बाराबंकी. यूपी के बाराबंकी में हनीट्रैप (Honey trap) के जरिये बलात्कार एवं शोषण में फंसाने की धमकी देकर भोले-भाले लोगों से पैसे वसूलने (Extortion) के आरोपी एक आरक्षी को पुलिस कप्तान अनुराग वत्स ने बर्खास्त (Dismiss) कर दिया है. शिकायत मिलने पर बीते वर्ष नवंबर में आरोपी आरक्षी को जेल भेजा गया था. उसके बाद पुलिस कप्तान ने एडिशनल एसपी से मामले की जांच कराई थी. जांच में कतिपय आरोप सही पाए गए.
बीती 16 नवंबर 2021 को लखनऊ के गोसाईगंज निवासी अरविंद कुमार ने सतरिख थाने में तहरीर दी थी कि वह बाराबंकी जिले के कोठी थाना क्षेत्र के गुलरिहा में अपने मामा अनिल वर्मा के यहां आता-जाता रहता था. 14 सितंबर 2021 को एक युवती से उसकी फोन पर बात हुई. युवती ने उसे मिलने के लिए भानमऊ चौराहे बुलाया. अरविंद वर्मा और उसका मामा जब वहां पहुंचा तो उस युवती ने उसे एकांत स्थान पर चलने को कहा. एकांत स्थान पर पहुंचने पर वहां पहले से एक युवती मौजूद थी. उसके बाद युवती ने फोन करके एक पुलिसकर्मी व एक अन्य व्यक्ति को बुला लिया. दोनों ने आते ही उसको पकड़ लिया और तभी दोनों महिलाओं ने उसकी जेब से पर्स निकालकर उसमे रखे 7 हजार रुपये निकाल लिए. इसके बाद पुलिसकर्मी जबरन उसकी मोटरसाइकिल पर और पुलिसकर्मी के साथी ने उसके मामा को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा लिया और बाराबंकी की ओर चल पड़े. थोड़ी दूर ले जाने के बाद पुलिसकर्मी ने बाइक रुकवाकर उसे थप्पड़ मारते हुए कहा कि महिलाओं का बलात्कार करते हो. अरविंद ने जैसे ही सफाई देनी चाही कि पुलिसकर्मी ने गाली देते हुए उसे बलात्कार जैसे आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी देकर उससे धन उगाही की.
पीड़ित अरविंद ने 16 नवंबर 2021 को थाना सतरिख में आरक्षी धर्मेंद्र यादव, श्रवण कुमार सहित उन दोनों महिलाओं के खिलाफ तहरीर दी. मामले की गंभीरता को देखते हुए गंभीरता को देखते हुए सतरिख पुलिस ने आरोपी सिपाही धर्मेंद्र यादव, श्रवण कुमार, पूजा और सुनीता देवी उर्फ पंडिताइन के खिलाफ 389,323,504,506,34 और 120 बी आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की तो हनीट्रैप के इस खेल का खुलासा हो गया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल एसपी मनोज पांडेय के निर्देशन और सीओ सदर के पर्यवेक्षण में साक्ष्य इकट्ठा किए गए. छानबीन के दौरान जो सच्चाई सामने आई, उसने सबको हैरत में डाल दिया था.
दरअसल, इन आरोपियों का एक गैंग था जो सतरिख-लखनऊ मार्ग से गुजरने वाले लोगों के साथ-साथ दूसरे लोगों को अपना शिकार बनाता था. गैंग के लोग किसी तरह अपने शिकार का फोन नंबर लेकर युवती से फोन कराते थे. भोले-भाले लोग उनके जाल में फंस जाते थे. कभी-कभी युवती सड़क किनारे खड़ी होकर लिफ्ट मांगती थी और उधर से गुजरने वाले लोग युवती को अकेला समझकर लिफ्ट दे देते थे. कुछ दूर जाने पर मौका देखकर युवती फोन करके आरोपी आरक्षी को बुला लेती थी. फिर शिकार को धमकाकर उससे धन की वसूली की जाती थी.
पुलिस ने आनन-फानन कार्रवाई करते हुए आरोपी सिपाही धर्मेंद्र यादव को निलंबित कर चारों आरोपियों को 17 नवंबर 2021 को जेल भेज दिया था. इस मामले की जांच पुलिस अधीक्षक ने एडिशनल एसपी को सौंपी थी. जांच में आरोपी सिपाही के खिलाफ लगाए गए कतिपय आरोपों की पुष्टि होने पर पुलिस कप्तान अनुराग वत्स ने शनिवार को आरोपी सिपाही धर्मेंद्र यादव को बर्खास्त कर दिया है.
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