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जंगली जानवरों के हमले से ग्रामीणों में दहशत, रातभर जागकर देते हैं पहरा

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण्य और भांभर रेंज में बसने वाले लाखों ग्रामीण जानवरों के हमले से लगातार परेशान हो रहे हैं. अब तक बच्चों और कई मवेशियों को जंगली जानवर अपना निशाना भी बना चुके हैं.

जानवरों के हमले से ग्रामीण परेशान
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Published : Nov 4, 2019, 10:37 AM IST

बलरामपुर: नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण व भांभर रेंज में 450 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगलों और उसके आसपास के क्षेत्रों में लगभग 100 गांव बसते हैं. इन गांवों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग तीन से चार लाख के आसपास है. इन ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों के हमलों से होती है. आजादी के बाद से अब तक हमले में होने वाले नुकसान की भरपाई अभी तक यहां के लोगों को नहीं हो पाई है.

जानवरों के हमले से ग्रामीण परेशान


ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक साल में जंगली जानवरों ने दर्जनों बार हमले किए हैं. इन हमलों में न केवल कई लोग घायल हुए बल्कि बच्चों और कई मवेशियों की जान भी जा चुकी है. अपनी समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने वन विभाग से शिकायत की है लेकिन वन विभाग के अधिकारी गांव वालों से ना तो मिलने आते हैं और ना ही समस्यों को देखने.

वन विभाग द्वारा किए जा रहे सुरक्षा उपायों को लेकर सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी और जिले के डीएफओ रजनीकांत मित्तल कहते हैं कि जंगल के इलाकों से सटे गांवों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए 'सेफ्टी एक्सप्रेस' नाम की एक गाड़ी लगातार चलाई जा रही है. जो गांव-गांव जाकर लोगों को सुरक्षा के उपाय बताती है. और लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है.

बलरामपुर: नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण व भांभर रेंज में 450 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगलों और उसके आसपास के क्षेत्रों में लगभग 100 गांव बसते हैं. इन गांवों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग तीन से चार लाख के आसपास है. इन ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों के हमलों से होती है. आजादी के बाद से अब तक हमले में होने वाले नुकसान की भरपाई अभी तक यहां के लोगों को नहीं हो पाई है.

जानवरों के हमले से ग्रामीण परेशान


ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक साल में जंगली जानवरों ने दर्जनों बार हमले किए हैं. इन हमलों में न केवल कई लोग घायल हुए बल्कि बच्चों और कई मवेशियों की जान भी जा चुकी है. अपनी समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने वन विभाग से शिकायत की है लेकिन वन विभाग के अधिकारी गांव वालों से ना तो मिलने आते हैं और ना ही समस्यों को देखने.

वन विभाग द्वारा किए जा रहे सुरक्षा उपायों को लेकर सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी और जिले के डीएफओ रजनीकांत मित्तल कहते हैं कि जंगल के इलाकों से सटे गांवों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए 'सेफ्टी एक्सप्रेस' नाम की एक गाड़ी लगातार चलाई जा रही है. जो गांव-गांव जाकर लोगों को सुरक्षा के उपाय बताती है. और लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है.

Intro:बलरामपुर के स 450 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तकरीबन 87000 हेक्टेयर में सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग, सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण व भाँभर रेंज स्थित है। नेपाल राष्ट्र की तराई में स्थित इस जंगल में न केवल लाखों की संख्या में हिंसक जानवर रहते हैं। बल्कि इसी तरह इलाके में जंगलों के बीच या जंगलों के किनारे किनारे 100 से अधिक गांव व मजरे बसते हैं। इन गांवों में रहने वाले लोगों की संख्या तकरीबन तीन से चार लाख है। इन ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या हिंसक जानवरों द्वारा किए जाने वाले हमलों से होने वाला नुकसान है। जिसकी भरपाई आजादी के बाद से अभी तक ना की जा सकी है और ना ही भरपाई करने वाले प्रयासों को जमीन पर बहुत ज्यादा बल मिल सका है।


