बलरामपुर: गांव-गांव और शहर-शहर में इन दिनों स्वच्छता अभियान की चर्चाएं तेज हैं. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में शुरू हुए इस अभियान के तहत गांवों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण जोर-शोर से करवाया जा रहा है. जिले में कुल 801 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण होना है. इनमें से तकरीबन 200 का कार्य पूरा कर लिया गया है. बाकी के तकरीबन 400 गांवों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही अन्य ग्रामसभाओं में भी जमीन को चिह्नित करके काम को आगे बढ़ाया जाना है.
इन सबके बीच जिले में ग्रामीणों को शौच जैसे मसलों में सहूलियत प्रदान करने वाली इस योजना में कई गड़बड़ियां भी हैं. मसलन, शौचालय को गांव से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर बना देना, निर्माण में खामियां और निर्माण की गुणवत्ता पर उठते सवाल. कुछ इसी तरह का मामला हर्रैया सतघरवा विकासखंड के ग्राम परसपुर कमदा में समाने आ रहा है, जहां पर प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी मनमाने ढंग से सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवा रहे हैं.
परसपुर कमदा गांव में सरकार की मंशा के अनुसार 7 सीटर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन इस शौचालय के निर्माण से ग्रामीण खुश नहीं हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि शौचालय के लिए जो जमीन चिह्नित कर निर्माण कराया जा रहा है, वह जमीन गांव के बाहर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है. ऐसे में ग्रामीण और महिलाएं गांव से पैदल चलकर डेढ़ किलोमीटर दूर बन रहे इस शौचालय का उपयोग कैसे कर पाएंगी?
उनका आरोप है कि गांव के ग्राम प्रधान उजागर सिंह का एक ईंट भट्ठा है. इसके चलते सेक्रेटरी की मिलीभगत से गांव के बाहर इस शौचालय का निर्माण हो रहा है. इससे भट्ठे में काम करने वाले दर्जनों लेबर मुंशी को कहीं दूर न जाना पड़े, इसीलिए मनमाने तरीके से सामुदायिक शौचालय का निर्माण गांव से काफी दूरी पर करवाया जा रहा है.
वहीं पूरे मामले पर डीएम कृष्णा करुणेश ने बताया कि सामान्य तौर पर यह आदेश था कि शौचालय वहां बने, जहां सभी लोग इसका इस्तेमाल कर सकें. कुछ स्थानों पर यह दिक्कत आ रही थी. इसके लिए कुछ गांव में लोगों ने इसके लिए अपनी जमीन भी दान दी है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करवाकर उसको गांव के करीब शिफ्ट करा दिया जाएगा.