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नीरज शेखर का पिता की विरासत के साथ सपा से भाजपा तक का सफर ! - सपा-बसपा गठबंधन

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने भाजपा का दामन थाम लिया है. लगातार दो लोकसभा चुनावों में मनमाफिक नतीजे न मिलने के बाद उनके भगवा खेमे में जाने के कयास लगाए जा रहे थे. यूपी के बलिया लोकसभा सीट से सांसद रहे नीरज अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका राजनीतिक कैरियर काफी मिला-जुला रहा है.

सपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए नीरज शेखर.
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Published : Jul 16, 2019, 11:49 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: पूर्वांचल की राजनीति में बलिया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की लोकसभा सीट रही है. 8 जुलाई 2007 को युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हो गई. इसके बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे नीरज शेखर को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और 29 दिसंबर 2007 को वे पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. सपा से राजनीति का सफर शुरू करने वाले नीरज ने भाजपा का दामन थाम लिया है. उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही है.

पूर्व प्रधानंत्री चंद्रशेखर के बेट नीरज शेखर का राजनीतिक सफर.

पिता की विरासत को बढ़ाया आगे नीरज शेखर का जन्म 10 नवंबर 1968 को बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में हुआ था. पिता शुरू से ही समाजवाद के चिंतक रहे और बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद नीरज शेखर को उनके राजनीतिक विरासत के रूप में देखा जाने लगा. समाजवादी पार्टी ने बलिया लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया. इस उपचुनाव में नीरज शेखर ने बहुजन समाज पार्टी के विनय शंकर तिवारी को एक लाख 31 हजार 286 मतों से हराते हुए पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और संसद में पहुंचे. इस तरह से उनके राजनीतिक जीवन की यात्रा शुरु हुई.

लगातार दूसरी बार तय किया संसद का रास्ता
साल 2009 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर पर भरोसा किया और बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. इस बार भी नीरज शेखर अपने सरल स्वभाव के कारण जनता का दिल जीत सांसद चुन लिए गए. नीरज शेखर ने इस चुनाव में 40.82 फ़ीसदी वोट पाकर बहुजन समाज पार्टी के संग्राम सिंह यादव को 72 हजार 555 मतों के अंतर से हराया था.

मोदी लहर में नहीं बचा पाए पुश्तैनी सीट
2014 में सपा ने पुनः पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे को बलिया से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा लेकिन मोदी लहर में नीरज शेखर चुनाव हार गए. बलिया के इतिहास में पहली बार कमल खिलाने का श्रेय भरत सिंह को मिला. इस चुनाव में भाजपा के लिए पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सीट जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा. भाजपा के भरत सिंह ने समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर को 1 लाख 39 हजार 434 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे नीरज शेखर को मोदी लहर में शिकस्त खानी पड़ी. इसके बावजूद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का भरोसा नीरज पर बना रहा और उन्हें राज्यसभा भेजा गया.

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नीरज शेखर ने थामा भाजपा का दामन.

सपा-बसपा गठबंधन के बीच पिसे नीरज 2019 तक समाजवादी पार्टी में परिवर्तन भी हो चुका था और सपा की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में आ चुकी थी. 2019 के लोकसभा में समाजवादी पार्टी ने अपने चिर प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. बलिया लोकसभा सीट पर नामांकन के 1 दिन पहले तक गहन मंथन के बाद समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर की जगह पूर्व विधायक सनातन पांडे पर भरोसा जताया और बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा.

लाल टोपी उतार भगवा खेमे का किया रुख 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी के एक्स फैक्टर के आगे राजनीतिक पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी. यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में भाजपा की ऐसी लहर आई कि भाजपा और सहयोगी दलों ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. इसके साथ ही बलिया में भी लगातार दूसरी बार भाजपा ने जीत दर्ज की. इस बार जीत का सेहरा वीरेंद्र सिंह मस्त के सिर पर सजा. उन्होंने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को हराकर पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सीट पर कब्जा कर लिया. इस चुनाव में टिकट कटने के बाद से ही नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. आखिरकार 16 जुलाई को नीरज शेखर ने समाजवादी झंडे को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया.

