बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी में महिला सशक्तिकरण का एक अलग ही रूप देखने को मिल रहा है. घर की दहलीज से निकलकर यहां की महिलाएं अब सार्वजनिक स्थानों पर सफलतापूर्वक कैंटीन का संचालन कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनाने के लिए प्रेरित किया है यहां की मुख्य विकास अधिकारी एकता सिंह ने. सीडीओ की पहल पर विकास भवन में इन महिलाओं द्वारा खोली गई पहली कैंटीन का इस कदर असर हुआ कि अब ये पूरे जिले के सभी विकास खण्डों में खुल रही है. इनकी सफलता को देखते हुए सीडीओ एकता सिंह जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी महिलाओं द्वारा संचालित ऐसी कैंटीन खोलने की तैयारी में हैं.
विकास भवन में स्थित ये कैंटीन केवल महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है. घर की दहलीज से निकलकर कैंटीन के जरिये आत्मनिर्भर बनीं इन महिलाओं में अपने काम और निष्ठा को लेकर गजब का उत्साह है. कैंटीन को प्रेरणा कैंटीन नाम दिया गया है. इसका संचालन चेतना महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. समूह में दस महिला सदस्य हैं. ये महिलाएं नियमित कैंटीन पहुंचकर समूह अध्यक्ष आशा सिंह के नेतृत्व में तय किये कामों में लग जाती हैं. कुछ महिलाएं खाना बनाती हैं, तो कुछ खाने को ग्राहक तक पहुंचाती हैं, तो कुछ महिलाएं बर्तन साफ करती हैं. विकास भवन के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित इस कैंटीन में चाय नाश्ता के अलावा घर जैसे स्वाद वाला लजीज भोजन भी मिलता है.
जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण और शहरी आजीविका मिशन के जरिये संचालित होने वाले सैकड़ों महिला स्वयं सहायता समूह हैं. इनमें तमाम समूह तो बहुत सक्रिय हैं, जो पापड़, अचार, मुरब्बा, जैम समेत तमाम घरेलू उत्पाद तैयार कर रहे हैं. लेकिन, तमाम समूह कम सक्रिय हैं. कुछ दिनों पहले सीडीओ ने इन समूहों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योजना बनाई और फिर विकास भवन में प्रेरणा कैंटीन स्थापित करने का खाका तैयार हुआ. डूडा अधिकारी सौरभ त्रिपाठी ने शहरी आजीविका मिशन के चेतना समूह को इसके लिए राजी कर लिया और फिर इस समूह को सीडीओ ने प्रेरित किया इस तरह प्रेरणा कैंटीन अस्तित्व में आ गई.
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सीडीओ एकता सिंह की पहल पर चेतना समूह की महिलाएं आगे आईं और उन्होंने विकास भवन में कैंटीन की शुरुआत की. विकास भवन में तीन दर्जन से ज्यादा सरकारी कार्यालय हैं, जिनमें सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी काम करते हैं. कैंटीन खुल जाने से इनको भी काफी आसानी हो गई. दरअसल, पहले इन अधिकारियों और कर्मचारियों को लंच के लिए बाहर जाना पड़ता था, जिससे समय खराब होता था. अब इन्हें विकास भवन में ही लंच मिल जा रहा है. इस कैंटीन के जरिये समूह का हर महीने का 45 से 50 हजार रुपये का टर्नओवर है. विकास भवन ही नही अब तो सभी विकास खण्डों में भी प्रेरणा कैंटीन खुलने लगी हैं. जल्द ही जिले के हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी महिलाओं द्वारा संचालित कैंटीन नजर आएंगी.
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