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बलरामपुर: पुलिस ने तीन दिनों में खोला मर्डर मिस्ट्री का राज, सामने आए चौंकाने वाले तथ्य - बलरामपुर हत्याकांड का खुलासा

यूपी के बलरामपुर में हुई हत्या की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है. इस मामले में पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

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बलरामपुर पुलिस ने किया हत्या का खुलासा
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Published : Jun 20, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 3:28 PM IST

बलरामपुर: जनपद के गैसड़ी थाना क्षेत्र के सुगांव मझौली में धर्मपाल की 16 जून को हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उनके पास से हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद कर लिया है. पुलिस के मुताबिक हत्या बदले की भावना से की गई है.

एसपी देव रंजन वर्मा ने दी जानकारी
साल 1992 में मृतक धर्मपाल वर्मा और गांव के ही त्रिभुवन के बीच झगड़ा हुआ था. शरीर में गंभीर चोट आने के कारण त्रिभुवन अपाहिज हो गया था. इसी बात को लेकर त्रिभुवन के पुत्र कन्हैया उर्फ गोली (जो लोगों को बैंक से लोन दिलाने का काम करता था) धर्मपाल से बदला लेने की मंशा जहन में पाले हुए था. उसने साजिशन पहले धर्मपाल से नजदीकियां बढ़ाई और उसका विश्वास जीता. अब धर्मपाल के बैंक का पासबुक व उसका चेकबुक भी कन्हैया के पास ही रहता था. इसका फायदा उठाते हुए कन्हैया ने भूर्रे और मुन्ना के साथ मिलकर धर्मपाल की हत्या के लिए श्रावस्ती से अवैध बन्दूक खरीदी, जो ट्रायल में नहीं चली.

कैसे हुआ खुलासा
कन्हैया ने धर्मपाल को बिना बताए उसके भाई रामदेव के खाते से 2 लाख 18 हजार रूपये निकाल लिए. किसी तरह जब रुपये निकालने का खुलासा हुआ तो धर्मपाल व उसके भाई ने अपना खाता चेक कराने की बात कही. इससे कन्हैया डर गया और उसी रात अपने रिश्तेदार मुन्ना, भूर्रे और अपने भतीजे अजीत के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से धर्मपाल की हत्या कर दी. फिलहाल पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इनके पास से घटना में प्रयुक्त कुल्हाड़ी, फावड़ा, देशी बन्दूक, 4 कारतूस व 1 बाइक भी बरामद किया है.

बलरामपुर: जनपद के गैसड़ी थाना क्षेत्र के सुगांव मझौली में धर्मपाल की 16 जून को हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उनके पास से हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद कर लिया है. पुलिस के मुताबिक हत्या बदले की भावना से की गई है.

एसपी देव रंजन वर्मा ने दी जानकारी
साल 1992 में मृतक धर्मपाल वर्मा और गांव के ही त्रिभुवन के बीच झगड़ा हुआ था. शरीर में गंभीर चोट आने के कारण त्रिभुवन अपाहिज हो गया था. इसी बात को लेकर त्रिभुवन के पुत्र कन्हैया उर्फ गोली (जो लोगों को बैंक से लोन दिलाने का काम करता था) धर्मपाल से बदला लेने की मंशा जहन में पाले हुए था. उसने साजिशन पहले धर्मपाल से नजदीकियां बढ़ाई और उसका विश्वास जीता. अब धर्मपाल के बैंक का पासबुक व उसका चेकबुक भी कन्हैया के पास ही रहता था. इसका फायदा उठाते हुए कन्हैया ने भूर्रे और मुन्ना के साथ मिलकर धर्मपाल की हत्या के लिए श्रावस्ती से अवैध बन्दूक खरीदी, जो ट्रायल में नहीं चली.

कैसे हुआ खुलासा
कन्हैया ने धर्मपाल को बिना बताए उसके भाई रामदेव के खाते से 2 लाख 18 हजार रूपये निकाल लिए. किसी तरह जब रुपये निकालने का खुलासा हुआ तो धर्मपाल व उसके भाई ने अपना खाता चेक कराने की बात कही. इससे कन्हैया डर गया और उसी रात अपने रिश्तेदार मुन्ना, भूर्रे और अपने भतीजे अजीत के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से धर्मपाल की हत्या कर दी. फिलहाल पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इनके पास से घटना में प्रयुक्त कुल्हाड़ी, फावड़ा, देशी बन्दूक, 4 कारतूस व 1 बाइक भी बरामद किया है.

Last Updated : Jun 20, 2020, 3:28 PM IST
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