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बलरामपुर: भगवान के दर पर नौनिहालों का भविष्य, मंदिर में चल रही कक्षाएं - बलरामपुर में मंदिर में चल रही कक्षांए

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता साफ तौर पर देखी जा सकती है. यहां के प्राथमिक विद्यालय पहलवारा में एक मंदिर में कक्षाएं चल रही हैं. इसलिए बच्चे मंदिर में पढ़ने को मजबूर हैं.

मंदिर में चल रही कक्षांए..
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Published : Oct 29, 2019, 5:02 AM IST

बलरामपुर: जनपद के सदर शिक्षा क्षेत्र में पड़ने वाले प्राथमिक विद्यालय पहलवारा में नौनिहालों के पास पढ़ने के लिए स्कूल नहीं है. यहां 100 से अधिक बच्चे नामित हैं, लेकिन इनके पास इस मंदिर के अलावा पढ़ाई करने की कोई जगह नहीं है. इसलिए यहां पर मंदिर में कक्षाएं संचालित हो रही हैं.

मंदिर परिसर में चल रही कक्षाएं.
मंदिर में चल रही कक्षांएजिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी के कार्यालय से महज कुछ किमी दूर पर ही एक मंदिर में कक्षांए संचालित हो रही हैं. यहां का प्राथमिक विद्यालय पहलवारा शुरुआत से ही खंडहर नुमा एक किराए के भवन में संचालित था. 2013 में हुई बरसात के दौरान यह भवन भी ढह गया. इसके बाद स्कूल को निकट ही स्थित मैदानी बाबा मंदिर में उच्च अधिकारियों ने इस संचालित करवा दिया, तब से लेकर आज तक विद्यालय मंदिर में ही संचालित किया जा रहा है. कभी बच्चे बरगद पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं तो कभी खुले आसमान के नीचे.

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बोले नौनिहाल

नौनिहाल बताते हैं कि हम लोगों को यहां पर यदि विद्यालय भवन दे दिया जाए तो तमाम तरह की समस्याओं से खुद-ब-खुद छुटकारा मिल जाएगी. हमें स्कूल से असमय भागना नहीं पड़ेगा और न ही हमें किसी तरह की परेशानी होगी. बरसात के मौसम में हमारी पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है. हम थोड़ा बहुत भी नहीं पढ़ पाते.


क्या कहती हैं प्रधानाध्यापिका शैलजा सिंह

हमारे यहां विद्यालय भवन न होने के कारण बच्चों सहित शिक्षकों को भी तमाम तरह की परेशानियां होती हैं. खासकर बरसात और ठंडी के मौसम में हम अक्सर बीमार पड़ जाया करते हैं. पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से प्रभावित रहती है. हमने उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार इस बारे में पिछले कई सालों में सूचित किया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि मंदिर समिति हमें जमीन देने के लिए तैयार है.

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं

जिले के नगरीय क्षेत्रों में कुल 32 से स्कूल हैं, जिनके पास खुद का भवन नहीं है या पूरी तरह से जर्जर पड़ा हुए हैं. इन सभी विद्यालयों के भवनों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव भेजा जा चुका है. मुझे यकीन है कि आने वाले समय में प्रस्तावित विद्यालयों पर काम शुरू हो जाएगा. जहां तक रही प्राथमिक विद्यालय पहलवारा की बात तो अगर वहां पर किसी ने जमीन देने का प्रस्ताव भेजा है तो हम इसको संज्ञान में लेंगे. यदि इस विद्यालय को अभी तक कार्य योजना में नहीं शामिल किया गया है तो हम अपने ऑफिस से चेक करवाकर, इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करवाएंगे.


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हमने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और गरीबों के उत्थान के लिए मंदिर के जमीन के कुछ हिस्से का दान करने का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हम भी चाहते हैं कि हमारे बीच रहने वाले गरीबों के बच्चे पढ़ लिख जाए और उनका भविष्य संवर सके.
-अंजनी,मंदिर समिति के पदाधिकारी

बलरामपुर: जनपद के सदर शिक्षा क्षेत्र में पड़ने वाले प्राथमिक विद्यालय पहलवारा में नौनिहालों के पास पढ़ने के लिए स्कूल नहीं है. यहां 100 से अधिक बच्चे नामित हैं, लेकिन इनके पास इस मंदिर के अलावा पढ़ाई करने की कोई जगह नहीं है. इसलिए यहां पर मंदिर में कक्षाएं संचालित हो रही हैं.

