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'हरिशंकरी' पौधे बढ़ाएंगे वातावरण में ऑक्सीजन लेवल, 1161 पंचायतों में लागू होगी वन विभाग की पहल

पर्यावरण में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए बाराबंकी के वन विभाग धार्मिक महत्व वाले हरिशंकरी पौधे रोपने जा रहा है. पर्यावरण दिवस के मौके पर जिले की ग्राम पंचायतों में इन्हें रोपा जाएगा.

'हरिशंकरी' पौधे
'हरिशंकरी' पौधे
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Published : Jun 4, 2022, 9:17 AM IST

Updated : Jun 4, 2022, 9:44 AM IST

बाराबंकी: पर्यावरण में ऑक्सीजन लेवल (Oxygen level in Environment) बढाने के लिए वन विभाग (Forest department) ने नई पहल शुरू की है. विभाग 5 जून को पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में अलग-अलग दिनों में गांव-गांव धार्मिक महत्व वाले हरिशंकरी पौधे यानी पीपल, बरगद और पाकड़ रोपित करने जा रहा है. खास बात है कि ये तीनों पौधे एक ही गड्ढे में रोपित किये जायेंगे. ये पौधे एक साथ पूरे जिले की सभी 1161 ग्राम पंचायतों में रोपित किये जायेंगे.



क्या है विभाग की मंशा: कोरोना काल मे ऑक्सीजन का संकट झेल चुके समाज को भविष्य में फिर कभी ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं हो इसके लिए शासन की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा हरिशंकरी पौधे लगाए जाएं. दरअसल, हरिशंकरी पौधे यानी पीपल, बरगद और पाकड़ रात में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं. साथ ही इनका धार्मिक रूप से भी खासा महत्व है. बड़े होने पर ये दूर तक फैलकर बड़ा घेरा बनाते हैं जिससे घनी छाया भी मिलती है.



सुरक्षित स्थल चिन्हित: वन विभाग ने इन खास किस्म के पौधों को लगाने का मेकेनिज्म भी तैयार किया है. वन विभाग इस वृक्षारोपण में पंचायत राज विभाग से सहयोग ले रहा है. गांव-गांव सुरक्षित स्थल चिन्हित किये गए हैं. ग्राम पंचायतों में ऐसे स्थान फाइनल किए जा चुके हैं, जहां एक गुणा एक मीटर का गड्ढा खोदकर तीनों पेड़ एक साथ रोपित किये जायेंगे.

पर्यावरण को लेकर वन विभाग की योजना की जानकारी देते संवाददाता.

वृद्धि के लिए खास ख्याल: वन विभाग और पंचायती राज विभाग के संयुक्त प्रयास से इस अभियान को अमली जामा पहनाया जाएगा. गड्ढे में ये तीनों पेड़ लगाए जाएंगे. जगह के चयन में भी खास ध्यान रखा गया है. चूंकि ये तीनों पेड़ दीर्घायु होते हैं और आगे चलकर विशालकाय रूप ले लेते हैं. इसलिए ऐसे स्थान पर इन्हें लगाया जाना है ताकि इनकी वृद्धि में कोई अड़चन न आए.

देव वृक्ष पीपल:पीपल मोरेसी कुल का वृक्ष है. इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस रिलीजिओसा है. पीपल को भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. इसे देव वृक्ष माना जाता है. तमाम पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है.पीपल की आयु बहुत लंबी होती है. स्कंद पुराण में वर्णित है कि पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण और पत्तियों में श्रीहरि निवास करते हैं. पीपल का पेड़ 24 घण्टे ऑक्सीजन देता है.

शिव समान बरगद: बरगद का पेड़ बहुत विशालकाय होता है. बरगद का भी धार्मिक महत्व है. बरगद को शिव समान माना जाता है. अनेक व्रत व त्योहारों में वट वृक्ष की पूजा की जाती है. बरगद की आयु 300 से 400 तक होती है. बरगद भी लंबी उम्र के चलते प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है.