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बलिया से दो बार सांसद रहे हैं नीरज शेखर.

उनके समर्थकों के बीच उत्साह नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने पर उनके समर्थक भी उनके साथ भाजपा में जाने की बात कह रहे हैं. विशुनपुरा गांव के प्रधान रामजी यादव ने बताया कि नीरज शेखर जिस पार्टी में जाएंगे हम लोग उनके साथ हैं. जिस दिन नीरज शेखर बलिया आएंगे उनका स्वागत किया जाएगा और करीब 15 गांव के प्रधान और बीडीसी सदस्य उनके साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे.

बलिया: पूर्वांचल की राजनीति में बलिया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की लोकसभा सीट रही है. 8 जुलाई 2007 को युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हो गई. इसके बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे नीरज शेखर को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और 29 दिसंबर 2007 को वे पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. सपा से राजनीति का सफर शुरू करने वाले नीरज ने भाजपा का दामन थाम लिया है. उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही है.

पूर्व प्रधानंत्री चंद्रशेखर के बेट नीरज शेखर का राजनीतिक सफर.

पिता की विरासत को बढ़ाया आगे नीरज शेखर का जन्म 10 नवंबर 1968 को बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में हुआ था. पिता शुरू से ही समाजवाद के चिंतक रहे और बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद नीरज शेखर को उनके राजनीतिक विरासत के रूप में देखा जाने लगा. समाजवादी पार्टी ने बलिया लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया. इस उपचुनाव में नीरज शेखर ने बहुजन समाज पार्टी के विनय शंकर तिवारी को एक लाख 31 हजार 286 मतों से हराते हुए पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और संसद में पहुंचे. इस तरह से उनके राजनीतिक जीवन की यात्रा शुरु हुई.

लगातार दूसरी बार तय किया संसद का रास्ता
साल 2009 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर पर भरोसा किया और बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. इस बार भी नीरज शेखर अपने सरल स्वभाव के कारण जनता का दिल जीत सांसद चुन लिए गए. नीरज शेखर ने इस चुनाव में 40.82 फ़ीसदी वोट पाकर बहुजन समाज पार्टी के संग्राम सिंह यादव को 72 हजार 555 मतों के अंतर से हराया था.

मोदी लहर में नहीं बचा पाए पुश्तैनी सीट
2014 में सपा ने पुनः पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे को बलिया से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा लेकिन मोदी लहर में नीरज शेखर चुनाव हार गए. बलिया के इतिहास में पहली बार कमल खिलाने का श्रेय भरत सिंह को मिला. इस चुनाव में भाजपा के लिए पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सीट जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा. भाजपा के भरत सिंह ने समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर को 1 लाख 39 हजार 434 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे नीरज शेखर को मोदी लहर में शिकस्त खानी पड़ी. इसके बावजूद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का भरोसा नीरज पर बना रहा और उन्हें राज्यसभा भेजा गया.

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नीरज शेखर ने थामा भाजपा का दामन.

सपा-बसपा गठबंधन के बीच पिसे नीरज 2019 तक समाजवादी पार्टी में परिवर्तन भी हो चुका था और सपा की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में आ चुकी थी. 2019 के लोकसभा में समाजवादी पार्टी ने अपने चिर प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. बलिया लोकसभा सीट पर नामांकन के 1 दिन पहले तक गहन मंथन के बाद समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर की जगह पूर्व विधायक सनातन पांडे पर भरोसा जताया और बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा.

लाल टोपी उतार भगवा खेमे का किया रुख 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी के एक्स फैक्टर के आगे राजनीतिक पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी. यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में भाजपा की ऐसी लहर आई कि भाजपा और सहयोगी दलों ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. इसके साथ ही बलिया में भी लगातार दूसरी बार भाजपा ने जीत दर्ज की. इस बार जीत का सेहरा वीरेंद्र सिंह मस्त के सिर पर सजा. उन्होंने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को हराकर पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सीट पर कब्जा कर लिया. इस चुनाव में टिकट कटने के बाद से ही नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. आखिरकार 16 जुलाई को नीरज शेखर ने समाजवादी झंडे को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया.

