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शिवानी सिंह की मुहिम लाई रंग, 23 गांवों में फैला रहीं शिक्षा का उजियारा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भियामऊ प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका शिवानी सिंह कोरोना महामारी के दौर में स्कूल बंद होने के चलते बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं. शिवानी की इस मुहिम से गांव के अन्य लोग भी प्रभावित हुए हैं...

नि:शुल्क शिक्षा दे रही शिवानी सिंह.
नि:शुल्क शिक्षा दे रही शिवानी सिंह.
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Published : Nov 15, 2020, 12:56 PM IST

बाराबंकी: कोविड-19 महामारी का बच्चों की पढ़ाई पर सबसे अधिक असर देखने को मिला है. करीब 3 माह के लॉकडाउन में जिले के सभी स्कूल पूर्ण रूप से बंद रहे. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई का सिलसिला थमने न पाए इसे लेकर एक शिक्षिका अनोखी मुहिम चला रही हैं. बाराबंकी जिला मुख्यालय से 48 किलोमीटर दूर हैदरगढ़ विकासखंड के भियामऊ गांव से शुरू हुई उनकी मुहिम आज 23 गांव तक पहुंच चुकी है.

ग्रामीण इलाके में बच्चों को मिल रही नि:शुल्क शिक्षा.
पहले 8 से 10 बच्चों को पढ़ाना किया था शुरू

अनलॉक के बाद ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी की तो शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. वहीं, हैदरगढ़ ब्लॉक के भियामऊ प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका शिवानी सिंह ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की जो मुहिम चलाई वह मिसाल बन गई. शुरुआत में उन्होंने वाट्सऐप ग्रुप बनाकर कुछ बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए जोड़ा, लेकिन नेटवर्क की दिक्कत और डेटा रिचार्ज के लिए अभिभावकों के पास आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगा, जिससे उनकी मंशा पूरी नहीं हो पाई. लिहाजा उन्होंने गांव जाकर बच्चों को पढ़ाने का मन बनाया. शिवानी ने सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए पहले 8 से 10 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. इस दौरान उनके मन में ख्याल आया कि अगर गांव के शिक्षित युवा भी इस काम में उनका साथ दें, तो अधिकतर बच्चे लाभान्वित हो सकते हैं.

स्कूल परिसर में पढ़ते बच्चे.
स्कूल परिसर में पढ़ते बच्चे.
गांव के शिक्षित युवक-युवतियों को किया प्रेरित

ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक ज्ञान की गंगा पहुंचाने के मकसद से शिवानी ने गांव के कुछ शिक्षित युवक और युवतियों को इसके लिए प्रेरित किया. धीरे-धीरे शिवानी के इस कार्य से प्रभावित होकर कई लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए राजी हो गए. इस तरह एक-एक करके 23 गांव के 514 युवा इस मुहिम से जुड़ गए, जो करीब 2300 बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. शिवानी की इस मुहिम से जुड़े युवाओं में खासा उत्साह है. अपने खाली समय का सदुपयोग कर रहे इन युवाओं का कहना है कि अगर उनसे किसी को लाभ हो रहा है, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है.

छात्राओं से बातचीत करतीं शिवानी सिंह.
छात्राओं से बातचीत करतीं शिवानी सिंह.

कार्य शुरू करने में तमाम बाधाएं आईं

शुरुआत में शिवानी के सामने तमाम बाधाएं आईं. संसाधनों की कमी आड़े आई, लेकिन धुन की पक्की शिवानी ने यह सारी बाधाएं पार कर लीं. गांव के बच्चों को लिखना-पढ़ना तो सिखाया ही जा रहा है, साथ ही शिवानी बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ स्पेनिश भाषा भी सिखा रही हैं. गांव वाले और अभिभावक भी शिवानी की इस मुहिम में पूरा सहयोग दे रहे हैं. यही नहीं तमाम अभिभावकों ने तो अपने बच्चों को भी इस मुहिम से जोड़ दिया है.

बच्चों को पढ़ाती हुईं शिवानी सिंह.
बच्चों को पढ़ाती हुईं शिवानी सिंह.

