बलिया: जिले में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. कोरोना संक्रमित एक महिला का शव एंबुलेंस में बदल गया, जिससे परिजन हैरान रह गए. परिजन डेड बॉडी के बदल जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई. उल्टा डिप्टी सीएमओ ने परिजनों को ही शव के साथ एंबुलेंस में न आने को लेकर फटकार लगाई. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कैमरे पर बोलने से कतरा रहे हैं.
कुछ दिनों पहले नगरा थाना क्षेत्र के सरैया गांव की महिला सुभावती देवी की तबीयत खराब हुई थी, जिसके बाद परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए और 1 तारीख को उसे आजमगढ़ रेफर कर दिया गया, जहां उसकी तबीयत खराब हुई और उसने 2 तारीख को देर रात को दम तोड़ दिया.
आजमगढ़ से चिकित्सकों ने मृतिका के परिजनों को शव ले जाने के लिए कहा. परिजन 3 तारीख को आजमगढ़ पहुंचे. मेडिकल कॉलेज आजमगढ़ से दो कोरोना मृत महिलाओं के शव एक ही एंबुलेंस में रखकर बलिया के लिए भेजा दिया गया.
मृत महिला के पति श्रीकृष्ण चौहान का कहना है कि रास्ते में एंबुलेंस के ड्राइवर ने एक शव को मृत महिला के परिजनों को सौंप दिया और दूसरे शव को लेकर जिला अस्पताल पहुंच गया. हम लोग जब अस्पताल पहुंचे, तो देखा कि यह शव मेरी पत्नी का नहीं है, जिसके बाद मैंने अस्पताल में इसकी जानकारी दी. परिजनों ने पुलिस को भी इसकी सूचना दी. श्रीकृष्ण का कहना है कि डिप्टी सीएमओ डॉक्टर हरिनंदन मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने उल्टा हम ही लोगों को फटकार लगाना शुरू कर कर दिया कि शव वाले वाहन में आप लोगों में से कोई बैठा क्यों नहीं?
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने आने से बच रहा है. फिलहाल पीड़ित परिजन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण अपने घर चले गए, जहां उन्होंने एक पुतला तैयार कर उसका हिंदू रीति-रिवाज से दाह संस्कार किया.