बलरामपुर: जनपद के सदर शिक्षा क्षेत्र में पड़ने वाले प्राथमिक विद्यालय पहलवारा में नौनिहालों के पास पढ़ने के लिए स्कूल नहीं है. यहां 100 से अधिक बच्चे नामित हैं, लेकिन इनके पास इस मंदिर के अलावा पढ़ाई करने की कोई जगह नहीं है. इसलिए यहां पर मंदिर में कक्षाएं संचालित हो रही हैं.
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बोले नौनिहाल
नौनिहाल बताते हैं कि हम लोगों को यहां पर यदि विद्यालय भवन दे दिया जाए तो तमाम तरह की समस्याओं से खुद-ब-खुद छुटकारा मिल जाएगी. हमें स्कूल से असमय भागना नहीं पड़ेगा और न ही हमें किसी तरह की परेशानी होगी. बरसात के मौसम में हमारी पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है. हम थोड़ा बहुत भी नहीं पढ़ पाते.
क्या कहती हैं प्रधानाध्यापिका शैलजा सिंह
हमारे यहां विद्यालय भवन न होने के कारण बच्चों सहित शिक्षकों को भी तमाम तरह की परेशानियां होती हैं. खासकर बरसात और ठंडी के मौसम में हम अक्सर बीमार पड़ जाया करते हैं. पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से प्रभावित रहती है. हमने उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार इस बारे में पिछले कई सालों में सूचित किया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि मंदिर समिति हमें जमीन देने के लिए तैयार है.
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं
जिले के नगरीय क्षेत्रों में कुल 32 से स्कूल हैं, जिनके पास खुद का भवन नहीं है या पूरी तरह से जर्जर पड़ा हुए हैं. इन सभी विद्यालयों के भवनों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव भेजा जा चुका है. मुझे यकीन है कि आने वाले समय में प्रस्तावित विद्यालयों पर काम शुरू हो जाएगा. जहां तक रही प्राथमिक विद्यालय पहलवारा की बात तो अगर वहां पर किसी ने जमीन देने का प्रस्ताव भेजा है तो हम इसको संज्ञान में लेंगे. यदि इस विद्यालय को अभी तक कार्य योजना में नहीं शामिल किया गया है तो हम अपने ऑफिस से चेक करवाकर, इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करवाएंगे.
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हमने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और गरीबों के उत्थान के लिए मंदिर के जमीन के कुछ हिस्से का दान करने का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हम भी चाहते हैं कि हमारे बीच रहने वाले गरीबों के बच्चे पढ़ लिख जाए और उनका भविष्य संवर सके.
-अंजनी,मंदिर समिति के पदाधिकारी