बलरामपुरः तकरीबन 50 वर्षों बाद बहुप्रतीक्षित सरयू नहर परियोजना पूरी होने जा रही है. इस परियोजना को लेकर किसानों में प्रसन्नता है. 9 जिलों को जोड़ रही इस नहर परियोजना से तकरीबन 25 लाख किसानों को लाभ मिलेगा. वहीं, बाढ़ के समय भी यह परियोजना रामबाण साबित होगी. 9802 करोड़ की लागत से बनी इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिसम्बर को बलरामपुर के हसुंवाडोल में पहुंचकर लोकार्पित करेंगे.
प्रधानमंत्री के आवागमन को लेकर जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी से तैयारी में जुटा हुआ है. लेकिन अभी परियोजना में कुछ जगहों पर काम होना बाकी है, जिससे किसानों को पानी मिलने में देरी हो सकती है. मुख्य नहर को प्रधानमंत्री जिस दिन उद्घाटन करेंगे, उसी दिन खोल दिया जाएगा. इससे किसानों की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है.
1971 में शुरू की गई थी परियोजना
गौरतलब है कि तात्कालिक इंदिरा गांधी सरकार के दौरान 1971-72 में महज दो जिलों के किसानों को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गई थी. इसके बाद 1982 में विस्तार देते हुए तात्कालिक उत्तर प्रदेश की सरकार ने इस योजना को 9 जिलों के किसानों को लाभान्वित करने के लहजे से विकसित करना शुरू किया. वर्ष 2012 में केंद्र की तात्कालिक मनमोहन सिंह सरकार द्वारा इस नहर परियोजना को विस्तार देते हुए राष्ट्रीयकृत परियोजना का दर्जा प्रदान किया गया था. लेकिन तात्कालिक सरकारों की नाकामयाबी की वजह से यह परियोजना लगातार अधर में लटकी रही.
किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर सिंचाई से जुड़ी इस परियोजना को नरेंद्र मोदी सरकार ने प्राथमिकता देना शुरू किया और इसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत वित्त पोषित किया गया. मोदी सरकार ने साल 2018 से इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू करवाया. जिसका प्रतिफल यह हुआ कि तकरीबन 50 वर्षों से लटकी परियोजना को महज 3 सालों में लागभग पूरा कर लिया गया है.
79 से 9562.68 करोड़ रुपये हुई परियोजना की लागत
सरयू नहर परियोजना की शुरुआती लागत करीब 79 करोड़ रुपये थी. उस महज दो जिलों के लिए शुरू किया गया था. जब इसे 9 जिलों के लिए विस्तारित किया गया तो इसकी लागत बढ़ गयी. नहर की कुल लंबाई क़रीब 350 किलोमीटर है. इसकी सहायक नहरों की लंबाई करीब 6 हजार किलोमीटर है. इस परियोजना को बनाने में 1 दर्जन से अधिक रेलवे ब्रिज, 3 दर्जन से अधिक बड़े रोड ब्रिज व सैंकड़ों की संख्या में मझली व छोटी पुलिया का निर्माण करवाया गया है. परियोजना में घाघरा, राप्ती, बाढ़ गंगा, सरयू वरुणा नदी को आपस में जोड़ा गया है. परियोजना की संरक्षित लागत 9802.68 करोड़ रुपये है. परियोजना पर मार्च 2021 तक 9562.68 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. इस परियोजना के लिए कुल 25021.497 हेक्टेयर भूमि को खरीदा गया है. सरयू नहर परियोजना के तहत सरयू लिंक चैनल सरयू मुख्य नहर तथा उसकी समस्त शाखाएं, राप्ती लिंक नहर व राप्ती मुख्य नहर का निर्माण पूरा हो चुका है.
इन जिलों के किसान होंगे लाभान्वित
इस परियोजना के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, गोरखपुर, महाराजगंज में सिंचाई की सुविधा का विस्तार किया जाएगा. इस परियोजना के जरिए प्रदेश में 14 लाख हेक्टेयर भूमि ज्यादा संचित हो सकेगी.
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परियोजना पूरी होने से किसान खुश
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के पूरा होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकार्पण किए जाने को लेकर स्थानीय किसान खुश हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किसानों ने बताया कि यहां हार्ड एरिया होने के चलते सिंचाई सिर्फ कुदरत के भरोसे थी. नहर तैयार हो जाने से सिंचाई की समस्या खत्म हो जाएगी. किसानों ने कहा कि वह इस सिंचाई परियोजना के बारें में दशकों से सुनते आ रहे थे. लेकिन, अब जाकर मोदी सरकार ने इसे किसानों के हित में पूरा किया है. किसानों ने कहा कि इससे न केवल क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा का विस्तार होगा. बल्कि बाढ़ की समस्या से भी हमें कुछ हद तक छुटकारा मिल सकेगा. वहीं नहर के दोनों किनारों पर बनने वाले रास्ते के कारण आवागमन की सुविधा भी बेहतर होगी.
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गौरतलब है कि लोकार्पण के बाद भी इस परियोजना को पूरा होने में कुछ समय लगेगा. क्योंकि पिछले दिनों कई जिलों में आई बाढ़ के कारण पर योजना लंबित चल रही है. कुछ इलाकों में रेलवे अंडरपास बनने हैं. जबकि कुछ इलाकों में सड़कों के ऊपर पुलों का निर्माण होना है.