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बलरामपुर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव पीड़िता तड़पती रही, स्टॉफ ने कहा- यहां इलाज नहीं होगा

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में उतरौला सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन कोई डॉक्टर या नर्स स्टॉफ उसे देखने तक नहीं आए. बल्कि यह कहकर प्राइवेट अस्पताल ले जाने को कहा गया कि सर्जरी का मामला है, इनका इलाज यहां नहीं हो सकेगा.

उतरौला सामुदायिक स्वास्थ केंद्र.
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Published : Sep 30, 2019, 11:34 PM IST

बलरामपुर: साल 2019 में जारी किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे (एनएचएस) के डाटा के अनुसार बलरामपुर जिला संस्थागत प्रसव के मामले में बेहद फिसड्डी है. 2 साल पहले किए गए सर्वे में बलरामपुर जिला गर्भवती महिलाओं को अपने यहां के अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के मामले में सबसे उदासीन जिला साबित हुआ था. यहां पर संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 50 फीसदी के पार भी नहीं जा सका था. इसके बावजूद जिले में तैनात स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी उदासीन है.

सीएमओ ने कहा ऐसी कोई सूचना उनके पास पहले से मौजूद नहीं है.

क्या है पूरा मामला
मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला का है. यहां मझुआ कांद गांव की रहने वाली गर्भवती महिला आयशा को प्रसव पीड़ा हुई. वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शाम 4:00 बजे से लेकर 12:00 बजे रात तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन कोई डॉक्टर-नर्स देखने तक नहीं आए. आयशा के परिजनों से उसका पीड़ा देखा नहीं गया तो वह स्टाफ नर्स के पास पहुंची, जिससे वह गुस्सा गई और बोली इनका इलाज यहां पर नहीं हो सकेगा. सर्जरी का मामला है, एक निजी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने का दबाव बनाया.

पढ़ें- लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल के इमरजेंसी ओपीडी में बढ़ाए जाएंगे बेड

जब परिजनों ने नर्स के बताए हुए निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर ले जाने से मना किया, तो नर्स ने गर्भवती आयशा और उसके परिजनों को रात एक बजे अस्पताल से बाहर निकाल दिया. उन्हें एंबुलेंस तक की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई. परिजनों का आरोप है कि नर्स और डॉक्टर के कमीशन वाले निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर जब जाने से मना किया तो उन्होंने हमें रात एक बजे पैदल ही भेज दिया.

परिजनों ने कहा कि वह गर्भवती बेटी को पैदल लेकर एक निजी अस्पताल गए. तकरीबन 2 किमी का रास्ता किसी तरह तय किया. बेटी प्रसव पीड़ा में इस दौरान तड़पती रही. परिजनों ने बताया कि उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अपनी बेटी का इलाज करवाया जहां पर उसने नॉर्मल डिलीवरी से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी घनश्याम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया ऐसी कोई सूचना उनके पास पहले से मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा चेक करवाता हूं कि कौन स्टॉफ नर्स वहां पर ड्यूटी पर थी और किसने किस आधार पर भेजा. रेफर किया गया या ऐसे ही भगा दिया गया. मामले की जांच के बाद कुछ बता पाउंगा.

बलरामपुर: साल 2019 में जारी किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे (एनएचएस) के डाटा के अनुसार बलरामपुर जिला संस्थागत प्रसव के मामले में बेहद फिसड्डी है. 2 साल पहले किए गए सर्वे में बलरामपुर जिला गर्भवती महिलाओं को अपने यहां के अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के मामले में सबसे उदासीन जिला साबित हुआ था. यहां पर संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 50 फीसदी के पार भी नहीं जा सका था. इसके बावजूद जिले में तैनात स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी उदासीन है.

सीएमओ ने कहा ऐसी कोई सूचना उनके पास पहले से मौजूद नहीं है.

क्या है पूरा मामला
मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला का है. यहां मझुआ कांद गांव की रहने वाली गर्भवती महिला आयशा को प्रसव पीड़ा हुई. वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शाम 4:00 बजे से लेकर 12:00 बजे रात तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन कोई डॉक्टर-नर्स देखने तक नहीं आए. आयशा के परिजनों से उसका पीड़ा देखा नहीं गया तो वह स्टाफ नर्स के पास पहुंची, जिससे वह गुस्सा गई और बोली इनका इलाज यहां पर नहीं हो सकेगा. सर्जरी का मामला है, एक निजी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने का दबाव बनाया.

