बलरामपुरः अपनी तैनाती के बाद से आईपीएस देव रंजन वर्मा खासे चर्चा में रहे हैं. चाहे मुखबिर रोजगार योजना की बात हो या पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने की पहल. पूरे प्रदेश में इनके पक्ष और खिलाफ में खूब चर्चा की गई. आम चुनाव के तुरंत बाद जिले की कमान संभालने वाले एसपी न केवल अपने पुलिसकर्मियों को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी के साथ इतना शख्त बना देना चाहते हैं कि किसी आम से लेकर खास व्यक्ति को समस्या न पैदा हो. इनकी कार्यशैली और इनके तमाम पक्षों पर जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने आईपीएस देवरंजन वर्मा से विशेष बातचीत की.
पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने का दिया आदेश
पुलिसकर्मियों को अंग्रेजी सिखाने के सवाल पर एसपी ने कहा कि इस आदेश को मीडिया और पुलिसकर्मियों ने शायद अन्यत्र लिया, लेकिन यह आदेश असल में हम सभी के लिए जरूरी है, क्योंकि हम एक ऐसे जिले में हैं, जहां से न केवल पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बल्कि विकास के तमाम कार्य भी चलते रहते हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आने वाले आदेशों की भी जो कॉपी होती है. वह अंग्रेजी में ही आती है. कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही व्याख्या न कर पाने के कारण पुलिसकर्मियों से गलती हो जाती है और एसपी या एएसपी को इन जगहों पर प्रजेंट होना पड़ता है. बिना अंग्रेजी ज्ञान के एक बेहतर पुलिसिंग का उदाहरण शायद ही संभव हो सके.
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पचपेड़वा हिंसा और जरवा मर्डर पर पुलिस रही फेल
देव रंजन वर्मा ने बताया कि पचपेड़वा में विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा और पत्थरबाजी, वहां पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का फेलियौर था, लेकिन इसी के साथ दूसरी सबसे अच्छी बात यह हुई कि इन लोगों ने तुरंत एक्शन लेते हुए मौका-ए-वारदात पर ही तुरंत आठ आरोपियों को पकड़ भी लिया. अगर जरवा हिंसा की बात की जाए तो यह दो भाइयों के बीच में विवाद था. यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर जानलेवा हमला कर दिया. इसमें दो लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि इस घटना में मैं बीट आरक्षी का फेलियौर मानता हूं. अगर बीट आरक्षी ने सही जानकारी पहुंचाई होती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी. उसी घटना के बाद से बीट सिस्टम में तमाम तरह के बदलाव किए गए जो धीरे-धीरे दिखाई दे देंगे.
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आम जनता के लिए जनसुनवाई अधिकारियों की है तैनाती
आम जनता के लिए सभी थानों में जनसुनवाई अधिकारियों की तैनाती की गई है. इनकी कमान महिला आरक्षी संभाल रही हैं. पुलिस मित्र की तरह लोगों के साथ पेश आती हैं. एसपी ने कहा कि जहां तक रही डर की बात तो डर का प्रमुख कारण यह है कि लोगों के अंदर अज्ञानता काफी है. लोग पढ़े-लिखे न होने के कारण आज भी थानों में जाने से डरते हैं. इसके साथ ही थानों में शिकायतों की संख्या पिछले 3 महीनों में 4200 गई है. यह बातें हमें पीली पर्ची के माध्यम से पता चलीं. आपको बताते चले कि बलरामपुर के एसपी देव रंजन वर्मा को जिले में तैनात हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. इस दौरान जिले ने तमाम तरह के बदलाव देखे हैं.