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Navratri 2019: यहां गिरा था माता सती का पट सहित वाम स्कंध, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना

यूपी के बलरामपुर में स्थित मां देवीपाटन शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से है. स्कंद पुराण के अनुसार माता सती का वाम स्कंध यहां गिरा था. नवरात्रि के दिनों में लाखों की संख्या में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यह भी मान्यता है कि माता सीता ने यहीं पाताल लोक में प्रवेश किया था.

मां देवीपाटन शक्तिपीठ में गिरा था माता सती का वाम स्कंध पट सहित.
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Published : Sep 29, 2019, 10:06 AM IST

बलरामपुर: शारदीय और चैत्र नवरात्रि में जिले के मां देवीपाटन शक्तिपीठ में देश-विदेश से श्रद्धालु मन में मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां दुर्गा के भव्य स्वरूप का दर्शन करते हैं. मान्यता है कि 51 शक्तिपीठों में से एक मां देवीपाटन शक्तिपीठ में हिमालय की पुत्री माता सती का वाम स्कंध गिरा था. शारदीय नवरात्रि के दिनों में मंदिर प्रांगण में 15 दिन का राजकीय मेला लगता है. चैत्र नवरात्रि में एक माह तक चलने वाले भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक मां भगवती की यहां पर विशेष पूजा अर्चना होती है, जिसका अपना पौराणिक महत्व है.

मां देवीपाटन शक्तिपीठ में गिरा था माता सती का वाम स्कंध.


यहां गिरा था माता सती का वाम स्कंध
स्कंद पुराण में मिलते विवरणों के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ कुंड में माता सती ने भगवान शिव के अपमान से आहत होकर प्रवेश कर अपने शरीर का परित्याग कर दिया था. यह सुनकर भगवान शिव यज्ञ स्थल पर पहुंचे. व्यथित शिव ने अपने कंधे पर माता सती का शरीर रखकर इधर-उधर घूमना और तांडव करना शुरू कर दिया. इससे सृष्टि के संचालन में बाधा पैदा होने लगी. तब देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका हल निकलने के लिए प्रार्थना की. नारायण ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को काटकर गिराना शुरू किया. जिन 51 स्थानों पर सती के अंग गिरे, वह सभी शक्तिपीठ कहलाए. देवीपाटन में सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था. इससे यह स्थल सिद्धपीठ देवीपाटन के रूप में विख्यात हुआ.

पढ़ें:- Navratri 2019 : मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता

माता सीता ने यहां किया था पाताल लोक में प्रवेश
इस सिद्ध पीठ के बारे में एक अन्य मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि भगवती सीता ने इस स्थल पर ही पाताल लोक में प्रवेश किया था. इसका साक्ष्य गर्भ गृह में चांदी से ढंका चबूतरा है. इस कारण पहले यह पातालेश्वरी देवी कहा जाता था. बाद में यह शब्द अपभ्रंश होने के कारण पाटेश्वरी हो गया. विद्वानों का मानना है कि सती प्रकरण ही अधिक प्रमाणिक है और शक्ति के आराधना स्थल होने के कारण यह शक्तिपीठ प्रसिद्ध है. यह मंदिर नाथ सम्प्रदाय की व्यवस्था में होने के कारण ही सती प्रकरण की पुष्टि होती है.


देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
देवीपाटन सीरिया नदी के पूर्वी तट पर बसा हुआ है. यहां पर अनेक मान्यताएं हैं. इसका देश-विदेश से लेकर उभय राष्ट्र नेपाल का खासा जुड़ाव है. यहां पर लगने वाले शारदीय और चैत्र नवरात्रि के मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम आता है. नेपाल के डांग जिले से आने वाली पीर रतन नाथ की यात्रा दोनों देशों के पौराणिक संबधों की आज भी पुष्टि करता है. यहां देवीपाटन तीर्थ के निकट कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी हैं. इनमें से सूर्यकुण्ड, करबान बाग, सिरिया नाला, धौर सिरी, भैरव मंदिर आदि प्रमुख है.

पढ़ें:- Navratri 2019: प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

लगता है भव्य मेला
शारदीय और चैत्र नवरात्रि में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं. कोई माता के दर्शन के लिए आता है, तो कोई अपनी मुरादें पूरी हो जाने के बाद माता को चढ़ावा चढ़ाने के लिए आता है. मान्यता है कि मां दुर्गा के दरबार में जो भी आता है वह कभी खाली हाथ नहीं जाता.


क्या कहते हैं महंत
मेले की तैयारियों के बारे में देवीपाटन शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि राजकीय मेले के कारण न केवल मंदिर प्रशासन, बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष तरह की व्यवस्था की जाती है. जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे और पुलिस की व्यवस्था की गई है. रेलवे स्टेशन, मंदिर परिसर और अन्य धर्मशाला में श्रद्धालुओं के रुकने और ठहरने की विशेष व्यवस्था है.

