बलरामपुर: जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के कारण एक महिला की पूरी जिंदगी तबाह हो गई. परिवार वाले न्याय के लिए थाने और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन साहेबानों की नजर-ए-इनायत नहीं हो रही है. वहीं, इस मामले के बाद जिले भर के मानक विहीन प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल गई थी पीड़िता
मामला थाना कोतवाली उतरौला के मुखर्जी चौराहे पर स्थित एमटी हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है. यहां की मुख्य चिकित्सा हिना कौसर से गोंडा जिले के एक गांव में रहने वाली महिला का पिछले 8 महीने से इलाज चल रहा था. 29 दिसंबर को महिला की डेलीवरी डेट थी, लेकिन 15 तारीख को जब वह अस्पताल में रूटीन चेकअप के लिए गई तो उन्हें डॉ. हिना कौसर ने रोक लिया और कहा कि केस कॉम्प्लिकेटेड है. इसलिए आज ही डेलीवरी करवानी होगी.
इस पर महिला अस्पताल में भर्ती हो गई, लेकिन परिजनों के अनुसार, समय पर इलाज न मिलने से कॉम्पलिकेशन बढ़ी और जब अगली सुबह ऑपरेशन हुआ तो बच्चा मरा पैदा हुआ. एक हफ्ते तक भर्ती रखने के बाद अस्पताल से महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया.
डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद से महिला को यूरिन डिस्चार्ज (पेशाब का रिसना) की शिकायत है. परिजनों ने उन्हें गोरखपुर दिखाया तो पता चला कि ऑपरेशन के दौरान बच्चेदानी निकाल दी गई है और लैट्रिन और पेशाब के रास्ते को एक कर दिया गया है, जिससे पेशाब का रिसाव होता रहता है. परिजनों के डॉ. हिना कौसर और उनके अस्पताल के खिलाफ उतरौला कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत करवाया है और सीएमओ से भी लिखित शिकायत की है.
पीड़िता ने बताया कि वे रूटीन चेकअप के लिए हिना कौसर के हॉस्पिटल गई थीं. तभी उन्होंने चेकिंग के बाद कहा कि आपको एडमिट होना पड़ेगा, जबकि हमारे साथ कोई गार्जियन नहीं था. इस पर वे 15 तारीख को एडमिट हो गई. उनका आरोप है कि डॉक्टर हिना कौसर ने बिना निगरानी के तड़पते हुए छोड़ दिया.
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7 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी
जब अगली सुबह परिजनों से मेरा दर्द देखा नहीं गया तो वह गए डॉक्टर हिना कौसर को उनके घर से लेकर आए. जब उन्होंने जांच किया तो बताया कि बच्चा मर गया है. अब बड़ा ऑपरेशन करके बच्चे को निकालना होगा. उन्होंने ऑपरेशन के बाद 7 दिन तक भर्ती रखा इसके बाद छुट्टी कर दी.
अस्पताल पर लगाया गंभीर आरोप
पीड़िता ने बताया कि जब वो अपने घर गई तो तकरीबन 20 दिन बाद उनकी तबीयत ज्यादा खराब रहने लगी. जब गोरखपुर के एक अस्पताल में दिखाया तो पता चला कि ऑपरेशन के दौरान बच्चेदानी निकाल ली गई है. उनका कहना है कि उन्होंने इलाज के दौरान 1 लाख रुपये जबकि ऑपरेशन के दौरान 45 हजार रुपये हमने दिए थे. इस मामले में एमटी हॉस्पिटल की मुख्य चिकित्सा डॉ.हिना कौसर ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
इस मामले की जांच की जाएगी. जहां तक बच्चेदानी को निकालने की बात है तो बतौर सर्जन मैं जिम्मेदारी ले सकता हूं कि जब कोई कॉम्प्लिकेशन हुआ होगा तो इस तरह का काम करना पड़ता है. फिलहाल मामले की जांच के लिए मैंने एक टीम गठित कर दी है. मामले की जांच की जा रही है.
डॉ. घनश्याम सिंह, सीएमओ