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पचपेड़वा हिंसा पुलिस की लापरवाही: एसपी देव रंजन वर्मा - आईपीएस देव रंजन वर्मा का इंटरव्यू

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में तैनात नए एसपी देव रंजन वर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान एसपी ने पचपेड़वा में विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा और पत्थरबाजी पर पुलिस की लापरवाही की बात कही. उनका कहना है कि अगर पुलिस सचेत रहती तो हिंसा नहीं होती.

एसपी देव रंजन वर्मा.
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Published : Oct 23, 2019, 11:15 AM IST

बलरामपुरः अपनी तैनाती के बाद से आईपीएस देव रंजन वर्मा खासे चर्चा में रहे हैं. चाहे मुखबिर रोजगार योजना की बात हो या पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने की पहल. पूरे प्रदेश में इनके पक्ष और खिलाफ में खूब चर्चा की गई. आम चुनाव के तुरंत बाद जिले की कमान संभालने वाले एसपी न केवल अपने पुलिसकर्मियों को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी के साथ इतना शख्त बना देना चाहते हैं कि किसी आम से लेकर खास व्यक्ति को समस्या न पैदा हो. इनकी कार्यशैली और इनके तमाम पक्षों पर जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने आईपीएस देवरंजन वर्मा से विशेष बातचीत की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते एसपी देव रंजन वर्मा.

पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने का दिया आदेश
पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने के सवाल पर एसपी ने कहा कि इस आदेश को मीडिया और पुलिसकर्मियों ने शायद अन्यत्र लिया, लेकिन यह आदेश असल में हम सभी के लिए जरूरी है, क्योंकि हम एक ऐसे जिले में हैं, जहां से न केवल पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बल्कि विकास के तमाम कार्य भी चलते रहते हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आने वाले आदेशों की भी जो कॉपी होती है. वह अंग्रेजी में ही आती है. कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही व्याख्या न कर पाने के कारण पुलिसकर्मियों से गलती हो जाती है और एसपी या एएसपी को इन जगहों पर प्रजेंट होना पड़ता है. बिना अंग्रेजी ज्ञान के एक बेहतर पुलिसिंग का उदाहरण शायद ही संभव हो सके.

पढे़ं- बलरामपुर: कैसे बढ़ेगा जिले में पर्यटन का डाटा, जब कागजों से विकास बाहर ही नहीं आता!

पचपेड़वा हिंसा और जरवा मर्डर पर पुलिस रही फेल
देव रंजन वर्मा ने बताया कि पचपेड़वा में विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा और पत्थरबाजी, वहां पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का फेलियौर था, लेकिन इसी के साथ दूसरी सबसे अच्छी बात यह हुई कि इन लोगों ने तुरंत एक्शन लेते हुए मौका-ए-वारदात पर ही तुरंत आठ आरोपियों को पकड़ भी लिया. अगर जरवा हिंसा की बात की जाए तो यह दो भाइयों के बीच में विवाद था. यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर जानलेवा हमला कर दिया. इसमें दो लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि इस घटना में मैं बीट आरक्षी का फेलियौर मानता हूं. अगर बीट आरक्षी ने सही जानकारी पहुंचाई होती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी. उसी घटना के बाद से बीट सिस्टम में तमाम तरह के बदलाव किए गए जो धीरे-धीरे दिखाई दे देंगे.

पढे़ं- बलरामपुर: महिला ने दो बेटियों संग तालाब में कूदकर दी जान, पति ने बताई ये वजह

आम जनता के लिए जनसुनवाई अधिकारियों की है तैनाती
आम जनता के लिए सभी थानों में जनसुनवाई अधिकारियों की तैनाती की गई है. इनकी कमान महिला आरक्षी संभाल रही हैं. पुलिस मित्र की तरह लोगों के साथ पेश आती हैं. एसपी ने कहा कि जहां तक रही डर की बात तो डर का प्रमुख कारण यह है कि लोगों के अंदर अज्ञानता काफी है. लोग पढ़े-लिखे न होने के कारण आज भी थानों में जाने से डरते हैं. इसके साथ ही थानों में शिकायतों की संख्या पिछले 3 महीनों में 4200 गई है. यह बातें हमें पीली पर्ची के माध्यम से पता चलीं. आपको बताते चले कि बलरामपुर के एसपी देव रंजन वर्मा को जिले में तैनात हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. इस दौरान जिले ने तमाम तरह के बदलाव देखे हैं.

