बाराबंकी: फौजदारी के पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता के बेटे का 2021 में फिरौती के लिए अपहरण कर उसकी हत्या कर शव को छिपा दिया गया था. इस मामले में मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-1 आनंद कुमार प्रथम ने 2 आरोपियों दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
अभियोजक अधिकारी सुनील कुमार दुबे ने अबताया कि नगर कोतवाली के फतहाबाद निवासी पूर्व डीजीसी क्रिमिनल बुंदीलाल ने 14 अक्टूबर 2021 को नगर कोतवाली में तहरीर देकर बताया कि 14 अक्टूबर 2021 को वह घर पर नहीं थे. उनकी पत्नी किसी काम से बनारस गई थी. घर पर उनका बड़ा बेटा अनुराग चौधरी और छोटा बेटा आशुतोष चौधरी (17) मौजूद थे. करीब 2 बजे दिन में छोटा बेटा आशुतोष चौधरी बड़े बेटे अनुराग से अपने दोस्त आर्यन के यहां बताकर घर से निकला था. काफी देर तक जब आशुतोष घर नहीं लौटा तो अनुराग ने आशुतोष के मोबाइल फोन पर कॉल किया. फोन किसी दूसरे युवक ने उठाकर कहा कि वह लखनऊ से बोल रहा है. तुम्हारे भाई को किडनैप कर लिया गया है. उसे 50-60 लाख रुपये चाहिए. तभी तुम्हारा भाई मिलेगा. साथ ही रात 9 बजे फोन खोलने की बात कहकर फोन स्विच ऑफ कर लिया.
तहरीर पर नगर कोतवाली में 14 अक्टूबर को अज्ञात के खिलाफ 364-A आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा लिखकर तफ्तीश शुरू की गई. फोन कॉल की लोकेशन को ट्रेस करते हुए पुलिस ने आशुतोष का शव बरामद कर 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. अभियुक्तों ने आशुतोष की हत्या कर उसके शव को छिपा दिया था. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य संकलित कर सत्येंद्र कुमार निवासी करीमपुर बलिया और नागेंद्र निवासी सरकिला थाना मोतीपुर बहराइच के खिलाफ धारा 364-A, 302, 201 आईपीसी के तहत चार्जशीट न्यायालय पर दाखिल की. इस मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षो की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-1 आनंद कुमार प्रथम ने दोनों अभियुक्तों सत्येंद्र कुमार और नागेंद्र को दोषी ठहराया. साथ ही आरोपियों को आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपयों के जुर्माने की सजा सुनाई.
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