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हत्या के मामले में 3 भाइयों सहित 5 को उम्रकैद, जिस दिन हुई थी हत्या, उसी तारीख को मिला न्याय

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Published : Mar 22, 2023, 10:22 AM IST

बारबंकी जिला कोर्ट ने 15 साल पुराने हत्या के मामले में 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने सभी पर 16-16 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

बारंबकी जिला कोर्ट
बारंबकी जिला कोर्ट

बाराबंकीः जिले में 15 वर्ष पहले एक युवक की हत्या के मामले में कोर्ट ने 3 सगे भाइयों सहित 5 आरोपियों को दोषी करार दिया. दो पड़ोसियों के बच्चों के बीच मामूली विवाद के बाद युवक की 21 मार्च 2008 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिला सत्र न्यायालय रवीन्द्र नाथ दुबे ने मामले में दोषियों को हत्या के ठीक 15 साल पूरे होने के दिन ही सजा सुनाई. कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास के साथ ही प्रत्येक पर 16-16 हजार रुपये जुर्माने भी लगाया.

डीजीसी क्रिमिनल राजेश कुमार पांडेय और एडीजीसी क्रिमिनल आशीष शरण गुप्ता ने अभियोजन कथानक का ब्योरा दिया. उन्होंने बताया कि जैदपुर थाना क्षेत्र के शाह कडेरा निवासी विजय बहादुर वर्मा ने जैदपुर थाने में 21 मार्च 2008 को तहरीर दी थी. तहरीर में उन्होंने बताया था कि 20 मार्च को शाम करीब 6 बजे उसके भाई के लड़के धर्मेंद्र कुमार से पड़ोसी अमर सिंह की लड़की और लड़कों से किसी बात पर कुछ कहासुनी हो गई थी. इसी बात को लेकर अमर सिंह और उसके घर वालों ने मारपीट की थी. बाद में सुलह समझौता के बाद कुछ लोगों ने मामले को शांत करा दिया था.

तहरीर के अनुसार, इसके बाद 21 मार्च 2008 को सुबह उनका लड़का राहुल कुमार और भतीजा धर्मेंद्र शौच के बाद वापस आ रहे थे. इसी दौरान गांव के पिंटू, रामविलास, हरिनाम और अमरसिंह पुत्र माता प्रसाद, शत्रोहन पुत्र विपत, अवधेश चंद्र पुत्र प्यारेलाल और नंदकिशोर पुत्र दुलारे ये सभी नंदकिशोर के घर पर घात लगाए बैठे थे. पिंटू और शत्रोहन के हाथ में बंदूक थी और बाकी लोग कट्टा, लाठी, डंडा और गड़ासा लिए हुए थे. इस दौरान जैसे ही राहुल और धर्मेंद उनके करीब पहुंचे. इन लोगों ने उन पर हमला कर दिया. दोनों कुछ समझ पाते इतने में उन लोगों ने इन पर फायरिंग कर दी. इस दौरान राहुल के सिर में गोली लग गई. गोली की आवाज सुनकर लोग उन्हें बचाने दौड़े, तब तक हमलावरों ने वादी के ऊपर भी कट्टे से फायर कर दिया.

डीजीसी क्रिमिनल और एडीजीसी क्रिमिनल ने बताया कि उन लोगों के तांडव से गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. पूरे गांव के लोग दहशत में आ गए. वादी विजय बहादुर किसी तरह अपने बेटे राहुल को मोटरसाइकिल से लेकर थाने पहुंचा. जहां से घायल राहुल को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. लेकिन, अस्पताल ले जाते समय राहुल की मौत हो गई. वादी की तहरीर पर जैदपुर थाने में अभियुक्त पिंटू, शत्रोहन, अवधेश चंद्र, रामविलास, हरिनाम सिंह, अमर सिंह और नंदकिशोर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया.