बलरामपुर: शारदीय और चैत्र नवरात्रि में जिले के मां देवीपाटन शक्तिपीठ में देश-विदेश से श्रद्धालु मन में मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां दुर्गा के भव्य स्वरूप का दर्शन करते हैं. मान्यता है कि 51 शक्तिपीठों में से एक मां देवीपाटन शक्तिपीठ में हिमालय की पुत्री माता सती का वाम स्कंध गिरा था. शारदीय नवरात्रि के दिनों में मंदिर प्रांगण में 15 दिन का राजकीय मेला लगता है. चैत्र नवरात्रि में एक माह तक चलने वाले भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक मां भगवती की यहां पर विशेष पूजा अर्चना होती है, जिसका अपना पौराणिक महत्व है.

मां देवीपाटन शक्तिपीठ में गिरा था माता सती का वाम स्कंध.


यहां गिरा था माता सती का वाम स्कंध
स्कंद पुराण में मिलते विवरणों के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ कुंड में माता सती ने भगवान शिव के अपमान से आहत होकर प्रवेश कर अपने शरीर का परित्याग कर दिया था. यह सुनकर भगवान शिव यज्ञ स्थल पर पहुंचे. व्यथित शिव ने अपने कंधे पर माता सती का शरीर रखकर इधर-उधर घूमना और तांडव करना शुरू कर दिया. इससे सृष्टि के संचालन में बाधा पैदा होने लगी. तब देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका हल निकलने के लिए प्रार्थना की. नारायण ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को काटकर गिराना शुरू किया. जिन 51 स्थानों पर सती के अंग गिरे, वह सभी शक्तिपीठ कहलाए. देवीपाटन में सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था. इससे यह स्थल सिद्धपीठ देवीपाटन के रूप में विख्यात हुआ.

पढ़ें:- Navratri 2019 : मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता

माता सीता ने यहां किया था पाताल लोक में प्रवेश
इस सिद्ध पीठ के बारे में एक अन्य मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि भगवती सीता ने इस स्थल पर ही पाताल लोक में प्रवेश किया था. इसका साक्ष्य गर्भ गृह में चांदी से ढंका चबूतरा है. इस कारण पहले यह पातालेश्वरी देवी कहा जाता था. बाद में यह शब्द अपभ्रंश होने के कारण पाटेश्वरी हो गया. विद्वानों का मानना है कि सती प्रकरण ही अधिक प्रमाणिक है और शक्ति के आराधना स्थल होने के कारण यह शक्तिपीठ प्रसिद्ध है. यह मंदिर नाथ सम्प्रदाय की व्यवस्था में होने के कारण ही सती प्रकरण की पुष्टि होती है.


देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
देवीपाटन सीरिया नदी के पूर्वी तट पर बसा हुआ है. यहां पर अनेक मान्यताएं हैं. इसका देश-विदेश से लेकर उभय राष्ट्र नेपाल का खासा जुड़ाव है. यहां पर लगने वाले शारदीय और चैत्र नवरात्रि के मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम आता है. नेपाल के डांग जिले से आने वाली पीर रतन नाथ की यात्रा दोनों देशों के पौराणिक संबधों की आज भी पुष्टि करता है. यहां देवीपाटन तीर्थ के निकट कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी हैं. इनमें से सूर्यकुण्ड, करबान बाग, सिरिया नाला, धौर सिरी, भैरव मंदिर आदि प्रमुख है.

पढ़ें:- Navratri 2019: प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

लगता है भव्य मेला
शारदीय और चैत्र नवरात्रि में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं. कोई माता के दर्शन के लिए आता है, तो कोई अपनी मुरादें पूरी हो जाने के बाद माता को चढ़ावा चढ़ाने के लिए आता है. मान्यता है कि मां दुर्गा के दरबार में जो भी आता है वह कभी खाली हाथ नहीं जाता.


क्या कहते हैं महंत
मेले की तैयारियों के बारे में देवीपाटन शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि राजकीय मेले के कारण न केवल मंदिर प्रशासन, बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष तरह की व्यवस्था की जाती है. जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे और पुलिस की व्यवस्था की गई है. रेलवे स्टेशन, मंदिर परिसर और अन्य धर्मशाला में श्रद्धालुओं के रुकने और ठहरने की विशेष व्यवस्था है.