बलरामपुरः अपनी तैनाती के बाद से आईपीएस देव रंजन वर्मा खासे चर्चा में रहे हैं. चाहे मुखबिर रोजगार योजना की बात हो या पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने की पहल. पूरे प्रदेश में इनके पक्ष और खिलाफ में खूब चर्चा की गई. आम चुनाव के तुरंत बाद जिले की कमान संभालने वाले एसपी न केवल अपने पुलिसकर्मियों को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी के साथ इतना शख्त बना देना चाहते हैं कि किसी आम से लेकर खास व्यक्ति को समस्या न पैदा हो. इनकी कार्यशैली और इनके तमाम पक्षों पर जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने आईपीएस देवरंजन वर्मा से विशेष बातचीत की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते एसपी देव रंजन वर्मा.

पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने का दिया आदेश
पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने के सवाल पर एसपी ने कहा कि इस आदेश को मीडिया और पुलिसकर्मियों ने शायद अन्यत्र लिया, लेकिन यह आदेश असल में हम सभी के लिए जरूरी है, क्योंकि हम एक ऐसे जिले में हैं, जहां से न केवल पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बल्कि विकास के तमाम कार्य भी चलते रहते हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आने वाले आदेशों की भी जो कॉपी होती है. वह अंग्रेजी में ही आती है. कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही व्याख्या न कर पाने के कारण पुलिसकर्मियों से गलती हो जाती है और एसपी या एएसपी को इन जगहों पर प्रजेंट होना पड़ता है. बिना अंग्रेजी ज्ञान के एक बेहतर पुलिसिंग का उदाहरण शायद ही संभव हो सके.

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पचपेड़वा हिंसा और जरवा मर्डर पर पुलिस रही फेल
देव रंजन वर्मा ने बताया कि पचपेड़वा में विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा और पत्थरबाजी, वहां पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का फेलियौर था, लेकिन इसी के साथ दूसरी सबसे अच्छी बात यह हुई कि इन लोगों ने तुरंत एक्शन लेते हुए मौका-ए-वारदात पर ही तुरंत आठ आरोपियों को पकड़ भी लिया. अगर जरवा हिंसा की बात की जाए तो यह दो भाइयों के बीच में विवाद था. यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर जानलेवा हमला कर दिया. इसमें दो लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि इस घटना में मैं बीट आरक्षी का फेलियौर मानता हूं. अगर बीट आरक्षी ने सही जानकारी पहुंचाई होती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी. उसी घटना के बाद से बीट सिस्टम में तमाम तरह के बदलाव किए गए जो धीरे-धीरे दिखाई दे देंगे.

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आम जनता के लिए जनसुनवाई अधिकारियों की है तैनाती
आम जनता के लिए सभी थानों में जनसुनवाई अधिकारियों की तैनाती की गई है. इनकी कमान महिला आरक्षी संभाल रही हैं. पुलिस मित्र की तरह लोगों के साथ पेश आती हैं. एसपी ने कहा कि जहां तक रही डर की बात तो डर का प्रमुख कारण यह है कि लोगों के अंदर अज्ञानता काफी है. लोग पढ़े-लिखे न होने के कारण आज भी थानों में जाने से डरते हैं. इसके साथ ही थानों में शिकायतों की संख्या पिछले 3 महीनों में 4200 गई है. यह बातें हमें पीली पर्ची के माध्यम से पता चलीं. आपको बताते चले कि बलरामपुर के एसपी देव रंजन वर्मा को जिले में तैनात हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. इस दौरान जिले ने तमाम तरह के बदलाव देखे हैं.

