बांदा: जिले में शनिवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब चिता में रखे एक वृद्ध के शरीर को मुखग्नि देने की तैयारी हो रही थी. तभी शरीर में हरकत होने लगी. परिजनों और अंतिम संस्कार में शामिल होने आए लोगों ने देखा तो आनन-फानन में वृद्ध के शव को चिता से उठाया और जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां पर चिकित्सकों ने वृद्ध के शरीर का परीक्षण किया और फिर उसे मृत घोषित कर दिया. वहीं, शव को फिर से मुक्तिधाम ले जाया गया और अंतिम संस्कार किया गया. यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय भी बना हुआ है. वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि कभी-कभी शरीर में अंदर गैस फंसी रहती है और जब यह निकलती है तो शरीर में हरकत होती है.
बता दें कि शहर कोतवाली क्षेत्र के शंभू नगर मोहल्ले के रहने वाले एक वृंदावन पाल नाम के 75 वर्षीय वृद्ध की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. इसके बाद शनिवार को उसके परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए शहर के मुक्तिधाम लेकर आए थे. यहां पर वृद्ध के शरीर को मुखाग्नि देने के लिए चिता पर लिटाया गया. इसी बीच वृद्ध के मुंह व नाक से सांस लेने जैसी हरकत परिजनों को महसूस हुई तो हड़कंप मच गया. अंतिम संस्कार की तैयारियों को छोड़कर सभी लोगों ने वृद्ध के शरीर को चिता से उठाया और फिर उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे और शरीर की जांच कराई. यहां चिकित्सकों ने वृद्ध को मृत घोषित कर दिया.
पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल के अपर सीएमएस डॉ. विनीत सचान ने बताया कि कभी-कभी मृत शरीर में गैस फंसी होती है और जब शरीर को हिलाया डुलाया जाता है तो वह शरीर से बाहर आती है. वह नाक व मुंह के रास्ते से बाहर आती है. जब वृद्ध के शरीर को चिता पर रखा गया होगा तो उसका शरीर हिलने डुलने के कारण वह गैस बाहर निकली होगी और परिजनों को लगा होगा कि शायद उसमें जान है. उन्होंने कहा कि यहां वृद्ध के शरीर का परीक्षण किया गया था. इसमें पाया गया कि वृद्ध की मौत काफी पहले हो चुकी थी. क्योंकि, वृद्ध का शरीर पूरी तरह से ठंडा और जकड़ा हुआ था.
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