Intro:दुर्गा पूजन के लिए भारतीय महाद्वीप के 51 शक्तिपीठों में से एक मां देवीपाटन शक्तिपीठ पर हिमालय की पुत्री माता सती का वाम स्कंध गिरा था। इस कारण यह स्थल सिद्धपीठ बना। शारदीय व चैत्र नवरात्रि में यहां देश-विदेश से श्रद्धालु मन में मनोकामनाएं लेकर आते हैं और माँ दुर्गा के भव्य स्वरूप का दर्शन करते हैं। इस दौरान मंदिर प्रांगण में शारदीय नवरात्रि के दिनों 15 दिन का राजकीय मेला लगता है तो चैत्र नवरात्रि में एक माह तक चलने वाले भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक मां भगवती की यहां पर विशेष पूजा अर्चना होती है, जिसका अपना पौराणिक महत्व है।Body:कैसे हुआ स्थापना :-

स्कंद पुराण में मिलते विवरणों के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ कुण्ड में माता सती ने भगवान शिव के अपमान से आहत होकर प्रवेश कर अपने शरीर का परित्याग कर दिया था। यह सुनकर भगवान शिव यज्ञ स्थल पर पहुंचे। व्यथित शिव ने अपने कन्धे पर माता सती का शरीर रखकर इधर-उधर घूमना और तांडव करना शुरू कर दिया। इससे सृष्टि के संचालन में बाधा पैदा होने लगी। जब देवताओं ने भगवान विष्णु इसका हल निकलने के लिए प्रर्थना की। नारायण ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को काटकर गिराना शुरू किया। जिन 51 स्थानों पर सती के अंग गिरे वह सभी शक्तिपीठ कहलाए। देवीपाटन में सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था। जिससे यह स्थल सिद्धपीठ देवीपाटन के रूप में विख्यात हुआ।
इस सिद्ध पीठ के बारे में एक अन्य मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि भगवती सीता ने इस स्थल पर ही पाताल प्रवेश किया था। जिसका साक्ष्य गर्भ गृह में चांदी से ढंका चबूतरा है। इस कारण पहले यह पातालेश्वरी देवी कहा जाता था। बाद में यह शब्द अपभ्रंश होने के कारण पाटेश्वरी हो गया।
विद्वानों का मानना है कि सती प्रकरण ही अधिक प्रमाणिक है और शक्ति के आराधना स्थल होने के कारण यह शक्तिपीठ प्रसिद्ध है। यह मंदिर नाथ सम्प्रदाय की व्यवस्था में होने के कारण ही सती प्रकरण की पुष्टि होती है।
मां देवी पाटन का महत्व :-
देवीपाटन के सीरिया नदी के पूर्वी तट पर बसा हुआ है। यहां पर अनेक मान्यताएं हैं। जिससे देश विदेश से लेकर उभय राष्ट्र नेपाल का खासा जुड़ाव है। यहां पर लगने वाले शारदीय व चैत्र नवरात्र के मेले में लाँखों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम आता है। नेपाल के डांग जिले से आने वाली पीर रतन नाथ की यात्रा दोनों देशों के पौराणिक संबधों की आज भी पुष्टि करता है।
यहां देवीपाटन तीर्थ के निकट कुछ धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल भी है। जिनमें से सूर्यकुण्ड, करबान बाग, सिरिया नाला, धौर सिरी, भैरव मंदिर आदि प्रमुख है।

Conclusion:लगता है भव्य मेला, आते हैं श्रद्धालु :-

शारदीय और चैत्र नवरात्रि में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं, जिनकी अपनी अपनी मान्यताएं हैं। कोई माता के दर्शन के लिए आता है तो कोई अपनी मुरादे पूरी हो जाने के बाद माता को चढ़ावा चढ़ाने के लिए आता है। लेकिन मां दुर्गा के दरबार में जो भी आता है वह कभी खाली हाथ नहीं जाता।
यहां पर आसपास के जिलों के अलावा नेपाल राष्ट्र और आसपास के प्रदेशों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। रेल की सुविधा ने न केवल देवीपाटन शक्तिपीठ के पर्यटन को बढ़ावा दिया है। बल्कि श्रद्धालुओं को आवागमन में अब कोई मुश्किल भी नहीं होती। रेलवे स्टेशन मंदिर परिसर व अन्य धर्मशाला में श्रद्धालुओं के रुकने और ठहरने की विशेष व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार तमाम तरह के कदम देवीपाटन शक्तिपीठ के लिए उठा रही है। जो आने वाले दिनों में दिखाई देने शुरू हो जाएंगे। यहां पर लगने वाले दोनों नवरात्रों में मेले को राजकीय मेले का दर्जा दिया गया है। जिससे पुलिस व जिला प्रशासन भी अपनी तरह की तैयारियां कर के मेले को सफल सुरक्षित और विशेष बनाने की कवायद में लगा रहता है।

क्या कहते हैं महंत :-

मेले की तैयारियों के बारे में बात करते हुए देवीपाटन शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी बताते हैं कि राजकीय मेले के कारण न केवल मंदिर प्रशासन द्वारा बल्कि जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष तरह की व्यवस्था की जाती है। लाखों की संख्या में लगने वाली भीड़ को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे व पुलिस की व्यवस्था की गई है। सभी लोगों को हम सुरक्षा प्रदान कर सकें। इस लक्ष्य को देखते हुए हमने और पुलिस प्रशासन में कई तरह की व्यवस्थाएं लागू की है।
वीओ :- योगेंद्र त्रिपाठी, संवाददाता
बाईट 01 :- उमेश, श्रद्धालु,
बाईट 02 :- महंत मिथलेशनाथ योगी
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