बलरामपुर : कोरोना काल में अपने किस कदर पराए हो जाते हैं, यह जानना है तो बलरामपुर की इस घटना से बेशक समझा जा सकता है. /यहां कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव को महज चंद रुपये बचाने के लिए उसका अंतिम संस्कार न कर राप्ती नदी के पुल से नदी में फेंक दिया गया. पूरी घटना का वीडियो शोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. पुलिस ने पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि तीसरे की पुलिस अभी भी तलाश कर रही है.
राप्ती नदी में फेंका गया था कोविड पॉजिटिव शव
दरअसल, मामले का खुलासा एक वीडियो से हुआ जो सोशल मीडिया पर 29 मई को वायरल हुआ. इस वीडियो में दो शख्स जिसमें एक ने पीपीई किट पहन रखी थी जबकि दूसरे ने नहीं पहनी थी, एक शव को राप्ती नदी के पुल से नदी में फेंकते नजर आए. पूरी घटना का वीडियो एक कार सवार ने बनाया था जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
प्रशासन में मचा हड़कंप
वीडियो वायरल होने के बाद जब प्रशासन में हड़कंप मचा तो वीडियो की जांच शुरू हुई. इस जांच में पता चला कि जिस व्यक्ति का शव राप्ती नदी में फेंका गया, दरअसल वह शोहरतगढ़ जनपद सिद्धार्थनगर का रहने वाला था. उसका नाम प्रेम नाथ मिश्रा था.
नहीं है कोई परिवार वाला, रहते हैं बाहर
प्रेम नाथ मिश्रा के परिवार में उनका एक भाई है जो मुंबई में अपने परिवार के साथ रहता है. प्रेम नाथ के माता-पिता की मौत काफी अरसे पहले हो चुकी थी. उनकी पत्नी भी 3 साल पहले उनका साथ छोड़कर स्वर्ग सिधार चुकी थी. प्रेम नाथ को कोई औलाद न थी. इसी बीच प्रेम नाथ अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और दिमागी तौर पर कमजोर हो गए.
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भतीजे के आया था घर
लॉकडाउन और कोरोना से ऊबकर प्रेमनाथ ने बलरामपुर अपने भतीजे संजय शुक्ला के घर पर रहने का फैसला किया. उन्हीं के घर पर आकर रहने लगे.
25 मई को किया गया था भर्ती
बीते 25 मई को इनकी हालत बिगड़ गई. इनके भतीजे संजय शुक्ला ने इन्हें जिला अस्पताल में एडमिट कराया जहां जांच के दौरान इनकी रिपोर्ट कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी.
28 को हुई थी प्रेम नाथ की मौत
इसके बाद इन्हें जिले के संयुक्त चिकित्सालय में एल 2 वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. 3 दिनों तक इलाज चलने के बाद 28 मई को इनकी मौत हो गई. मौत की सूचना जब इनके रिश्तेदार संजय शुक्ला को दी गई तो उन्होंने 28 मई को शव लेने से मना कर दिया. दूसरे दिन शव लेने की बात कही.
सफाईकर्मी और डोम को दिए पैसे
इस दौरान कोरोना का डर कहें या रुपयों की बचत की मंशा, संजय शुक्ला ने मृतक का अंतिम संस्कार न करने का फैसला किया. एक प्राइवेट सफाई कर्मी मनोज को 1500 रुपये में और राप्ती श्मशान घाट पर काम करने वाले चंद्र प्रकाश पुत्र जियालाल को 1000 रुपये में शव को जल प्रवाहित करने के लिए राजी कर लिया.
भतीजा शव को करवाना चाहता था जल प्रवाहित
पुलिस के मुताबिक मृतक का रिश्तेदार शव को राप्ती नदी के घाट पर 'जलप्रवाहित' कराना चाहता था. लेकिन, जब वह राप्ती पुल के नीचे खड़ा था, तभी दोनों ने मिलकर भारी बरसात के बीच शव के साथ भारी पत्थर बांधा और फिर पुल से नीचे नदी में गिरा दिया. इस पर संजय शुक्ला काफी नाराज भी हुआ. लेकिन शव नदी में जाने के बाद वह वापस लौट आया.
कार वाले ने बनाया वीडियो
उसी वक्त वहां से गुजर रहे एक कार सवार ने इसका वीडियो बना लिया. यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसी कारण पूरे मामले का खुलासा हो सका.
पुलिस कर रही छानबीन
पुलिस ने गहन छानबीन करते हुए मृतक के भतीजे संजय शुक्ला व प्राइवेट सफाई कर्मी मनोज को गिरफ्तार कर लिया है. श्मशान घाट पर काम करने वाला चंद्रप्रकाश अभी फरार है. इन सभी पर पुलिस ने महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस वीडियो बनाने वाले व्यक्ति की भी तलाश कर रही है.