Body:बलरामपुर जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक, गैसड़ी ब्लॉक, पचपेड़वा ब्लॉक व तुलसीपुर ब्लॉक में फैले सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग, सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण व भाँभर रेंज के आसपास के क्षेत्र में सैकड़ों गांव बसते हैं।
ईटीवी भारत में जंगली जानवरों से होने वाले समस्याओं के बाबत ग्रामीणों का हाल जानने के लिए बरहवा ग्रामसभा के लखाही मजरे का रुख किया। जहां पर पिछले 1 सालों के भीतर ही 1 दर्जन से अधिक बार हमले हो चुके हैं और इन हमलों में न केवल कई लोग घायल हुए हैं। बल्कि बच्चों और मवेशियों की जान भी जा चुकी है।
अपनी समस्याओं को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर वन विभाग की टीमों द्वारा जो कवायदे की जाती हैं। वह हम जैसे गाँवों और ग्रामीणों के लिए सिरे से नदारद हैं। यहां पर ना तो सुरक्षा के उपायों को जमीन पर उतारा जाता है और ना ही वन विभाग का कोई भी व्यक्ति हमें देखने और मिलने के लिए आता है। यहां तक की राजस्व ग्राम होने के बाद भी बिजली तक ही सुविधा नहीं मिल सकी है।
ग्रामीण बताते हैं कि जंगल से सटे होने के कारण हमारे यहां रोजाना जंगली जानवर और हिंसक पशु उतरकर आते हैं। जानवरों द्वारा कभी-कभी इतना भयानक हमला किया जाता है कि वह हमारे दरवाजे को तोड़कर हमारे बच्चों और मवेशियों को उठा ले जाते हैं।
गरीबी से जूझ रहे बरहवा ग्रामसभा के लोगों के पास कच्चे व फूस के मकान बने हुए हैं। फूस के मकान में रहने वाले गरीब परिवार बताते हैं कि हमें हर रोज डर के साए में जीना पड़ता है। गांव वाले बारी-बारी जाकर रातभर आवाज़े करते हैं। आग जलाते हैं और जंगली जानवरों से हमारी रखवाली करते हैं। अगर ऐसा करने में एक भी दिन चुप जाया जाए तो बड़ी घटना सामने आ जाया करती है।


Conclusion:वन विभाग द्वारा किए जा रहे सुरक्षा उपायों के बाबत सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी और जिले के डीएफओ रजनीकांत मित्तल कहते हैं कि जंगल के इलाकों से सटे गांवों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए 'सेफ्टी एक्सप्रेस' नाम की एक गाड़ी लगातार चलाई जाती है। जो गांव-गांव जाकर लोगों को सुरक्षा के उपाय बताते हुए मुनादी करने का काम करती है। लोगों को समझाया जाता है कि वह कैसे जंगली जानवरों से अपनी और अपने मवेशियों की सुरक्षा कर सकते हैं।
वह कहते हैं कि असल में, जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले लोग जंगल पर अधिक निर्भर है। इसलिए उनका आना-जाना भी जंगलों में लगा रहता है। फिर भी यह निर्भरता घटाने के लिए सरकार द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं। मसलन इन गांवों में सभी सरकारी योजनाओं को प्राथमिकता के तौर पर लागू करने का काम किया जा रहा है। जैसे, प्रधानमंत्री आवास देना, उज्जवला का गैस कनेक्शन देना, राशन के लिए अंत्योदय कार्ड बनाना, स्वच्छ पानी के लिए पेयजल योजनाएं व जिन गांवों में बिजली नहीं पहुंच सकती वहां के लिए सोलर लाइटों की व्यवस्था करना तथा जिन गांवों में बिजली पहुंच सकती है, वहां के लिए सौभाग्य योजना के अंतर्गत गांवों का विद्युतीकरण करना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। इन योजनाओं से न केवल ग्रामीणों को आच्छादित करने का काम तेजी से किया जा रहा है। बल्कि जब से इन योजनाओं पर अमल शुरू हुआ है। तब से घटनाओं में लगातार कमी देखी जा रही है।
डीएफओ रजनीकांत मित्तल मानते हैं कि हाल के वर्षों में वाइल्ड लाइफ एंड ह्यूमन लाइफ के बीच तकरार की घटनाएं बढ़ी हैं। लेकिन इसे कम करने का उपाय भी किया जा रहा है। जैसे-जैसे लोगों के पास सुविधाएं उपलब्ध होती जा रही हैं। इन घटनाओं में कमी भी आती जा रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित हरैया सतघरवा ब्लॉक और पचपेड़वा ब्लॉक के लोगों में न केवल जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है। बल्कि उन्हें जंगली जानवरों से बचाने की कवायद भी सभी स्तर पर की जा रही है।
अधिकारियों के अपने दावे हैं तो वहीं ग्रामीणों का अपना दर्द। इसमें किसे सही माना जाए और किसे गलत। यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन जमीन पर जो दिखता है वह वास्तव में दुखी करता है।

बाईट क्रमशः
01 :- जुलेखा, ग्रामीण,
02 :- बब्बू, ग्रामीण,
03 :- महफूज़, हमले में घायल लड़का
04 :- रजनीकांत मित्तल, प्रभागीय वनाधिकारी
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