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बांदा पंचायत चुनाव 2021 : आज भी विकास की राह ताक रहे ये गांव, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे ग्रामीण

यूपी में पंचायत चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. अब सिर्फ चुनावी तारीखों का ऐलान होना बाकी है. इस बीच ETV भारत की टीम ने बांदा जिले में विकास की स्थिति जानी और ग्रामीणों से बातचीत की. देखें रिपोर्ट-

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Published : Mar 11, 2021, 11:47 AM IST

ग्राउंड रिपोर्ट
ग्राउंड रिपोर्ट

बांदा : यूपी में गांव की सरकार बनाने की तैयारी जोरों पर हैं. पंचायत चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. अब सिर्फ चुनावी तारीखों का ऐलान होना बाकी है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने बांदा जिले में विकास की स्थिति को लेकर ग्राउंड पर जाकर जमीनी हकीकत जानी. पिछले 5 सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में कितना काम हुआ ? कितनी सुविधाएं ग्रामीणों को मिली ? जब इन सबकी जमीनी असलियत से रूबरू हुए, तो नतीजे चौंकाने वाले ही सामने आए. अधिकांश गांवों में दावों और सरकारी फाइलों के आंकड़े कागजी ही दिखाई दिए.

बांदा पंचायत चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट

जरूरतमंदों को नहीं मिला आवास और शौचालय

बांदा पंचायत के ज्यादातर गांवों में न तो जरूरतमंदों को शौचालय ही उपलब्ध हो सका है, न ही बेआसरा लोगों को आवास ही मुहैया कराया गया है. गांव में पेयजल आपूर्ति की दशा भी बदतर है. सड़कों की दुर्दशा आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है. ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिव की जोड़ी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों का भी यहां अंबार मिला. वृद्धावस्था और विकलांग पेंशन के लिए आज भी कई लोग तरसते मिले. देखिये बांदा जनपद में पिछले पांच साल के हकीकत को बया करती ये रिपोर्ट-

मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण परेशान
मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण परेशान

मरौली गांव वासियों ने सुनाई समस्या

ETV भारत की टीम जब मटौंध क्षेत्र के मरौली गांव में विकास को टटोलने पहुंची, तो यहां समस्यायों का अम्बार मिला. इस गांव में ज्यादातर लोगों के पास पक्के माकन नहीं हैं. उन्हें कच्चे घरों में ही अपना जीवन काटना पड़ रहा है. ग्रामीण पीएम आवास योजना से यहां वंचित मिले, उनके पास शौचालय भी नहीं बने मिले. शौचालय न होने से लोगों को आज भी बाहर शौच के लिए जाना पड़ता है. स्थानीय निवासी देव कुमार और अंकित ने बताया, 'यहां पानी की बहुत समस्या है. पानी के लिए उन्हें 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.' मटौंध गांव के रहने वाले धनराज सिंह ने बताया, 'हमारे यहां सड़कें और नालियां खराब हैं. इसके चलते यहां गंदगी फैली है. प्रधान और सचिव से कहने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.' स्थानीय निवासी सपना और दयाशंकर ने बताया, 'हमारे पास न तो पक्के आवास हैं, और न ही शौचालय है. प्रधान से शौचालय और आवास मांगने पर वह पैसों की मांग करता है.'

स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ.
स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ.

भरखरी गांव में भी मूलभूत सुविधाओं की कमी

बड़ोखर ब्लाक के भरखरी गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग परेशान दिखे. आवास और शौचालय के साथ-साथ सड़क, नाली और पानी की समस्या से लोग यहां परेशान हैं. स्थानीय निवासी अशोक यादव ने बताया, 'लगभग तीन साल पहले यहां पर डिप्टी सीएम केशव मौर्या आये थे, जिन्होंने यहां आकर तालाब के सौन्दर्यीकरण, बच्चों के खेल का स्टेडियम, बांदा से बिसंडा मार्ग के चौड़ीकरण, रैन बसेरा समेत कई वादे किये थे. ये सभी आजतक पूरे नहीं हुए हैं.' स्थानीय निवासी चम्पा और दिव्यांग संतराम ने बताया, 'कई बार शौचालय और आवास के लिए कहा गया और फार्म भी भरा गया, लेकिन आजतक आवास और शौचालय नहीं मिला.' दिव्यांग संतराम ने बताया कि सिर्फ उसे दिव्यांग पेंशन मिलती है.

गंदगी से अटी हैं क्षेत्र की सड़कें.
गंदगी से अटी हैं क्षेत्र की सड़कें.

उमरी गांव में भी समस्यायों का अम्बार

बबेरू ब्लाक के उमरी गांव में टूटी-फूटी सड़कें और नालियां मिलीं. साथ ही मूलभूत समस्यायों से परेशान लोग दिखे. स्थानीय निवासी गंगा प्रसाद ने बताया कि गांव में रास्तों की समस्या से हम परेशान हैं. सड़कें बनी न होने से बहुत समस्याएं होती है. बरसात ने दिनों में जगह-जगह जलभराव हो जाता है. स्थानीय निवासी दसिया ने बताया कि वह टूटे-फूटे कच्चे घर में रहकर अपना गुजर बसर करती हैं. कई बार प्रधान और सचिव से कहा गया, लेकिन उसे आवास नहीं दिया गया. स्थानीय निवासी राजू ने बताया कि पेयजल और जलभराव की समस्या से वो परेशान हैं.

