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बलरामपुर : ग्रामीणों ने किया आह्वान, नहीं हुआ विकास तो नहीं करेंगे मतदान

जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव में ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला कर लिया है. उनका साफ कहना है कि जब तक उनके गांव में विकास कार्य नहीं होंगे और उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, तब तक वे मतदान नहीं करेंगे. वहीं जिले के जिलाधिकारी ने कहा कि चुनाव बहिष्कार किसी समस्या का समाधान नहीं है.

ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का फैसला
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Published : Apr 9, 2019, 9:20 PM IST

बलरामपुर : लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है. प्रशासन लोगों से वोट देने की अपीले भी कर रहा है, लेकिन जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव के लोग वोट न देने की कसमें खा रहे हैं. ग्रामीण सरकार को उसके वादे याद दिलाकर नारे लगा रहे हैं. लोगों का कहना है कि बिजली नहीं तो वोट नहीं, विकास नहीं तो वोट नहीं, पीने का पानी नहीं तो वोट नहीं.

ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का फैसला

मामला बलरामपुर के गनवरिया गांव का है, जहां गांव के लोग सरकार पर वादे न पूरे करने का आरोप लगा रहे हैं. गांव की एक महिला ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि गांव में न तो पानी की व्यवस्था है, न सिंचाई की, न बिजली और न ही सड़कों की व्यवस्था है. गांव में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में गांव वालों ने इस चुनाव में मतदान न करने की बात कर रहे हैं.

गांव के नौजवानों और बुजुर्गों का कहना है कि पूरे देश में सौभाग्य योजना के तहत बिजली पहुंचाने के दावे किेए जा रहे हैं. इतनी बड़ी योजना के संचालन के बाद भी हमारे गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. गांव के तकरीबन 3000 लोग आजादी के इतने साल बाद भी अब तक अंधेरे के साए में रात बिताने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि विकास से जुड़ी किसी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिलता है.

इस मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा कर्ण का कहना है कि सौभाग्य योजना के तहत जिले के सभी ग्राम सभाओं का विद्युतिकरण करके घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इतनी बड़ी योजना होने के कारण पूरे प्रदेश में खंभे और तारों का शॉर्टेज चल रहा है. हमने लगभग सभी मजरों तक बिजली पहुंचा दी है. आने वाले 10 से 15 दिनों में जो मजरे छूटे हैं, वहां पर भी बिजली पहुंच जाएगी. साथ ही उन्होंने गांव वालों से मतदान करने की अपील भी की है.

बलरामपुर : लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है. प्रशासन लोगों से वोट देने की अपीले भी कर रहा है, लेकिन जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव के लोग वोट न देने की कसमें खा रहे हैं. ग्रामीण सरकार को उसके वादे याद दिलाकर नारे लगा रहे हैं. लोगों का कहना है कि बिजली नहीं तो वोट नहीं, विकास नहीं तो वोट नहीं, पीने का पानी नहीं तो वोट नहीं.

ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का फैसला

मामला बलरामपुर के गनवरिया गांव का है, जहां गांव के लोग सरकार पर वादे न पूरे करने का आरोप लगा रहे हैं. गांव की एक महिला ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि गांव में न तो पानी की व्यवस्था है, न सिंचाई की, न बिजली और न ही सड़कों की व्यवस्था है. गांव में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में गांव वालों ने इस चुनाव में मतदान न करने की बात कर रहे हैं.

गांव के नौजवानों और बुजुर्गों का कहना है कि पूरे देश में सौभाग्य योजना के तहत बिजली पहुंचाने के दावे किेए जा रहे हैं. इतनी बड़ी योजना के संचालन के बाद भी हमारे गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. गांव के तकरीबन 3000 लोग आजादी के इतने साल बाद भी अब तक अंधेरे के साए में रात बिताने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि विकास से जुड़ी किसी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिलता है.

इस मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा कर्ण का कहना है कि सौभाग्य योजना के तहत जिले के सभी ग्राम सभाओं का विद्युतिकरण करके घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इतनी बड़ी योजना होने के कारण पूरे प्रदेश में खंभे और तारों का शॉर्टेज चल रहा है. हमने लगभग सभी मजरों तक बिजली पहुंचा दी है. आने वाले 10 से 15 दिनों में जो मजरे छूटे हैं, वहां पर भी बिजली पहुंच जाएगी. साथ ही उन्होंने गांव वालों से मतदान करने की अपील भी की है.

