बाराबंकी: भले ही सरकार परिवार नियोजन जैसे राष्ट्रीय प्रोग्राम को लेकर गम्भीर हो लेकिन, जिम्मेदार इसके प्रति संवेदनहीन बने हुए हैं. कम से कम बाराबंकी में तो कुछ ऐसा ही है. यहां तो डॉक्टरों ने लापरवाही की हद ही पार कर दी. राष्ट्रीय प्रोग्राम में भागेदारी निभाने के लिए नसबंदी कराने आई 19 महिलाओं में से अधिकतर को नसबंदी के पूर्व एनेस्थेसिया के इंजेक्शन (बेहोशी का इंजेक्शन) तो दे दिए गए लेकिन, जब डॉ. अजीत ने सीएचसी में अव्यस्था देखी तो उनका मूड खराब हो गया और वह बिना ऑपरेशन किए ही वहां से चले गए. दरअसल, ऑपरेशन के लिए समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी, इसको लेकर डॉक्टर भड़क गए. उनकी इस लापरवाही का खामियाजा भोली भाली महिलाओं को भुगतना पड़ा. फिलहाल सीएमओ ने सीएचसी प्रभारी और ऑपरेशन करने के लिए ड्यूटी पर लगाये गए डॉक्टरों से स्पष्टीकरण तलब किया है.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद की रामनगर सीएचसी पर शुक्रवार को नसबंदी कैम्प लगा था. दूरदराज की 19 महिलाएं नसबंदी कराने के लिए आईं थीं. वे करीब 11 बजे सीएचसी पहुंच गईं. डॉ़ अजीत को ऑपरेशन करना था. डॉ. अजीत ने सीएचसी अधीक्षक से तैयारी कर लेने को कहा था. सीएचसी प्रभारी डॉ. हेमंत गुप्ता ने बताया कि तैयारी पूरी कर ली गई थी. करीब 10 महिलाओं को ऑपरेशन से पूर्व दिए जाने वाले एनेस्थेसिया के इंजेक्शन लगा दिए गए थे. डॉ. अजीत जब सीएचसी पहुंचे और अस्पताल में अव्यवस्था देखी तो उनका मूड उखड़ गया. ऑपरेशन के लिए संसाधन न होने और अव्यवस्था होने की बात करते हुए डॉ. अजीत वापस लौट गए. हैरान कर देने वाली बात यह कि उन्होंने यह भी परवाह नहीं की कि महिलाओं को एनेस्थेसिया के इंजेक्शन दिए जा चुके हैं.
बिना ऑपरेशन के वापस हो जाने की जानकारी होने पर नसबंदी कराने आई महिलाओं और उनके परिजनों में हड़कम्प मच गया. काफी देर तक अस्पताल में अफरातफरी का माहौल रहा. महिलाएं घण्टों बेसुध पड़ी रहीं. आखिरकार काफी देर बाद जब महिलाओं में एनेस्थेसिया के इंजेक्शनों का असर कम हुआ तब वे वापस हो पाईं. इस खबर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को हैरान कर दिया. सीएमओ डॉ. अवधेश यादव ने बताया कि ये गम्भीर मामला है. सीएचसी अधीक्षक डॉ. हेमंत गुप्ता और ऑपरेशन करने गए डॉ. अजीत दोनों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. इस मामले में जिसकी भी लापरवाही मिलेगी उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.