बलरामपुर: सोहेलवा वन क्षेत्र से सटे गांव तेंदुए के आतंक के साए में जी रहे ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है. वन विभाग ने 20 पिंजड़े और 8 सीसीटीवी कैमरे लगाये थे. तब जाकर यह आदमखोर तेंदुआ (Man-eating leopard caught in Balrampur) पकड़ा जा सका. वन विभाग की टीम ने पिछले एक हफ्ते में दो तेंदुओं0 को पकड़ने में कामयाबी हासिल की.
बताया जा रहा है कि इस तेंदुए के आतंक को देखते हुए वन विभाग की टीम ने धर्मपुर, बेलवा, लाल नगर सिपहिया सहित प्रभावित गावों के आस-पास 20 पिंजड़े और आठ सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. तेंदुए को पकड़ने के लिए धर्मपुर गांव में रामदेव के सागौन के बाग में एक पिंजड़ा लगा कर, उसमें एक बकरी बांधी गयी थी. जैसे ही तेंदुआ बकरी का शिकार करने पहुंचा, तो वह पिंजड़े में कैद हो गया. तेंदुए के पिंजड़े में कैद होने की जानकारी उस समय हुई, जब रविवार को गांव के कुछ लोग खेत में काम करने जा रहे थे.
पिंजड़े से तेंदुए की आवाज आयी, तो गांव वाले चौंक गये. आवाज सुनकर ग्रामीण सतर्कता बरतते हुए पिंजड़े के पास गए, तो देखा की उसमें तेंदुआ कैद हो चुका था. ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी. वन विभाग की टीम तेंदुए को अपने साथ लेकर जनकपुर रेंज गई. डीएफओ डॉ सैम मारन एम ने रविवार को बताया कि पिंजड़े में फंसा तेंदुआ नर है. इसकी आयु करीब 8 वर्ष है. पिंजड़े में कैद होने के कारण उसने गुस्से में पिंजड़े से निकलने के लिए सरिया पर वार किया था. इस कारण उसके सिर और दातों में चोट लग गयी.
वहीं तेंदुए के प्रहार से दो सरिया भी टूट गईं. उन्होंने बताया की तेंदुए का इलाज पशु चिकित्साधिकारी कर रहे हैं. तेंदुआ स्वस्थ है. वन विभाग की यह अभियान अभी जारी रहेगा. आदमखोर तेंदुए का आतंक से सोहेलवा वन क्षेत्र के करीब 50 गावों में भय का माहौल व्याप्त है. पिछले 2 महीने में आदमखोर तेंदुए ने 6 मासूम बच्चों को अपना निवाला बनाया था. आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग को कोलकाता और दिल्ली से विशेषज्ञों को बुलाना पड़ा. एक सप्ताह में दो तेंदुए पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.
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