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बलिया से दो बार सांसद रहे हैं नीरज शेखर.

उनके समर्थकों के बीच उत्साह नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने पर उनके समर्थक भी उनके साथ भाजपा में जाने की बात कह रहे हैं. विशुनपुरा गांव के प्रधान रामजी यादव ने बताया कि नीरज शेखर जिस पार्टी में जाएंगे हम लोग उनके साथ हैं. जिस दिन नीरज शेखर बलिया आएंगे उनका स्वागत किया जाएगा और करीब 15 गांव के प्रधान और बीडीसी सदस्य उनके साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे.

Intro:बलिया

पूर्वांचल की राजनीति में बलिया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की लोकसभा सीट रही है 8 जुलाई 2007 को युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई जिसके बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे नीरज शेखर को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और 29 दिसंबर 2007 को पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे

नीरज शेखर का जन्म 10 नवंबर 1968 को बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में हुआ था पिता शुरू से ही समाजवाद के चिंतक रहे और बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद नीरज शेखर को उनके राजनीतिक विरासत के रूप में देखा जाने लगा और समाजवादी पार्टी ने बलिया लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें चुनावी मैदान में उतारा इस उपचुनाव में नीरज शेखर ने बहुजन समाज पार्टी के विनय शंकर तिवारी को 131286 मतों से हराते हुए पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और संसद में पहुंचे




Body:इसके बाद 2009 में एक बार फिर समाजबादी पार्टी ने नीरज शेखर पर भरोसा किया और बलिया लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया। इस बार भी नीरज शेखर अपने सरल स्वभाव के कारण जनता का दिल जीत सांसद चुने गए। नीरज शेखर ने इस चुनाव में 40.82 फ़ीसदी वोट पाकर बहुजन समाज पार्टी के संग्राम सिंह यादव को 72555 मतों के अंतर से हराया


2014 में सपा ने पुनः पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे को बलिया से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा लेकिन मोदी लहर में नीरज शेखर चनाव हार गए और बलिया के इतिहास में पहली बार कमल खिलाने का श्रेय भरत सिंह को मिला। 

इस चुनाव में भाजपा के लिए पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सीट जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा भाजपा के भरत सिंह ने समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर को 139434 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे नीरज शेखर को मोदी लहर में शिकस्त खानी पड़ी बावजूद इसके सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का भरोसा नीरज पर बना रहा और उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया।


2019 तक समाजवादी पार्टी में परिवर्तन भी हो चुका था और सपा की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में पहुंच चुकी थी 2019 के लोकसभा में समाजवादी पार्टी ने अपने चीर प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया बलिया लोकसभा सीट पर नामांकन की 1 दिन पहले तक गहन मंथन के बाद समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर की जगह पूर्व विधायक सनातन पांडे पर भरोसा जताया और बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा

2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी के एक्स फैक्टर के आगे राजनीतिक पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में भाजपा की ऐसी लहर आई कि देश में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार भाजपा और सहयोगी दलों ने मिलकर बनाई

इसके साथ ही बलिया में भी लगातार दूसरी बार भाजपा ने जीत दर्ज की इस बार जीत का सेहरा वीरेंद्र सिंह मस्त के सिर पर सजा उन्होंने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को हराकर पूर्व पीएम चंद्रशेखर की माने जाने वाली सीट पर कब्जा कर लिया


2019 के लोकसभा में टिकट कटने के बाद से ही नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थी और आखिरकार 16 जुलाई को नीरज शेखर ने समाजवादी झंडे को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया।







Conclusion:नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने पर उनके समर्थक भी उनके साथ भाजपा में जाने की बात कह रहे है। बिशनपुरा गांव के प्रधान रामजी यादव ने बताया कि नीरज शेखर जहां जिस पार्टी में जाएंगे हम लोग उनके साथ हैं जिस दिन अवश्य कर बली आएंगे उनका स्वागत किया जाएगा और करीब 15 गांव के प्रधान और बीडीसी सदस्य उनके साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे

बाइट--रामजी यादव---प्रधान विशुनपुरा

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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