असर दिखाई देने लगा है. अपात्र लोग खुशी-खुशी अपने राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं. कार्ड सरेंडर करने के लिए तहसीलों में कार्यालय पर खासी भीड़ उमड़ रही है. जिले में अब तक लगभग 13 हजार कार्ड सरेंडर हो चुके हैं. शासन द्वारा शुरू किये गए, इस बड़े अभियान को लेकर जहां पात्र लोगों में खासा उत्साह है. वहीं, उनके हक में कार्ड सरेंडर करने वाले भी शासन की इस पहल से काफी खुश हैं.
जिले में ऐसे तमाम लोगों ने राशन कार्ड बनवा रखे हैं जो न तो पात्र गृहस्थी की श्रेणी में आते हैं और न ही अंत्योदय योजना में. ऐसे राशन कार्डों के चलते सरकारी राशन के असली हकदार इस योजना से वंचित हैं. लिहाजा बीते वर्ष अगस्त माह में पीएम मोदी से प्रेरित होकर बाराबंकी डीएसओ ने ऐसे अपात्रों से राशन कार्ड जमा करने की मार्मिक अपील की थी. इसके चलते अपात्र लोग खुशी से अपने राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं साथ ही शासन के इस अभियान की तारीफ भी कर रहे हैं.
जिले में कुल 06 लाख 43 हजार 695 राशन कार्ड हैं, जिनमें 26 लाख 16 हजार 170 यूनिट को सरकारी खाद्यान्न का लाभ दिया जा रहा है. जिनमें पात्र गृहस्थी योजना के 05 लाख 29 हजार 812 राशन कार्ड और 01 लाख 13 हजार 883 राशनकार्ड अंत्योदय योजना के हैं.
जिले में राशनकार्ड की स्थिति
ग्रामीण क्षेत्र
पात्रगृहस्थी कार्ड 486558
अंत्योदय कार्ड 109911
कुल कार्ड 596469
शहरी क्षेत्र
पात्रगृहस्थी कार्ड 43254
अंत्योदय कार्ड 3972
कुल कार्ड 47226
मानक से ज्यादा हो चुका आच्छादन
वर्ष 2013 में आये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 79.56 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 64.43 फीसदी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने का प्राविधान किया गया है. वर्तमान समय में जिले में वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 29 लाख 29 हजार 896 के सापेक्ष 24 लाख 14 हजार 391 जनसंख्या को अर्थात 82.41 फीसदी लोगों को राशनकार्ड से आच्छादित किया जा चुका है, जो 2.85 फीसदी ज्यादा है.
यही हाल शहरी क्षेत्र का है. शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 03 लाख 30 हजार 803 के सापेक्ष 02 लाख 17 हजार 19 लोगों को अर्थात 65.60 फीसदी लोगों को आच्छादित किया जा चुका है, जो निर्धारित मानक से 1.17 फीसदी ज्यादा है. ऐसे में विभाग के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. विभागीय सॉफ्टवेयर में कैपिंग हो गई है. जिससे न तो नए राशनकार्ड बन पा रहे है और न ही यूनिट ही बढ़ाई जा पा रही हैं. बिना राशन कार्ड निरस्त किए या यूनिट काटे कुछ भी नहीं किया जा सकता.
तमाम गैर जरूरतमंद लोगों ने भी हासिल कर लिए कार्ड
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि तमाम ऐसे लोगों के कार्ड भी निर्गत किये जा चुके हैं, जो न तो पात्र गृहस्थी में आते हैं और न ही अंत्योदय योजना में. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तमाम मृतकों की यूनिट चढ़ी हुई है या लड़कियों की शादी हो चुकी है और दो जगह उनकी यूनिटें चढ़ी हैं, ऐसे लोग इन यूनिट को कटा दें. इसके अलावा जो लोग सक्षम हैं और सरकारी खाद्यान्न के जरूरतमंद नहीं हैं. वे भी अपने कार्ड सरंडर कर दें. इससे असल जरूरतमन्दों को इस योजना का लाभ दिया जा सके.
कौन हैं पात्र: वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू कामकाज करने वाले, भिक्षावृत्ति करने वाले, माता-पिता विहीन बच्चे, दैनिक वेतन भोगी, भूमिहीन मजदूर, ऐसे परिवार जिनका मुखिया निराश्रित, महिला, विकलांग या कोई बालिग पुरूष नहीं है, आवासहीन परिवार के अलावा ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय दो लाख रुपये है.
कौन हैं अपात्र: आयकरदाता, चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, एसी, 05 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता के जनरेटर, 05 एकड़ से ज्यादा सिंचित जमीन, एक से ज्यादा शास्त्र लाइसेंस धारक, वार्षिक आय 02 लाख से ज्यादा.
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भले ही गलत ढंग से सरकारी राशन ले रहे लोगों में इस अभियान को लेकर नाराजगी हो, लेकिन ये तय है कि शासन के इस अभियान से गरीबों और सरकारी राशन के असल हकदारों को इसका लाभ जरूर पहुंचेगा.
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