गौरतलब है कि तत्कालीन विवेचक ने विवेचना कर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. मामले के विचारण के दौरान अभियुक्त पिंटू की मृत्यु हो गई. अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह प्रस्तुत किए. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दलीलें सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश रवीन्द्र नाथ दुबे ने 5 आरोपियों शत्रोहन, हरिनाम सिंह, राम विलास, अमर सिंह और नंद किशोर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक को 16-16 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि, आरोपी अवधेश चन्द्र को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

ये भी पढ़ेंः Umesh Pal Murder Case : अतीक अहमद के ध्वस्त कार्यालय के पीछे छिपाया गया था कैश और अवैध असलहे

बाराबंकीः जिले में 15 वर्ष पहले एक युवक की हत्या के मामले में कोर्ट ने 3 सगे भाइयों सहित 5 आरोपियों को दोषी करार दिया. दो पड़ोसियों के बच्चों के बीच मामूली विवाद के बाद युवक की 21 मार्च 2008 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिला सत्र न्यायालय रवीन्द्र नाथ दुबे ने मामले में दोषियों को हत्या के ठीक 15 साल पूरे होने के दिन ही सजा सुनाई. कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास के साथ ही प्रत्येक पर 16-16 हजार रुपये जुर्माने भी लगाया.

डीजीसी क्रिमिनल राजेश कुमार पांडेय और एडीजीसी क्रिमिनल आशीष शरण गुप्ता ने अभियोजन कथानक का ब्योरा दिया. उन्होंने बताया कि जैदपुर थाना क्षेत्र के शाह कडेरा निवासी विजय बहादुर वर्मा ने जैदपुर थाने में 21 मार्च 2008 को तहरीर दी थी. तहरीर में उन्होंने बताया था कि 20 मार्च को शाम करीब 6 बजे उसके भाई के लड़के धर्मेंद्र कुमार से पड़ोसी अमर सिंह की लड़की और लड़कों से किसी बात पर कुछ कहासुनी हो गई थी. इसी बात को लेकर अमर सिंह और उसके घर वालों ने मारपीट की थी. बाद में सुलह समझौता के बाद कुछ लोगों ने मामले को शांत करा दिया था.

तहरीर के अनुसार, इसके बाद 21 मार्च 2008 को सुबह उनका लड़का राहुल कुमार और भतीजा धर्मेंद्र शौच के बाद वापस आ रहे थे. इसी दौरान गांव के पिंटू, रामविलास, हरिनाम और अमरसिंह पुत्र माता प्रसाद, शत्रोहन पुत्र विपत, अवधेश चंद्र पुत्र प्यारेलाल और नंदकिशोर पुत्र दुलारे ये सभी नंदकिशोर के घर पर घात लगाए बैठे थे. पिंटू और शत्रोहन के हाथ में बंदूक थी और बाकी लोग कट्टा, लाठी, डंडा और गड़ासा लिए हुए थे. इस दौरान जैसे ही राहुल और धर्मेंद उनके करीब पहुंचे. इन लोगों ने उन पर हमला कर दिया. दोनों कुछ समझ पाते इतने में उन लोगों ने इन पर फायरिंग कर दी. इस दौरान राहुल के सिर में गोली लग गई. गोली की आवाज सुनकर लोग उन्हें बचाने दौड़े, तब तक हमलावरों ने वादी के ऊपर भी कट्टे से फायर कर दिया.

डीजीसी क्रिमिनल और एडीजीसी क्रिमिनल ने बताया कि उन लोगों के तांडव से गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. पूरे गांव के लोग दहशत में आ गए. वादी विजय बहादुर किसी तरह अपने बेटे राहुल को मोटरसाइकिल से लेकर थाने पहुंचा. जहां से घायल राहुल को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. लेकिन, अस्पताल ले जाते समय राहुल की मौत हो गई. वादी की तहरीर पर जैदपुर थाने में अभियुक्त पिंटू, शत्रोहन, अवधेश चंद्र, रामविलास, हरिनाम सिंह, अमर सिंह और नंदकिशोर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया.

गौरतलब है कि तत्कालीन विवेचक ने विवेचना कर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. मामले के विचारण के दौरान अभियुक्त पिंटू की मृत्यु हो गई. अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह प्रस्तुत किए. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दलीलें सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश रवीन्द्र नाथ दुबे ने 5 आरोपियों शत्रोहन, हरिनाम सिंह, राम विलास, अमर सिंह और नंद किशोर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक को 16-16 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि, आरोपी अवधेश चन्द्र को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

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