Intro:(UP_BLP_YOGENDRA_TRIPATHI_08_APRIL_THIS_VILLAGE_WILL_NOT_VOTE_IN_THIS_ELECTIONS_SCRIPT के नाम से फीड एफ़टीपी (FTP) पर भेजी जा चुकी है। कृपया संज्ञान लें, यदि फीड न मिली हो तो कृपया कॉल करके सूचित करें।)

खबर : लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है। नेताओं ने जनता से जो वादे किए थे। जनता उन्हें याद कर रही है और इसी के आधार पर फैसला कर रही है। किसी से अपना अमूल्य वोट देना है लेकिन बलरामपुर जिले जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया ग्राम सभा गांव के निवासी वोट ना देने की कसमें खा रहे हैं। गांव के नुक्कड़ चौराहे पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को उनके वायदों को याद दिला रहे हैं नारे लगा रहे हैं, 'बिजली नहीं, तो वोट नहीं', 'विकास नहीं, तो वोट नहीं', 'पीने का पानी नहीं, तो वोट नहीं'। ऐसे में सवाल उठता है कि उन सभी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध करवाने का वादा करके आने वाली सरकारों ने क्या किया। क्या वह जनता से किए अपने वादों को भूल गई। हमने इसी बात की पड़ताल की खातिर गनवरिया के कुछ निवासियों से बात की.


Body:एक अधेड़ महिला ने इस मुद्दे पर बात करते हुए हमसे कहा कि गांव में ना तो पानी की व्यवस्था है। ना ही सिंचाई की व्यवस्था है। ना ही बिजली की व्यवस्था है। ना ही सड़कों की व्यवस्था है। ना ही जंगली जानवरों से किसी तरह के सुरक्षा की व्यवस्था है। ऐसे में हम सभी ने मतदान ना करने की कसम खाई है। हम सभी इस बार चुनावों का बहिष्कार करेंगे क्योंकि सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है। वह किसी तरह की कोई सहायता उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। विकास की कोई बात नहीं करता बस सभी को केवल अपने वोट से मतलब है।
वही, बुजुर्ग है हमसे बात करते हुए कहा कि पूरे देश में सौभाग्य योजना की तूती बज बज रही है। लेकिन इतनी बड़ी योजना के संचालन के बाद भी हमारे गांव तक बिजली नहीं पहुंच सकी। गांव के तकरीबन 3000 लोग आजादी के बाद से अब तक अंधेरे के साए में रात बिताने को मजबूर हैं।
वहीं, इस बारे में बात करते हुए एक बुजुर्ग ने कहा कि गांव में आए दिन जंगली जानवरों का हमला होता रहता है। सड़कें पगडंडियों में तब्दील हो चुकी है। गाँवों की सड़कों की रिपेयरिंग सालों बीत गए लेकिन नहीं हो सकी है। तो हम किस बात के लिए मतदान करें? जब विकास से जुड़ी योजनाओं का लाभ ही नहीं हो मिलना है, तो हमें मतदान करने से क्या फायदा इस बार हम मतदान का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे। चाहे कोई भी अधिकारी आए या कोई भी नेता है हम मतदान नहीं करेंगे।


Conclusion:जब हमने इस मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा करने से बात की तो उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत जिले के सभी ग्रामसभाओं और मजरों को विद्युतिकृत करके घर घर बिजली पहुंचाने की योजना है या इतनी बड़ी योजना है कि पूरे प्रदेश में खंभा और तारों का शॉर्टेज चल रहा है। हमने लगभग सभी मजदूरों तक बिजली पहुंचा दिया है आने वाले 10 से 15 दिनों में जो मजरे छूटे हैं या जिन घरों में अभी तक बिजली नहीं लग सकी है। वहां पर बिजली पहुंच जाएगी।
मतदान बहिष्कार पर बात करते हुए उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि मतदान न करना विकास के पहिए को थामने जैसा है। जब आप मतदान नहीं करते हैं तो आपको कोई हक नहीं है कि आप विकास परियोजनाओं पर सवाल खड़े करें। मतदान करना ही अपने विकास को सुनिश्चित करने का सबसे बड़ा जरिया है।
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