बलरामपुर : गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, लेकिन इसके साथ ही प्रशासन की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. फायर बिग्रेड की जिम्मेदारी होती है सूचना मिलने के बाद, तत्काल मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने का. लेकिन बलरामपुर जिले के लोग यहां की फायर बिग्रेड पर लापरवाही का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना था कि घटना के घंटों बीत जाने के बाद भी फायर बिग्रेड की टीम मौके पर नहीं पहुंचती है. दूसरी तरफ आंकड़ों पर गौर किया जाय तो जिला दमकल विभाग में संसाधनों का आभाव नजर आता है.
'लापरवाह है जिले की फायर सेवा'
जिले के हर्रैया सतघरवा के रहने वाले अनिल ने अपना दर्द बयां किया, उनका कहना था- "हमारे यहां अज्ञात कारणों से आग लग गयी. दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद गांव में लगी आग पर काबू पाया जा सका. कई घर जल गए. कई मवेशी भी आग में झुलस गए. घर में कुछ बचा नहीं. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग बुझाने के बाद पहुंच सकी." अनिल आगे कहते हैं- "मुआवजे की राशि तो दे दी गयी. लेकिन कोई बड़ा अधिकारी घटना के आकलन या जायजा लेने के लिए यहां तक नहीं आया. हर साल आग लगती है. लेकिन उसके लिए फायर डिपार्टमेंट और जिला प्रशासन की तैयारी लगभग ना के बराबर है. इस समय हमारे सामने कई बड़ी समस्याएं खड़ी होती हैं"
व्यवस्था पर खड़े होते सवाल
अनिल जैसे पीड़ितों की कहानी, इस बात की तस्दीक कर देती है कि जिले के गठन के 23 वर्षों बाद भी, बलरामपुर इस तरह अति आवश्यक सेवाओं में भी फिसड्डी है. जिले के दूरदराज इलाकों में पड़ने वाले थानों में व्यवस्था के नाम पर आम जनता को केवल ठगा जा रहा है. आग लगने के कई घंटों बाद भी फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का घटना स्थल पर ना पहुंच पाना, वाकई में जिले की व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.
हालात बयान करते हैं आंकड़ें
बलरामपुर में हर साल आग लगने की छोटी घटनाओं को दरकिनार कर दिया जाए तो 50 घटनाएं होती हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर पशु हानि होती है. इसके साथ ही लोगों के घर बार और फसलें जल जाया करती हैं. कई जगहों पर तो समस्या इतनी विकट हो जाती है कि लोगों के पास खाने तक की व्यवस्था नहीं होती है. फिर भी जिले में एक अस्थाई फायर स्टेशन है. जिले के पास तीन बड़ी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हैं, जिनमें से दो बलरामपुर मुख्यालय पर रहती हैं और एक तुलसीपुर में रहती है. जबकि दो छोटी गाड़ियां हैं, जिनमें से एक कस्बा उतरौला में रहती है व एक बोलेरो कैंपर है, जिसके जरिए आग बुझाने की कोशिश की जाती है.
23 साल में भी नहीं सुधरी व्यवस्था
बलरामपुर जिले का गठन हुए 23 साल बीत चुके हैं, लेकिन यहां पर अभी भी स्थाई फायर स्टेशन नहीं है. जिले के तीन तहसीलों और चार नगर मुख्यालयों पर फायर स्टेशन स्थापित करने की कवायद शुरू की गई, लेकिन वह योजना परवान नहीं चढ़ सकी है.
नहीं बन सका फायर स्टेशन
तुलसीपुर और पचपेड़वा में जिला प्रशासन फायर स्टेशन के लिए जमीन तक नहीं उपलब्ध करवा सका है. उतरौला के गैंडास बुजुर्ग में एक फायर स्टेशन निर्माणाधीन है, जिसकी आधारशिला अखिलेश सरकार के तीसरे वर्ष में रखी गई थी.
कर्मियों की नितांत कमी
बलरामपुर जिले में फायर कर्मियों की भी नितांत कमी है. कई साल बीत चुका है, लेकिन अभी तक यहां पर चीफ फायर ऑफिसर की तैनाती तक नहीं की जा सकी है. एक सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के जरिए पूरा डिपार्टमेंट चलाया जा रहा है. फायरमैन व अन्य कर्मियों की बात की जाए तो उनकी भी नितांत कमी है. महज 50 फीसदी कर्मियों की संख्या के साथ जिले की 25 लाख की आबादी को सुरक्षित महसूस कराने का दावा किया जाता है.
कुल 49 घटनाएं हुई
जिले में अज्ञात कारणों से आग लगने की 49 घटनाएं हुईं. हालांकि इन 49 घटनाओं में किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई. लेकिन इन घटनाओं में तमाम ऐसे बेजुबानों की जान चली गई, जो ना तो लोगों से मदद मांग सके और ना ही खुद भागकर अपनी जान बचा सके. क्योंकि वह एक खूंटे से बंधे थे, और ऐसे ही जलकर दम तोड़ दिया.
क्या बोले सीओ फायर
पूरे मामले पर सीओ फायर अतिरिक्त प्रभार देख रहे कुंवर प्रभात सिंह बताते हैं कि जिले में आग की घटनाओं से निपटने के लिए हमारे पास 3 बड़े फायर टेंडर्स हैं और दो छोटे फायर टेंडर है. इसके अलावा हमारे पास एक बोलेरो कैंपर है, जो जगह-जगह जाकर आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए उसका उपयोग किया जाता है. वहीं, डिपार्टमेंट की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सीओ ने बताया कि जिले के तीन स्थानों पर फायर स्टेशन बनाने का कार्य चल रहा है. जिसमें उतरौला के फायर स्टेशन का कार्य पूरा हो चुका है. बलरामपुर व तुलसीपुर फायर स्टेशन के काम के लिए प्रपोजल भेज दिया गया है. उसकी संस्तुति होते ही उसका कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा.
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क्या बोले अपर जिलाधिकारी
जिले की फायर ब्रिगेड व्यवस्था पर बात करते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरुण कुमार शुक्ला कहते हैं कि जिले में पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. कहीं भी आग लगने पर उसे बुझाने का प्रयास किया जाता है. यदि कोई जनहानि होती है या घर जलने की सूचना प्राप्त होती है तो उसका आकलन कर, उसे आर्थिक लाभ पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया जाता है.