Intro:बलरामपुर में अपनी तैनाती के बाद से आईपीएस देव रंजन वर्मा खासे चर्चा में रहे। चाहे मुखबिर रोज़गार योजना की बात हो या पुलिसकर्मियों को अंग्रेज़ी सिखाने की पहल। पूरे प्रदेश में इनके पक्ष और खिलाफ में खूब चर्चा की गई। जिले की पुलिसिंग में किये जा रहे इनके द्वारा तमाम बदलावों के असर अब दिखना तो शुरू हो गया है। लेकिन एसपी देव रंजन वर्मा ने अपनी तैनाती के साथ ही तमाम ऐसे आदेश किए, जिनको नेगेटिव वे में भी किया गया। आम चुनाव के तुरंत बाद जिले की कमान संभालने वाले एसपी देवरंजन वर्मा ने न केवल अपने पुलिसकर्मियों को चुस्त दुरुस्त बनाना चाहते हैं बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी वाइज इतना शसक्त बना देना चाहते हैं कि किसी आम से लेकर खास व्यक्ति को समस्या न पैदा हो।
इनकी कार्यशैली और उसके तमाम पक्षों पर जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने आईपीएस देवरंजन वर्मा से विशेष बातचीत की।


Body:इन सभी योजनाओं से क्या बदलाव आ रहा है:-
एसपी देवरंजन वर्मा ने जिले की पुलिसिंग के अंदर जो हमारे पास अवेलेबल नई टेक्नोलॉजी है जैसे एंड्रॉइड फ़ोन, व्हाट्सएप, सोशल मीडिया माध्यमों का बेहतर प्रयोग करके पुलिसकर्मियों का स्किल बढ़ा सकते हैं। हमने इन्हीं तमाम योजनाओं को लागू करके पुलिसकर्मियों के स्किल को बढ़ाने का काम किया है। अब हमारे थानों में तैनात सभी पुलिसकर्मियों के हाथ में न केवल एंड्राइड फोन है। बल्कि वह फेसबुक व्हाट्सएप इत्यादि चलाना जानते हैं। इस माध्यम से अपराधियों पर नकेल कसने का काम कर रहे हैं। बल्कि तमाम तरह के सुधार भी हो रहे हैं।
वह, दूसरा एक्सपेक्ट अगर देखें तो हमारी पुलिसिंग में तमाम तरह के सुधार की जरूरत है। इसलिए ही हम प्रयोगात्मक तौर पर ही बलरामपुर जिले में तमाम तरह के सुधार लागू कर रहे हैं। जैसे महिला पुलिसकर्मियों की हौसले को बढ़ाने के लिए 'मिशन शोल्डर टो शोल्डर' की शुरुआत करना। या पुलिसकर्मियों को स्वस्थ बनाने के लिए 'स्वस्थ पुलिस दक्ष पुलिस' मुहिम की शुरुआत करना। मुनादी योजना को बेहतर बनाना और उसे महिलाओं से करवाना। मुखबिर रोजगार योजना के जरिए अपराधियों की धरपकड़ को मजबूत करना। इसी तरह से तमाम छोटे-छोटे बदलाव किए जा रहे हैं। जिसके जरिए न केवल जिले के पुलिसिंग बेहतर हो रही है। बल्कि अपराधियों पर लगातार लकीर भी कसा जा रहा है।
कितना फायदा मिला इन योजनाओं से :-
एसपी देव रंजन वर्मा कहते हैं कि मुनादी रोजगार योजना के अंतर्गत तमाम तरह के अपराधियों की धरपकड़ की जा रही है। मुखबिर के जरिए मिलने वाली सूचनाओं पर अब तक न केवल चोरी के मोटरसाइकिलों को बरामद करवाया जा चुका है। बल्कि कई अवैध हथियार भी बरामद करवाए गए हैं। इसके अलावा मादक पदार्थों का सेवन व बिक्री करने वाले लोगों का भी धरपकड़ किया जा रहा है। अवैध शराब और अवैध खनन पर भी मुनादी योजना के माध्यम से रोक लगाई जा ताहि है। बड़ी संख्या में इससे जुड़े अपराधी गिरफ्तार किए जा रहे हैं।
वहीं, अगर बीट में किए गए सुधारों की बात करें तो हमारे सभी बीटों में अब लगभग महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के बाद से बीट से तमाम ऐसी इंफॉर्मेशन आ रहे हैं, जिनके जरिए न केवल आम पुलिसिंग मजबूत हो रही है। बल्कि अपराधियों पर भी नकेल कसा जा रहा है।
आपके ही कर्मियों को अंग्रेजी सीखाने के आदेश हिटलरशाही जैसा क्यों लगा :-