पढ़ें- लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल के इमरजेंसी ओपीडी में बढ़ाए जाएंगे बेड

जब परिजनों ने नर्स के बताए हुए निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर ले जाने से मना किया, तो नर्स ने गर्भवती आयशा और उसके परिजनों को रात एक बजे अस्पताल से बाहर निकाल दिया. उन्हें एंबुलेंस तक की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई. परिजनों का आरोप है कि नर्स और डॉक्टर के कमीशन वाले निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर जब जाने से मना किया तो उन्होंने हमें रात एक बजे पैदल ही भेज दिया.

परिजनों ने कहा कि वह गर्भवती बेटी को पैदल लेकर एक निजी अस्पताल गए. तकरीबन 2 किमी का रास्ता किसी तरह तय किया. बेटी प्रसव पीड़ा में इस दौरान तड़पती रही. परिजनों ने बताया कि उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अपनी बेटी का इलाज करवाया जहां पर उसने नॉर्मल डिलीवरी से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी घनश्याम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया ऐसी कोई सूचना उनके पास पहले से मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा चेक करवाता हूं कि कौन स्टॉफ नर्स वहां पर ड्यूटी पर थी और किसने किस आधार पर भेजा. रेफर किया गया या ऐसे ही भगा दिया गया. मामले की जांच के बाद कुछ बता पाउंगा.

Intro:साल 2019 में जारी किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे (एनएचएस) के डेटा के अनुसार बलरामपुर जिला संस्थागत प्रसव के मामले में बेहद फिसड्डी है। तकरीबन 2 साल पहले किए गए इस सर्वे में बलरामपुर जिला गर्भवती महिलाओं को अपने यहां के अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के मामले में सबसे उदासीन जिला साबित हुआ था। यहां पर संस्थागत प्रसव के आंकड़ा 50 फीसदी के पार भी नहीं जा सका था। लेकिन इससे सीख लेने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के रुचि वाले इस जिले में तैनात स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी तमाम दावों की धज्जियां उड़ाते नज़र आ रहे हैंसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला से एक ऐसा ही मामला सामने आया सामने आया है जिसने यहां पर तैनात डॉक्टर और स्टाफ नर्स की खोल कर रख दी है।Body:मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला का है। जहां मझुआ कांद गांव की रहने वाली गर्भवती महिला आयशा को प्रसव पीड़ा हुई। वह यहां पर शाम 4:00 बजे शाम से लेकर 12:00 बजे रात तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। लेकिन कोई डॉक्टर-नर्स देखने तक नहीं आए। उन्हें अपनी नींद आयशा के इलाज से ज़्यादा प्यारी लगी। जब आयशा के परिजनों से उसका पीड़ा देखा ना गया तो वह स्टाफ नर्स के पास पहुंची तो वह गुस्सा हो गई और बोली इनका इलाज यहां पर नहीं हो सकेगा। सर्जरी का मामला है, एक निजी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने का दबाव बनाया। जब इन्होंने नर्स के बताए हुए निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर ले जाने से मना किया। तो नर्स ने गर्भवती आयशा और उसके परिजनों को रात एक बजे अस्पताल से बाहर निकाल दिया। उन्हें एंबुलेंस तक की सुविधा मुहैया नहीं कराई गयी।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्स और डॉक्टर के कमीशन वाले निजी प्राइवेट हॉस्पिटल पर जब जाने से मना किया तो उन्होंने हमें रात एक बजे पैदल ही भेज दिया। हमें न तो कोई रिक्शा मिला और न ही हमें कोई साधन हम अपनी गर्भवती बेटी को लेकर पैदल एक निजी अस्पताल तक गए। हमने तकरीबन 2 किमी का रास्ता किसी तरह तय किया। मेरी बेटी प्रसव पीड़ा में इस दौरान तड़पती रही। परिजनों ने बताया कि हमने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अपनी बेटी का इलाज करवाया जहां पर उसने नॉर्मल डिलीवरी से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।Conclusion:जब इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर घनश्याम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया ऐसी कोई सूचना हमारे पास पहले से मौजूद नहीं है। मैं चेक करवाता हूं कि कौन स्टॉप नर्स वहां पर ड्यूटी पर थी और किसने भेजा और किस आधार पर भेजा। क्या रेफर किया या ऐसे ही भगा दिया गया। पता करूंगा तभी मैं कुछ बता पाऊंगा।
बाईट क्रमशः :-
01 :- जान मोहम्मद, पीड़िता के पिता
02 :- फातिमा, पीड़िता की माता
03 :- डॉ चंद्र प्रकाश, एमओआईसी उतरौला
04 :- डॉ घनश्याम सिंह, सीएमओ बलरामपुर
योगेंद्र त्रिपाठी, 9839325432
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