बलरामपुर: भले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार लोगों के स्वास्थ्य को चिंतित नजर आ रही हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की कार्रवाई सवालिया निशान खड़े करने वाली है. बलरामपुर जिले में फर्जी वैक्सीनेशन का मामला प्रकाश में आया है. तहसील उतरौला क्षेत्र के बढ़या पकड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक ऐसी महिला को कोरोना की वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगा दी गयी, जो कि 2 महीने 24 दिन पहले ही मर चुकी थी. मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
आनन-फानन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच के लिए टीम गठित कर दी और इस टीम ने जांच करके रिपोर्ट भेज दी. जांच टीम के प्रभारी और जांच अधिकारी डॉ. अरुण कुमार ने स्वास्थ्य कर्मी की गंभीर गलती को मानवीय भूल करार दिया है. उतरौला तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़या पकड़ी में 28 अगस्त को राजपति नाम की महिला को कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लगायी गयी. वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र भी जारी किया गया. जबकि राजपति की मौत 4 जून 2021 को हो गयी थी. ऐसे में मौत के 2 महीने 24 दिन बाद वैक्सीनेशन वैक्सीनेशन कैसे संभव हो सकता है. यह एक बड़ा सवाल है.
मामला सुर्खियों में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और मामले की जांच के लिए टीम बनायी गयी और नया नगर के विशुनपुर फकीरापुर गांव भेजी गयी. जांच टीम के प्रभारी डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि एक ही मोबाइल नंबर पर चार लोगों का वैक्सीनेशन कराया गया है. इस कारण स्वर्गीय राजपति की जगह राम सवारी का वैक्सीनेशन किया गया. दोनों लोगों का वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है. इस गंभीर भूल को उन्होंने मानवीय भूल बताते हुए एएनएम सन्नी गुप्ता को अपनी तरफ से क्लीनचिट दे दी है.
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अब कार्रवाई मुख्य चिकित्साधिकारी के ऊपर निर्भर करती है कि वह इस फर्जीवाड़े को गंभीर भूल मानते हैं या मानवीय भूल मान कर मामले को रफा-दफा करते हैं. इस मामले में स्वर्गीय राजपति के भतीजे दीपक वर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा किया है. ऐसे पता नहीं कितने फर्जी वैक्सीनेशन हुए होंगे. अब देखना होगा कि मुख्य चिकित्साधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं.