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2025 तक खत्म होगी टीबी की बीमारी, घर-घर ढूंढे जाएंगे मरीज

टीबी के नियंत्रण से कहीं आगे बढ़कर देश से टीबी का उन्मूलन करने का लक्ष्य 2025 तक का रखा गया है. इसके लिए चरणबद्ध अभियान चलाया जा रहा है. शनिवार को बाराबंकी में टीबी रोगी खोज अभियान की शुरुआत की गई है. बाराबंकी में इसके लिए 274 टीमें बनाई गईं.

बाराबंकी में टीबी रोगी खोज अभियान के लिए बनाई गईं 274 टीमें.
बाराबंकी में टीबी रोगी खोज अभियान के लिए बनाई गईं 274 टीमें.
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Published : Jan 2, 2021, 7:43 PM IST

बाराबंकी: वर्ष 2025 तक देश से हर हाल में टीबी के समूल नाश के लिए स्वास्थ्य विभाग, टीबी हारेगा, देश जीतेगा थीम के साथ लगातार चरणबद्ध अभियान चला रहा है. आज यानी शनिवार से एक बार फिर सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान की शुरुआत हो रही है.


टीबी नियंत्रण नहीं, उन्मूलन

टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से निजात दिलाने के लिए सरकार लगातार कोशिशें कर रही है. अभी तक इसके नियंत्रण पर काम किया जा रहा था, लेकिन पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप अब इसके उन्मूलन पर जोर दिया जा रहा है.

बाराबंकी में टीबी रोगी खोज अभियान के लिए बनाई गईं 274 टीमें.
शुरू हुआ रोगी खोजो महाभियान

दस दिनों तक चलने वाले मरीज खोजी महाभियान के लिए 274 टीमें लगाई गई हैं, जो घर-घर जाकर लोगों को इसके लक्षणों की जानकारी देंगी. साथ ही सम्भावित रोगी की जांच कराएंगी. आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के इस अभियान में अहम भूमिका रहेगी. इसके लिए उन्हें खास ट्रेनिंग दी गई है.

खोजे नहीं मिल रहे रोगी

लगातार अभियान चलाने के बाद भी विभाग की सर्विलांस टीम टीबी रोगियों को खोज नहीं पा रही है. ऐसे छुपे हुए रोगी समाज के लिए ज्यादा घातक हैं क्योंकि एक रोगी 25 से 30 मरीज और बढ़ा देता है.

20 फीसदी हाई रिस्क आबादी में खोजे जा रहे रोगी

सभी 16 ब्लॉकों में चलने वाले इस महाभियान में जिले की 20 फीसदी हाई रिस्क आबादी यानी 7 लाख 39 हजार 579 को चिन्हित किया गया है. 59 सुपरवाइजर की देखरेख में 274 टीमें एक लाख 44 हजार 510 घरों पर जाकर सम्भावित रोगी तलाशेंगी. पूरे अभियान की मॉनिटरिंग के लिए 16 चिकित्साधिकारियों को लगाया गया है. शाम को समीक्षा कर हर रोज शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी. हर रोज प्रत्येक टीम को कम से कम 50 घरों का सर्वे करना अनिवार्य बनाया गया है.

डाककर्मी भी कर रहे सहयोग

कोविड संकट से जंग के साथ-साथ वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की पीएम मोदी की मंशा को गति देने के लिए बीती पहली मई से एक नई योजना भी शुरू की गई थी. टीबी मरीजों के इलाज में कोई कोताही न हो, समय पर उनके बलगम के सैम्पल की जांच हो जाय इसके लिए डाक विभाग को भी लगाया गया है. जिले में 33 केंद्र हैं, जहां से सैम्पल इकट्ठा कर डाकिए उन्हें बाराबंकी, फतेहपुर और सूरतगंज में बनाये गए तीन सीबीनाट यानी कार्टिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट केंद्रों पर पहुंचाते हैं. अब तक 947 सैम्पल पहुंचाए जा चुके हैं.

घनी आबादियों को किया गया चिन्हित

इस अभियान के लिए घनी आबादी वाले इलाकों, अंधेरे में एक कमरे में रहने वाले इलाकों, मुस्लिम बस्तियों, मलिन बस्तियों, नट, पत्थरकट और डेरे में रहने वाली आबादी को चुना गया है. यही नहीं अभियान में धर्म गुरुओं और गांव के जिम्मेदार लोगों की भी मदद ली जा रही है ताकि लोग जांच कराने से पीछे न हटें.

जेल में भी चलेगा अभियान

जेल में निरुद्ध बंदियों की जांच के लिए भी विशेष अभियान चलेगा. सहायक जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि जिले में वर्ष 2018 से शुरू हुए इस चरणबद्ध अभियान में करीब 70 फीसदी आबादी कवर हो चुकी है. बाकी की 30 फीसदी आबादी को जल्द ही कवर कर लिया जाएगा. निश्चय ही देश के समुचित विकास के लिए टीबी जैसी घातक बीमारी का उन्मूलन जरूरी है. ऐसे में इस महाभियान में न केवल स्वास्थ्यकर्मियों को बल्कि समाज के सभी वर्गों को बढ़-चढ़ कर अपना योगदान देना होगा.