अभिभावकों की चिंता दूर

कोरोना महामारी के इस समय में जब पढ़ाई ठप होने से अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे, ऐसे में शिवानी की यह मुहिम किसी रोशनी से कम नहीं. शिवानी की इस मुहिम की सराहना शिक्षा विभाग भी कर रहा है. इनके इस काम के लिए प्रशासन शिवानी को सम्मानित करने की भी योजना बना रहा है. ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं शिवानी सिंह की यह मुहिम न केवल काबिल-ए-तारीफ है, बल्कि दूसरे शिक्षकों के लिए प्रेरणा का सबब भी है. निश्चय ही ऐसे नवाचारों के जरिए समाज में शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

बाराबंकी: कोविड-19 महामारी का बच्चों की पढ़ाई पर सबसे अधिक असर देखने को मिला है. करीब 3 माह के लॉकडाउन में जिले के सभी स्कूल पूर्ण रूप से बंद रहे. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई का सिलसिला थमने न पाए इसे लेकर एक शिक्षिका अनोखी मुहिम चला रही हैं. बाराबंकी जिला मुख्यालय से 48 किलोमीटर दूर हैदरगढ़ विकासखंड के भियामऊ गांव से शुरू हुई उनकी मुहिम आज 23 गांव तक पहुंच चुकी है.

ग्रामीण इलाके में बच्चों को मिल रही नि:शुल्क शिक्षा.
पहले 8 से 10 बच्चों को पढ़ाना किया था शुरू

अनलॉक के बाद ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी की तो शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. वहीं, हैदरगढ़ ब्लॉक के भियामऊ प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका शिवानी सिंह ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की जो मुहिम चलाई वह मिसाल बन गई. शुरुआत में उन्होंने वाट्सऐप ग्रुप बनाकर कुछ बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए जोड़ा, लेकिन नेटवर्क की दिक्कत और डेटा रिचार्ज के लिए अभिभावकों के पास आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगा, जिससे उनकी मंशा पूरी नहीं हो पाई. लिहाजा उन्होंने गांव जाकर बच्चों को पढ़ाने का मन बनाया. शिवानी ने सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए पहले 8 से 10 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. इस दौरान उनके मन में ख्याल आया कि अगर गांव के शिक्षित युवा भी इस काम में उनका साथ दें, तो अधिकतर बच्चे लाभान्वित हो सकते हैं.

स्कूल परिसर में पढ़ते बच्चे.
स्कूल परिसर में पढ़ते बच्चे.
गांव के शिक्षित युवक-युवतियों को किया प्रेरित

ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक ज्ञान की गंगा पहुंचाने के मकसद से शिवानी ने गांव के कुछ शिक्षित युवक और युवतियों को इसके लिए प्रेरित किया. धीरे-धीरे शिवानी के इस कार्य से प्रभावित होकर कई लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए राजी हो गए. इस तरह एक-एक करके 23 गांव के 514 युवा इस मुहिम से जुड़ गए, जो करीब 2300 बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. शिवानी की इस मुहिम से जुड़े युवाओं में खासा उत्साह है. अपने खाली समय का सदुपयोग कर रहे इन युवाओं का कहना है कि अगर उनसे किसी को लाभ हो रहा है, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है.

छात्राओं से बातचीत करतीं शिवानी सिंह.
छात्राओं से बातचीत करतीं शिवानी सिंह.

कार्य शुरू करने में तमाम बाधाएं आईं

शुरुआत में शिवानी के सामने तमाम बाधाएं आईं. संसाधनों की कमी आड़े आई, लेकिन धुन की पक्की शिवानी ने यह सारी बाधाएं पार कर लीं. गांव के बच्चों को लिखना-पढ़ना तो सिखाया ही जा रहा है, साथ ही शिवानी बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ स्पेनिश भाषा भी सिखा रही हैं. गांव वाले और अभिभावक भी शिवानी की इस मुहिम में पूरा सहयोग दे रहे हैं. यही नहीं तमाम अभिभावकों ने तो अपने बच्चों को भी इस मुहिम से जोड़ दिया है.

बच्चों को पढ़ाती हुईं शिवानी सिंह.
बच्चों को पढ़ाती हुईं शिवानी सिंह.

अभिभावकों की चिंता दूर

कोरोना महामारी के इस समय में जब पढ़ाई ठप होने से अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे, ऐसे में शिवानी की यह मुहिम किसी रोशनी से कम नहीं. शिवानी की इस मुहिम की सराहना शिक्षा विभाग भी कर रहा है. इनके इस काम के लिए प्रशासन शिवानी को सम्मानित करने की भी योजना बना रहा है. ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं शिवानी सिंह की यह मुहिम न केवल काबिल-ए-तारीफ है, बल्कि दूसरे शिक्षकों के लिए प्रेरणा का सबब भी है. निश्चय ही ऐसे नवाचारों के जरिए समाज में शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

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