बांदा: भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan union) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत (rakesh tikait) रविवार को बांदा पहुंचे. बांदा (Banda Railway station) रेलवे स्टेशन पहुंचने पर भाकियू(BKU) के लोगों ने फूल मालाओं से उनका जोरदार स्वागत किया. वहीं, राकेश टिकैत अपने व्यक्तिगत कार्यक्रम को लेकर अपने यूनियन के कार्यकर्ताओं के घर भी पहुंचे. राकेश टिकैत ने कहा कि अगर, बुंदेलखंड की खनिज संपदा (Mineral wealth of Bundelkhand) का 80 फीसदी हिस्सा यहां के विकास कार्य में लगा दिया जाए तो यह क्षेत्र खुशहाल हो जाएगा. इसके अलावा अगर इस क्षेत्र को ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming) का स्टेट बना दिया जाए तो यहां का तेजी से विकास हो जाएगा. मगर, यहां नेताओं और अधिकारियों ने सिर्फ खनिज संपदा को लूटने का काम किया है. वहीं राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि क्या सरकार के घोषणा पत्र में प्राइवेटाइजेशन (privatization) था. क्योंकि यह सरकार हर चीज को सस्ते दामों में बेचने का काम कर रही है और बड़ी-बड़ी कंपनियों व पूंजीपतियों को यह देश सौंप रही है.
राकेश टिकैत ने कहा कि बुंदेलखंड (Bundelkhand) में अब हमारे आने की शुरुआत हुई है. बांदा में राकेश टिकैत ने कहा कि बुंदेलखंड का किसान आत्महत्या (farmer suicide) कर रहा है. बुंदेलखंड के किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. किसान संगठन की सरकार से जो मांग है, उसमें पूरे देश के किसानों का हित है. लिहाजा, तीनों कृषि कानूनों को हटाया जाए. एमएसपी रेट (MSP Rate) की गारंटी तय की जाए. सरकार जिस तरह से तमाम सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है, उसको रोका जाए. निजीकरण करने से बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ेगी. बुंदेलखंड का युवा पहले से ही बेरोजगार है. यहां का युवा दिल्ली और सूरत जाकर कमाने को मजबूर है. सरकार निजीकरण नहीं रुकेगी तो बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ेगी. बड़ा व्यापारी किसान से सस्ते दामों पर माल लेकर एमएसपी पर बेचता है. यहां के किसान को लगातार ठगा जा रहा है. इन्हीं सब बड़े मुद्दे और तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) की वापसी के लिए हम पिछले 10 महीनों से आंदोलन चला रहे हैं.
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टिकैत के अनुसार अगर, बुंदेलखंड ऑर्गेनिक बोर्ड बन जाए और यहां का पूरा का पूरा उत्पादन बाहर जाए, जिसकी एक बड़ी मार्केट है तो उसे यहां का लाभ हो सकता है. विलेज टूरिज्म पॉलिसी पर भी अगर काम हो तो लाभ मिल सकता है. क्योंकि यहां पर टूरिज्म के भी बहुत सारी क्षेत्र हैं जो अपने साथ इतिहास को समेटे हुए है. मगर, इन कार्यों को करने के बजाय यहां पर नेताओं और अधिकारियों ने सिर्फ खनन संपदा को लूटने का काम किया है.
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राकेश टिकैत ने कहा कि हर हर महादेव या अल्लाह हू अकबर का नारा लगाने पर क्या पाबंदी है. हमें यह अधिकार हमारे संविधान ने दिया है. देश का कोई भी व्यक्ति जिस विधि से चाहे पूजा पद्धति को अपना सकता है. किसी पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए. वहीं, सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि मुझे सोशल मीडिया की सही से समझ नहीं है. हजारों लोग सोशल मीडिया पर हमें गाली-गलौज देते हैं. इन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी प्रदेश के लिए नहीं है बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए है. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती वह इसी तरह देश के हर कोने में घूम-घूम कर किसानों और युवाओं को जागरूक करते रहेंगे.