घातक है टीबी

  • एक जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2019 तक विभाग ने 6572 केस नोटिफाई किये, जिनमें 5325 का इलाज पूरा किया गया बाकी का इलाज चल रहा है. इनमें 380 मरीजों की मौत हो गई.
  • एक जनवरी 2020 से 31 दिसम्बर 2020 तक विभाग ने 4769 केस नोटिफाई किये जिनमें 2266 का इलाज पूरा हुआ, जबकि इनमें से 229 मरीजों की मौत हो गई.
  • जिले में 3811 मरीज हैं, जिनका सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि 593 मरीज निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं.

बाराबंकी: वर्ष 2025 तक देश से हर हाल में टीबी के समूल नाश के लिए स्वास्थ्य विभाग, टीबी हारेगा, देश जीतेगा थीम के साथ लगातार चरणबद्ध अभियान चला रहा है. आज यानी शनिवार से एक बार फिर सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान की शुरुआत हो रही है.


टीबी नियंत्रण नहीं, उन्मूलन

टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से निजात दिलाने के लिए सरकार लगातार कोशिशें कर रही है. अभी तक इसके नियंत्रण पर काम किया जा रहा था, लेकिन पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप अब इसके उन्मूलन पर जोर दिया जा रहा है.

बाराबंकी में टीबी रोगी खोज अभियान के लिए बनाई गईं 274 टीमें.
शुरू हुआ रोगी खोजो महाभियान

दस दिनों तक चलने वाले मरीज खोजी महाभियान के लिए 274 टीमें लगाई गई हैं, जो घर-घर जाकर लोगों को इसके लक्षणों की जानकारी देंगी. साथ ही सम्भावित रोगी की जांच कराएंगी. आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के इस अभियान में अहम भूमिका रहेगी. इसके लिए उन्हें खास ट्रेनिंग दी गई है.

खोजे नहीं मिल रहे रोगी

लगातार अभियान चलाने के बाद भी विभाग की सर्विलांस टीम टीबी रोगियों को खोज नहीं पा रही है. ऐसे छुपे हुए रोगी समाज के लिए ज्यादा घातक हैं क्योंकि एक रोगी 25 से 30 मरीज और बढ़ा देता है.

20 फीसदी हाई रिस्क आबादी में खोजे जा रहे रोगी

सभी 16 ब्लॉकों में चलने वाले इस महाभियान में जिले की 20 फीसदी हाई रिस्क आबादी यानी 7 लाख 39 हजार 579 को चिन्हित किया गया है. 59 सुपरवाइजर की देखरेख में 274 टीमें एक लाख 44 हजार 510 घरों पर जाकर सम्भावित रोगी तलाशेंगी. पूरे अभियान की मॉनिटरिंग के लिए 16 चिकित्साधिकारियों को लगाया गया है. शाम को समीक्षा कर हर रोज शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी. हर रोज प्रत्येक टीम को कम से कम 50 घरों का सर्वे करना अनिवार्य बनाया गया है.

डाककर्मी भी कर रहे सहयोग

कोविड संकट से जंग के साथ-साथ वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की पीएम मोदी की मंशा को गति देने के लिए बीती पहली मई से एक नई योजना भी शुरू की गई थी. टीबी मरीजों के इलाज में कोई कोताही न हो, समय पर उनके बलगम के सैम्पल की जांच हो जाय इसके लिए डाक विभाग को भी लगाया गया है. जिले में 33 केंद्र हैं, जहां से सैम्पल इकट्ठा कर डाकिए उन्हें बाराबंकी, फतेहपुर और सूरतगंज में बनाये गए तीन सीबीनाट यानी कार्टिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट केंद्रों पर पहुंचाते हैं. अब तक 947 सैम्पल पहुंचाए जा चुके हैं.

घनी आबादियों को किया गया चिन्हित

इस अभियान के लिए घनी आबादी वाले इलाकों, अंधेरे में एक कमरे में रहने वाले इलाकों, मुस्लिम बस्तियों, मलिन बस्तियों, नट, पत्थरकट और डेरे में रहने वाली आबादी को चुना गया है. यही नहीं अभियान में धर्म गुरुओं और गांव के जिम्मेदार लोगों की भी मदद ली जा रही है ताकि लोग जांच कराने से पीछे न हटें.

जेल में भी चलेगा अभियान

जेल में निरुद्ध बंदियों की जांच के लिए भी विशेष अभियान चलेगा. सहायक जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि जिले में वर्ष 2018 से शुरू हुए इस चरणबद्ध अभियान में करीब 70 फीसदी आबादी कवर हो चुकी है. बाकी की 30 फीसदी आबादी को जल्द ही कवर कर लिया जाएगा. निश्चय ही देश के समुचित विकास के लिए टीबी जैसी घातक बीमारी का उन्मूलन जरूरी है. ऐसे में इस महाभियान में न केवल स्वास्थ्यकर्मियों को बल्कि समाज के सभी वर्गों को बढ़-चढ़ कर अपना योगदान देना होगा.

घातक है टीबी

  • एक जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2019 तक विभाग ने 6572 केस नोटिफाई किये, जिनमें 5325 का इलाज पूरा किया गया बाकी का इलाज चल रहा है. इनमें 380 मरीजों की मौत हो गई.
  • एक जनवरी 2020 से 31 दिसम्बर 2020 तक विभाग ने 4769 केस नोटिफाई किये जिनमें 2266 का इलाज पूरा हुआ, जबकि इनमें से 229 मरीजों की मौत हो गई.
  • जिले में 3811 मरीज हैं, जिनका सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि 593 मरीज निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं.
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