लंबी उम्र वाला पाकड़: पाकड़ का वैज्ञानिक नाम फाइकस वाइरेन्स है. पाकड़ को पकड़िया भी बोला जाता है. पाकड़ का भी सांस्कृतिक महत्व है. ये दीर्घायु होता है. चूंकि ये बहुत दिनों तक जिंदा रहता है लिहाजा ये लगातार ऑक्सीजन देता है.

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बाराबंकी: पर्यावरण में ऑक्सीजन लेवल (Oxygen level in Environment) बढाने के लिए वन विभाग (Forest department) ने नई पहल शुरू की है. विभाग 5 जून को पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में अलग-अलग दिनों में गांव-गांव धार्मिक महत्व वाले हरिशंकरी पौधे यानी पीपल, बरगद और पाकड़ रोपित करने जा रहा है. खास बात है कि ये तीनों पौधे एक ही गड्ढे में रोपित किये जायेंगे. ये पौधे एक साथ पूरे जिले की सभी 1161 ग्राम पंचायतों में रोपित किये जायेंगे.



क्या है विभाग की मंशा: कोरोना काल मे ऑक्सीजन का संकट झेल चुके समाज को भविष्य में फिर कभी ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं हो इसके लिए शासन की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा हरिशंकरी पौधे लगाए जाएं. दरअसल, हरिशंकरी पौधे यानी पीपल, बरगद और पाकड़ रात में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं. साथ ही इनका धार्मिक रूप से भी खासा महत्व है. बड़े होने पर ये दूर तक फैलकर बड़ा घेरा बनाते हैं जिससे घनी छाया भी मिलती है.



सुरक्षित स्थल चिन्हित: वन विभाग ने इन खास किस्म के पौधों को लगाने का मेकेनिज्म भी तैयार किया है. वन विभाग इस वृक्षारोपण में पंचायत राज विभाग से सहयोग ले रहा है. गांव-गांव सुरक्षित स्थल चिन्हित किये गए हैं. ग्राम पंचायतों में ऐसे स्थान फाइनल किए जा चुके हैं, जहां एक गुणा एक मीटर का गड्ढा खोदकर तीनों पेड़ एक साथ रोपित किये जायेंगे.

पर्यावरण को लेकर वन विभाग की योजना की जानकारी देते संवाददाता.

वृद्धि के लिए खास ख्याल: वन विभाग और पंचायती राज विभाग के संयुक्त प्रयास से इस अभियान को अमली जामा पहनाया जाएगा. गड्ढे में ये तीनों पेड़ लगाए जाएंगे. जगह के चयन में भी खास ध्यान रखा गया है. चूंकि ये तीनों पेड़ दीर्घायु होते हैं और आगे चलकर विशालकाय रूप ले लेते हैं. इसलिए ऐसे स्थान पर इन्हें लगाया जाना है ताकि इनकी वृद्धि में कोई अड़चन न आए.

देव वृक्ष पीपल:पीपल मोरेसी कुल का वृक्ष है. इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस रिलीजिओसा है. पीपल को भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. इसे देव वृक्ष माना जाता है. तमाम पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है.पीपल की आयु बहुत लंबी होती है. स्कंद पुराण में वर्णित है कि पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण और पत्तियों में श्रीहरि निवास करते हैं. पीपल का पेड़ 24 घण्टे ऑक्सीजन देता है.

शिव समान बरगद: बरगद का पेड़ बहुत विशालकाय होता है. बरगद का भी धार्मिक महत्व है. बरगद को शिव समान माना जाता है. अनेक व्रत व त्योहारों में वट वृक्ष की पूजा की जाती है. बरगद की आयु 300 से 400 तक होती है. बरगद भी लंबी उम्र के चलते प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है.


लंबी उम्र वाला पाकड़: पाकड़ का वैज्ञानिक नाम फाइकस वाइरेन्स है. पाकड़ को पकड़िया भी बोला जाता है. पाकड़ का भी सांस्कृतिक महत्व है. ये दीर्घायु होता है. चूंकि ये बहुत दिनों तक जिंदा रहता है लिहाजा ये लगातार ऑक्सीजन देता है.

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Last Updated : Jun 4, 2022, 9:44 AM IST
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