देखिए, इस आदेश को मीडिया और पुलिसकर्मियों द्वारा शायद अन्यत्र लिया गया। लेकिन यह आदेश असल में हम सभी के लिए जरूरी है। क्योंकि हम एक ऐसे जिले में है जहां से न केवल पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। बल्कि विकास के तमाम कार्य भी चलते रहते हैं। इसलिए बाहर से लोगों का आना जाना यहां पर लगा रहता है। विदेशी पर्यटक भी आते जाते हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा आने वाले आदेशों की भी जो कॉपी होती है। वह अंग्रेजी में ही आती है। कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही व्याख्या न कर पाने के कारण पुलिस कर्मियों से गलती हो जाती है और एसपी या एएसपी को इन जगहों पर प्रजेंट होना पड़ता है। तो अंग्रेजी में प्रार्थना पत्र लिखवाने और सीखने की जो पहल मैंने की है वह असल में इसलिए है कि पुलिसकर्मियों को ज्यादा से ज्यादा अंग्रेजी लिखना, पढ़ना और बोलना सके। जिससे वह समय के साथ चलने के लिए काबिल बन सके।
इसमें मैं एक बात और जोड़ना चाहूंगा कि जो भी स्टडी मैटेरियल साइबर क्राइम से रिलेटेड, इंटरनेट क्राइम से रिलेटेड चीज़ों को कैसे न्यूट्रल किया जाए। इसके लिए जो स्टडी मटेरियल से आते हैं, वह सब अंग्रेजी में है। तो बिना अंग्रेजी के ज्ञान के एक बेहतर पुलिसिंग का उदाहरण शायद ही संभव हो सके।
पचपेड़वा हिंसा और जरवा मर्डर किसका फेलियौर था :-
यदि हम प्राथमिक तौर पर देखें तो पचपेड़वा में विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा व पत्थरबाजी वहां पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का फेलियौर था। लेकिन इसी के साथ दूसरी सबसे अच्छी बात यह हुई कि इन लोगों ने तुरंत एक्शन लेते हुए मौका ए वारदात पर ही तुरंत 8 आरोपियों को पकड़ भी लिया। इसके बाद पूरे जिले में सभी जुलूसों को शांतिपूर्वक निपटाया गया और हम लोगों ने इस मामले को भी बेहतर ढंग से कंटेन किया।
अगर जरवा हिंसा की बात की जाए तो भाई-भाई के बीच में यह विवाद था। यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर जानलेवा हमला कर दिया। इसमें 2 लोग मारे गए। इस घटना में मैं बीट आरक्षी का फेलियौर मानता हूं। अगर बीट आरक्षी द्वारा सही जानकारी पहुंचाई जाती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी उसी घटना के बाद से बीट सिस्टम में तमाम तरह के बदलाव किए गए जो धीरे धीरे दिखाई दे देंगे।
आम जनता के दिल में पुलिस के लिए बैठा दर्द कैसे दूर करेंगे :-
इसके लिए सभी थानों में जनसुनवाई अधिकारियों की तैनाती की गई है। इनकी कमान महिला आरक्षी संभाल रही है। सभी थानों में अब सुनवाई लोगों की होती है। पुलिस मित्र की तरह लोगों के साथ पेश आती है। जहां तक रही डर की बात, तो डर का प्रमुख कारण यह है कि लोगों के अंदर अज्ञानता काफी है। लोग पढ़े-लिखे ना होने के कारण आज भी थानों में जाने से डरते हैं। इसके साथ ही थानों में शिकायतों की संख्या पिछले 3 महीनों में 4200 गई है। यह बातें हमें पीली पर्ची के माध्यम से पता चली 4200 शिकायतें अगर थानों से रखी गई है। तो इसका मतलब है कि थानों पर सुनवाई हो रही है। जनता का डर धीरे-धीरे दूर हो रहा है।
कितना बदलाव देखते हैं आप इन तीन महीनों में :-
(मुस्कुराते हुए) देखे बदलाव तो काफी है लेकिन इसकी मॉनिटरिंग हम नहीं कर सकते। हम आपको नहीं बता सकते आप बदलाव को खुद देख सकते हैं। अब पुलिस का रवैया बदल रहा है। पुलिसिंग का तरीका बदल रहा है और हम लोग जनता के साथ मिलकर चलना चाहते हैं। इसमें हमें सभी का सहयोग भी चाहिए होगा।


Conclusion:हम आपको बताते चले कि बलरामपुर के एसपी देवरंजन वर्मा को जिले में तैनात हुए 3 महीने से ज़्यादा का समय हो चुका है। इस दौरान जिले ने तमाम तरह के बदलाव देखें हैं।
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