बाराबंकी: जिले में ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर स्कूल संचालकों द्वारा किये जा रहे अभिभावकों के उत्पीड़न को रोके जाने को लेकर बीते 27 जुलाई से आमरण अनशन चल रहा है. आमरण अनशन कर रहे भाकियू भानुगुट के छात्र नेता की यह भी मांग है कि जब तक शिक्षण कार्य शुरू नहीं होता तब तक स्कूल संचालकों द्वारा फीस माफ की जाए.
इस मामले में प्रशासन के आश्वासन पर बुधवार को अनशन समाप्त किया गया. अनशन स्थल पर पहुंचे एसडीएम ने छात्रनेता अपुल वर्मा और उनके समर्थकों को जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया. इस दौरान सीओ सिटी, सीओ लाइन और नगर कोतवाल मौके पर मौजूद रहे.
कोरोना महामारी के दौरान निजी स्कूल संचालकों द्वारा फीस के नाम पर अभिभावकों का उत्पीड़न किया जा रहा है. फीस जमा करने को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है. यहां तक कि तमाम स्कूल ऐसे हैं जो पूरे साल की फीस जमा करने का भी अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर भी अभिभावकों का उत्पीड़न किया जा रहा है जबकि इस महामारी के समय अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ऐसे में बच्चों की फीस इनके लिए किसी दोहरी मार से कम नहीं है.
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन भानू गुट के छात्रनेता अपुल वर्मा ने बीती 27 जुलाई से शहर के गन्ना संस्थान में आमरण अनशन शुरू कर दिया था. अनशन पर बैठे छात्र नेता ने मांग की थी कि जब तक शिक्षण कार्य शुरू न हो तब तक फीस माफ कर दी जाय. दो दिन बाद बुधवार को एसडीएम नवाबगंज अभय पांडे सीओ सिटी, सीओ पुलिस लाइन और नगर कोतवाल के साथ धरना स्थल पहुंचे और उन्होंने आश्वासन के बाद अनशन समाप्त कराया.
इस दौरान अपुल वर्मा ने बताया कि जिले के तमाम स्कूलों द्वारा साल भर की फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. स्कूल कॉलेज बंद होने के बावजूद कई स्कूल संचालक स्टूडेंट्स को स्कूल बुला रहे हैं, इसके साथ ही साथ ही कई कोचिंग संस्थान भी चल रहे हैं. वहीं स्कूल की तरफ से ऑन लाइन क्लास के दौरान स्टूडेंट पर ड्रेस पहनने का दबाव बनाया जा रहा है.
इतना ही नहीं एंड्रॉयड मोबाइल खरीदने का भी दबाव बनाया जा रहा है. जिस कारण हमने आमरण अनशन किया. अपनी मांगों के बारे में उन्होंने बताया कि शासन स्तर से हमारी मांग है कि जब तक शिक्षण कार्य समुचित ढंग से शुरू न हो तब फीस माफ की जाय इसके साथ ही शिक्षा सत्र को शून्य किया जाय.