बाराबंकी: कृषि विभाग के कर्मचारी पूरे जुलाई महीने में गांव-गांव जाकर चूहे और छछूंदर पकड़ेंगे. चौंकिए नहीं ये सच है. दरअसल, संचारी रोगों की रोकथाम के लिए शुरू हुए इस विशेष अभियान में कृषि विभाग को ये जिम्मेदारी दी गई है. ये अभियान 31 जुलाई तक चलेगा.
बरसात के मौसम में संचारी रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. नाले-नालियों और गंदगी से पनपने वाले कीटों और जानवरों से संचारी रोग तेजी से फैलते हैं. मच्छर, चूहे और छछूंदर इन रोगों को आसानी से फैला देते हैं. दिमागी बुखार, लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस बुखार के ये खास वाहक माने जाते हैं. कृषि विभाग गांव-गांव जाकर इनका नियंत्रण करेगा, ताकि इन बीमारियों को फैलने से रोका जा सके.
संचारी रोग
इन्फ्लूएंजा, जापानी इंसेफ्लाइटिस, टीबी, दाद, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड, पोलियो, खसरा, डायरिया, मेनिनजाइटिस, डिप्थीरिया और एचआईवी
चूहों से लैप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी फैलती है. यह लैप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है. ये बैक्टीरिया ताजे पानी मे 16 दिन और मिट्टी में 24 दिन तक जीवित रहता है. ये वायरस तमाम पशुओं को प्रभावित कर सकता है.
इस बीमारी में बुखार, उल्टी, दस्त, शरीर में अकड़न, सिरदर्द, आंखों और मांसपेशियों में दर्द होता है. ये बीमारी चूहों के काटने, रोगग्रस्त चूहों के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के हवा में मिलने से फैलती है.
स्क्रब टाइफस बुखार भी चूहों और छछूंदर द्वारा फैलती है. ये बीमारी ऑरिएंटिया नामक बैक्टीरिया से फैलती है. ये बैक्टीरिया इनमें पाए जाते हैं. चूहों और छछूंदर द्वारा काटे जाने, उनके द्वारा अपने शरीर से तरल पदार्थ छोड़े जाने और इनके द्वारा किसी भी खाद्य पदार्थ या सामान को चाटने से ये बैक्टीरिया फैलता है और बीमारी पैदा करता है. जिससे तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर पर चकत्ते और गले मे सूजन हो जाती है.
पूरे एक महीने विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाएंगे. ग्रामीणों को जागरूक करेंगे. उसके बाद चूहों के बिलों को चिन्हित करेंगे. चूहों को बिलों से बाहर निकालने के लिए बिलों के बाहर ब्रेड या अनाज रखा जाएगा, जिससे चूहे निकलेंगे. उसके अगले दिन उसी जैसे खाने में दवा मिलाकर विषाक्त बनाया जाएगा और फिर उसे बिलों के बाहर रखा जाएगा, जिससे चूहे उसे खाकर मर जाये. फिर मरे हुए चूहों को आबादी या सार्वजनिक स्थल से दूर किसी बंजर जमीन में दबा दिए जाएंगे.
इस मामले में डॉ. प्रीति किरन बाजपेई, जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि निश्चय ही हर वर्ष संचारी रोगों से समाज को बड़ा नुकसान होता है. दिमागी बुखार तो डरा ही देता है. ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन रोगों से बचाव के लिए न केवल सतर्क बरतें, बल्कि चिकित्सा विभाग द्वारा बताए जा रहे तौर-तरीकों का भी पालन करें.
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