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रुपये ऐंठने के बाद भी जिला अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों ने नहीं किया नवजात का इलाज, मौत - जिला अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही से नवजात की मौत

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में डॉक्टरों की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जिला महिला अस्पताल के डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने प्रसूता से रुपये ऐंठने के बाद भी नवजात का इलाज नहीं किया.

'अस्पताल की लापरवाही से चली गयी बच्चे की जान'
'अस्पताल की लापरवाही से चली गयी बच्चे की जान'
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Published : May 2, 2020, 11:46 AM IST

बलरामपुर: शहर के जिला अस्पताल में प्रसव के बाद एक महिला अस्पताल के गेट पर तड़पती रही. महिला के परिजनों का आरोप है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने प्रसव के नाम पर महिला के तीमरदारों से रूपये ऐंठे, लेकिन फिर भी डॉक्टरों की लापरवाही से नवजात की मौत हो गई.

पढ़ें पूरा मामला

बलरामपुर में कोतवाली देहात क्षेत्र के हरिहरगंज बाजार के रहने वाले गौतम सोनी नाम के व्यक्ति अपनी पत्नी अंकू सोनी को प्रसव पीड़ा होने पर उसे लेकर जिला महिला अस्पताल पहुंचे. उन्होंने वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से पत्नी का प्रसव कराने के लिए कहा. महिला के परिजनों का डॉक्टरों और हॉस्पिटल स्टाफ पर आरोप है कि वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने महिला को देखकर बड़ा ऑपरेशन करने की बात कही. पीड़ित महिला के पति से कहा गया कि ऑपरेशन के लिए करीब 8 से 9 हजार रूपये लगेंगे.

'अस्पताल की लापरवाही से चली गयी बच्चे की जान'
प्रसूता के पति ने बताया कि जब इतने रुपये देने में उसने असमर्थता जताई तो स्वास्थ्यकर्मियों ने नार्मल डिलेवरी करवाने के लिए 3500 रुपये लेने की बात कही. परिजनों ने महिला चिकित्सालय के स्टाफ पर आरोप लगाया है कि रुपये देने के बाद महिला की नार्मल डिलिवरी करवाई गई और बच्चे के जन्म लेने के तुरंत बाद बिना ठीक ढंग से उपचार किए उसे परिजनों को सौंप दिया गया.

परिजनों ने बताया कि प्रसूता को लेबर रूम से निकलने के बाद उसे बेड तक नहीं दिया गया. वह घंटों अस्पताल के गेट पर तड़पती रही. इस दौरान बच्चे का शरीर धीरे-धीरे नीला पड़ने लगा तो परिजन बच्चे को लेकर बार-बार डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के पास गए, लेकिन बच्चे का इलाज नहीं किया गया. जब नवजात का शरीर पूरा नीला पड़ने लगा तो उसे जार में रखने की सलाह दी गई. तब वहां तैनात डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया.

मामले को लेकर जब जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. पीके मिश्रा से बात की गई तो उनका अलग ही तर्क था.

प्रसूता को अस्पताल के बाहर नहीं किया गया. कोई अपने मन से बाहर जाकर बैठ जाए तो क्या करें. बेड के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, उपलब्ध होने पर बेड दिया जाता है. स्टाफ द्वारा रूपये लेने का मामला मेरी जानकारी में नहीं है, यदि लिखित शिकायत होगी तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

- डॉ. पीके मिश्रा, सीएमएस, जिला महिला चिकित्सालय, बलरामपुर

बलरामपुर: शहर के जिला अस्पताल में प्रसव के बाद एक महिला अस्पताल के गेट पर तड़पती रही. महिला के परिजनों का आरोप है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने प्रसव के नाम पर महिला के तीमरदारों से रूपये ऐंठे, लेकिन फिर भी डॉक्टरों की लापरवाही से नवजात की मौत हो गई.

पढ़ें पूरा मामला

बलरामपुर में कोतवाली देहात क्षेत्र के हरिहरगंज बाजार के रहने वाले गौतम सोनी नाम के व्यक्ति अपनी पत्नी अंकू सोनी को प्रसव पीड़ा होने पर उसे लेकर जिला महिला अस्पताल पहुंचे. उन्होंने वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से पत्नी का प्रसव कराने के लिए कहा. महिला के परिजनों का डॉक्टरों और हॉस्पिटल स्टाफ पर आरोप है कि वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने महिला को देखकर बड़ा ऑपरेशन करने की बात कही. पीड़ित महिला के पति से कहा गया कि ऑपरेशन के लिए करीब 8 से 9 हजार रूपये लगेंगे.

'अस्पताल की लापरवाही से चली गयी बच्चे की जान'
प्रसूता के पति ने बताया कि जब इतने रुपये देने में उसने असमर्थता जताई तो स्वास्थ्यकर्मियों ने नार्मल डिलेवरी करवाने के लिए 3500 रुपये लेने की बात कही. परिजनों ने महिला चिकित्सालय के स्टाफ पर आरोप लगाया है कि रुपये देने के बाद महिला की नार्मल डिलिवरी करवाई गई और बच्चे के जन्म लेने के तुरंत बाद बिना ठीक ढंग से उपचार किए उसे परिजनों को सौंप दिया गया.

परिजनों ने बताया कि प्रसूता को लेबर रूम से निकलने के बाद उसे बेड तक नहीं दिया गया. वह घंटों अस्पताल के गेट पर तड़पती रही. इस दौरान बच्चे का शरीर धीरे-धीरे नीला पड़ने लगा तो परिजन बच्चे को लेकर बार-बार डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के पास गए, लेकिन बच्चे का इलाज नहीं किया गया. जब नवजात का शरीर पूरा नीला पड़ने लगा तो उसे जार में रखने की सलाह दी गई. तब वहां तैनात डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया.

मामले को लेकर जब जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. पीके मिश्रा से बात की गई तो उनका अलग ही तर्क था.

प्रसूता को अस्पताल के बाहर नहीं किया गया. कोई अपने मन से बाहर जाकर बैठ जाए तो क्या करें. बेड के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, उपलब्ध होने पर बेड दिया जाता है. स्टाफ द्वारा रूपये लेने का मामला मेरी जानकारी में नहीं है, यदि लिखित शिकायत होगी तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

- डॉ. पीके मिश्रा, सीएमएस, जिला महिला चिकित्सालय, बलरामपुर

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