बांदा : यूपी में गांव की सरकार बनाने की तैयारी जोरों पर हैं. पंचायत चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. अब सिर्फ चुनावी तारीखों का ऐलान होना बाकी है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने बांदा जिले में विकास की स्थिति को लेकर ग्राउंड पर जाकर जमीनी हकीकत जानी. पिछले 5 सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में कितना काम हुआ ? कितनी सुविधाएं ग्रामीणों को मिली ? जब इन सबकी जमीनी असलियत से रूबरू हुए, तो नतीजे चौंकाने वाले ही सामने आए. अधिकांश गांवों में दावों और सरकारी फाइलों के आंकड़े कागजी ही दिखाई दिए.

बांदा पंचायत चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट

जरूरतमंदों को नहीं मिला आवास और शौचालय

बांदा पंचायत के ज्यादातर गांवों में न तो जरूरतमंदों को शौचालय ही उपलब्ध हो सका है, न ही बेआसरा लोगों को आवास ही मुहैया कराया गया है. गांव में पेयजल आपूर्ति की दशा भी बदतर है. सड़कों की दुर्दशा आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है. ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिव की जोड़ी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों का भी यहां अंबार मिला. वृद्धावस्था और विकलांग पेंशन के लिए आज भी कई लोग तरसते मिले. देखिये बांदा जनपद में पिछले पांच साल के हकीकत को बया करती ये रिपोर्ट-

मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण परेशान
मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण परेशान

मरौली गांव वासियों ने सुनाई समस्या

ETV भारत की टीम जब मटौंध क्षेत्र के मरौली गांव में विकास को टटोलने पहुंची, तो यहां समस्यायों का अम्बार मिला. इस गांव में ज्यादातर लोगों के पास पक्के माकन नहीं हैं. उन्हें कच्चे घरों में ही अपना जीवन काटना पड़ रहा है. ग्रामीण पीएम आवास योजना से यहां वंचित मिले, उनके पास शौचालय भी नहीं बने मिले. शौचालय न होने से लोगों को आज भी बाहर शौच के लिए जाना पड़ता है. स्थानीय निवासी देव कुमार और अंकित ने बताया, 'यहां पानी की बहुत समस्या है. पानी के लिए उन्हें 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.' मटौंध गांव के रहने वाले धनराज सिंह ने बताया, 'हमारे यहां सड़कें और नालियां खराब हैं. इसके चलते यहां गंदगी फैली है. प्रधान और सचिव से कहने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.' स्थानीय निवासी सपना और दयाशंकर ने बताया, 'हमारे पास न तो पक्के आवास हैं, और न ही शौचालय है. प्रधान से शौचालय और आवास मांगने पर वह पैसों की मांग करता है.'

स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ.
स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ.

भरखरी गांव में भी मूलभूत सुविधाओं की कमी

बड़ोखर ब्लाक के भरखरी गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग परेशान दिखे. आवास और शौचालय के साथ-साथ सड़क, नाली और पानी की समस्या से लोग यहां परेशान हैं. स्थानीय निवासी अशोक यादव ने बताया, 'लगभग तीन साल पहले यहां पर डिप्टी सीएम केशव मौर्या आये थे, जिन्होंने यहां आकर तालाब के सौन्दर्यीकरण, बच्चों के खेल का स्टेडियम, बांदा से बिसंडा मार्ग के चौड़ीकरण, रैन बसेरा समेत कई वादे किये थे. ये सभी आजतक पूरे नहीं हुए हैं.' स्थानीय निवासी चम्पा और दिव्यांग संतराम ने बताया, 'कई बार शौचालय और आवास के लिए कहा गया और फार्म भी भरा गया, लेकिन आजतक आवास और शौचालय नहीं मिला.' दिव्यांग संतराम ने बताया कि सिर्फ उसे दिव्यांग पेंशन मिलती है.

गंदगी से अटी हैं क्षेत्र की सड़कें.
गंदगी से अटी हैं क्षेत्र की सड़कें.

उमरी गांव में भी समस्यायों का अम्बार

बबेरू ब्लाक के उमरी गांव में टूटी-फूटी सड़कें और नालियां मिलीं. साथ ही मूलभूत समस्यायों से परेशान लोग दिखे. स्थानीय निवासी गंगा प्रसाद ने बताया कि गांव में रास्तों की समस्या से हम परेशान हैं. सड़कें बनी न होने से बहुत समस्याएं होती है. बरसात ने दिनों में जगह-जगह जलभराव हो जाता है. स्थानीय निवासी दसिया ने बताया कि वह टूटे-फूटे कच्चे घर में रहकर अपना गुजर बसर करती हैं. कई बार प्रधान और सचिव से कहा गया, लेकिन उसे आवास नहीं दिया गया. स्थानीय निवासी राजू ने बताया कि पेयजल और जलभराव की समस्या से वो परेशान हैं.

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