मंदिर परिसर में चल रही कक्षाएं.
मंदिर में चल रही कक्षांएजिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी के कार्यालय से महज कुछ किमी दूर पर ही एक मंदिर में कक्षांए संचालित हो रही हैं. यहां का प्राथमिक विद्यालय पहलवारा शुरुआत से ही खंडहर नुमा एक किराए के भवन में संचालित था. 2013 में हुई बरसात के दौरान यह भवन भी ढह गया. इसके बाद स्कूल को निकट ही स्थित मैदानी बाबा मंदिर में उच्च अधिकारियों ने इस संचालित करवा दिया, तब से लेकर आज तक विद्यालय मंदिर में ही संचालित किया जा रहा है. कभी बच्चे बरगद पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं तो कभी खुले आसमान के नीचे.

ये भी पढ़ें:-मुजफ्फरनगर: पटाखों की चिंगारी से सेनेटरी गोदाम में लगी आग, लाखों का नुकसान

बोले नौनिहाल

नौनिहाल बताते हैं कि हम लोगों को यहां पर यदि विद्यालय भवन दे दिया जाए तो तमाम तरह की समस्याओं से खुद-ब-खुद छुटकारा मिल जाएगी. हमें स्कूल से असमय भागना नहीं पड़ेगा और न ही हमें किसी तरह की परेशानी होगी. बरसात के मौसम में हमारी पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है. हम थोड़ा बहुत भी नहीं पढ़ पाते.


क्या कहती हैं प्रधानाध्यापिका शैलजा सिंह

हमारे यहां विद्यालय भवन न होने के कारण बच्चों सहित शिक्षकों को भी तमाम तरह की परेशानियां होती हैं. खासकर बरसात और ठंडी के मौसम में हम अक्सर बीमार पड़ जाया करते हैं. पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से प्रभावित रहती है. हमने उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार इस बारे में पिछले कई सालों में सूचित किया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि मंदिर समिति हमें जमीन देने के लिए तैयार है.

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं

जिले के नगरीय क्षेत्रों में कुल 32 से स्कूल हैं, जिनके पास खुद का भवन नहीं है या पूरी तरह से जर्जर पड़ा हुए हैं. इन सभी विद्यालयों के भवनों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव भेजा जा चुका है. मुझे यकीन है कि आने वाले समय में प्रस्तावित विद्यालयों पर काम शुरू हो जाएगा. जहां तक रही प्राथमिक विद्यालय पहलवारा की बात तो अगर वहां पर किसी ने जमीन देने का प्रस्ताव भेजा है तो हम इसको संज्ञान में लेंगे. यदि इस विद्यालय को अभी तक कार्य योजना में नहीं शामिल किया गया है तो हम अपने ऑफिस से चेक करवाकर, इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करवाएंगे.


ये भी पढ़ें:-आगरा: अन्नकूट की सब्जी खरीदने के लिए उमड़ी भीड़, भगवान को अर्पण कर किया जाता है सेवन

हमने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और गरीबों के उत्थान के लिए मंदिर के जमीन के कुछ हिस्से का दान करने का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हम भी चाहते हैं कि हमारे बीच रहने वाले गरीबों के बच्चे पढ़ लिख जाए और उनका भविष्य संवर सके.
-अंजनी,मंदिर समिति के पदाधिकारी

Intro:(यह विशेष ख़बर रैप के माध्यम से प्रेषित है। डेस्क के सहयोगी कृपया संज्ञान लें।)

एक तरफ योगी सरकार परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों पर नकेल कसकर उन्हें विद्यालयों में रोकने और उनकी रोज़ाना उपस्थित को बनाए रखने की कोशिश कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ इसी सरकार में हजारों विद्यालयों के खुद के भवन तक नहीं है। यहां पढ़ाई करने वाले नौनिहाल आज भी किसी के कृपा कारण अपनी पढ़ाई जारी रख पा रहे हैं।
भवन न होने की बानगी बलरामपुर के सदर शिक्षा क्षेत्र में पड़ने वाले प्राथमिक विद्यालय पहलवारा में साफ दिखाई देती है। यहां 100 से अधिक बच्चे नामित हैं लेकिन इनके पास इस मंदिर के अलावा पढ़ाई करने की कोई जगह नहीं है।Body:




जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी के कार्यालय से महज कुछ किमी दूर पर ही एक मंदिर में संचालित सदर शिक्षा का प्राथमिक विद्यालय पहलवारा शुरुआत से ही खंडहर नुमा एक किराए के भवन में संचालित था। 2013 में हुई बरसात के दौरान यह भवन भी ढह गया। इसके बाद स्कूल को निकट ही स्थित मैदानी बाबा मंदिर में उच्च अधिकारियों ने इस विद्यालय को संचालित करवा दिया। तब से लेकर आज तक विद्यालय मंदिर में ही संचालित किया जा रहा है। कभी बच्चों को बरगद पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं। तो कभी खुले आसमान के नीचे। मंदिर आने वाले श्रद्धालु कक्षाओं के बीच में ही पूजा-पाठ करते रहते हैं। लेकिन इस सब के बाद भी आजतक जिला बेसिक शिक्षा विभाग इन्हें भवन नहीं दिला सका।इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है बल्कि उनको सभी मौसमों में तमाम तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
इतना ही यहां नामांकित 100 से अधिक बच्चों के लिए संसाधनों के अभाव में स्कूल में मध्यान भोजन बनने में भी परेशानी होती है। बरसात के मौसम में अमूमन बच्चों की न तो पढ़ाई हो पाती है और न ही उन्हें मध्याहन भोजन मिल पाता है।

इस बारे में बात करते हुए पढ़ने वाले नौनिहाल बताते हैं कि हम लोगों को यहां पर यदि विद्यालय भवन दे दिया जाए तो तमाम तरह की समस्याओं से खुद-ब-खुद मेहताब मिल जाएगी। हमें स्कूल से असमय भागना नहीं पड़ेगा और ना ही हमें तरह की परेशानी होगी।
बच्चे बताते हैं कि बरसात के मौसम में हमारी पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जाए करते हैं हम थोड़ा बहुत भी नहीं पढ़ पाते बच्चों ने सुबह के मुख्य योगी आदित्यनाथ से मांग करते हुए कहा कि हमारे यहां पर स्कूल बनवा दिया जाए अगर हम लोगों को निजी बिल्डिंग मिल जाएगी तो हम लोग बेहतर पढ़ाई लिखाई कर सके।

इस बारे में बात करते हुए प्राथमिक विद्यालय पहलवारा की प्रधानाध्यापिका शैलजा सिंह बताती हैं कि हमारे यहां विद्यालय भवन न होने के कारण बच्चों सहित शिक्षकों को भी तमाम तरह की परेशानियां होती है। खासकर बरसात और ठंडी के मौसम में हम अक्सर बीमार पड़ जाए करते हैं। पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से प्रभावित रहती है।
वह कहती हैं कि हमने उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार इस बारे में पिछले कई सालों में सूचित किया है। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जबकि मंदिर समिति हमें जमीन देने के लिए तैयार है।

वहीं, मंदिर समिति के पदाधिकारी अंजनी बताती है कि हमने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और गरीबों के उत्थान के लिए मंदिर के जमीन के कुछ हिस्से का दान करने का प्रस्ताव भी दिया है। लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हम भी चाहते हैं कि हमारे बीच रहने वाले गरीबों के बच्चे पढ़ लिख जाए और उनका भविष्य संवर सके।Conclusion:वहीं, इस मामले में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं कि जिले के नगरीय क्षेत्रों में कुल 32 से स्कूल हैं जिनके पास खुद का भवन नहीं है या पूरी तरह से जर्जर पड़ा हुआ है। इन सभी विद्यालयों के भवनों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मुझे यकीन है कि आने वाले समय में प्रस्तावित विद्यालयों पर काम शुरू हो जाएगा।
वह कहते हैं कि जहां तक रही प्राथमिक विद्यालय पहलवारा की बात तो अगर वहां पर किसी ने जमीन देने का प्रस्ताव हभेजा है तो हम इसको संज्ञान में लेंगे। यदि इस विद्यालय को अभी तक कार्य योजना में नहीं शामिल किया गया है। तो हम अपने ऑफिस से चेक करवाकर, इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करवाएंगे।

Bite :-
01 :- अर्चना, पहली छात्रा
02 :- रश्मि, दूसरी छात्रा
03 :- शैलजा सिंह, प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय पहलवारा
04 :- अंजनी, पदाधिकारी मंदिर प्रबंधन समिति
05 :- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी बलरामपुर
(योगेंद्र त्रिपाठी, 9839325432)
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