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घायल मासूम इलाज के लिए तड़पता रहा, डॉक्टरों पर नहीं पड़ा कोई फर्क - CMS

एक 5 साल का मासूम 3 घंटे तक इलाज के लिये तड़पता रहा लेकिन किसी डॉक्टर ने उसकी सुध नहीं ली. घटना के दौरान उसका एक पैर पूरी तरह कट गया जबकि दूसरा पैर और हाथ भी बुरी तरह जख्मी था. घटना बांसडीह थाना इलाके की है जहां तेज रफ्तार ट्रक ने मासूम को रौंद दिया था.

बलिया जिला अस्पताल
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Published : Feb 5, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST

बलिया : जिले में डॉक्टरों की संवेदनहीनता का एक बड़ा मामला सामने आया है. सड़क दुर्घटना में जख्मी हुए एक 5 साल के मासूम को डॉक्टर ने 3 घंटे तक इलाज के लिए तड़पाते रहे. बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि घटना के दौरान नहीं उसका एक पैर पूरी तरह कट गया जबकि दूसरा पैर और हाथ भी बुरी तरह जख्मी था. इतना ही नही जिला अस्पताल की एक बेड पर बच्चा और उसका कटा हुआ पैर पड़ा रहा. इस बीच डॉक्टर और स्टाफ आते जाते लेकिन घंटों इलाज शुरू नहीं हो सका. लगभग 3 घंटे तक मासूम जख्मी हालत में तड़पता रहा बाद में चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक इलाज कर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया.

बलिया जिला अस्पताल

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घटना बांसडीह थाना इलाके का है जहां 5 साल का मासूम घर के बाहर खेल रहा था तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसे रौंद दिया. जिससे मासूम शिवम का एक पैर पूरी तरह कट गया और दूसरा पैर और एक हाथ गंभीर रूप से जख्मी हो गया. आनन-फानन में स्थानीय लोगों और परिवार के सदस्यों ने उसे जिला अस्पताल ले गए मासूम की मां सीमा के अनुसार अस्पताल आने के बाद भी काफी देर तक कोई भी डॉक्टर या वार्ड ब्वॉय सुध लेने तक नहीं आया. इसके बाद अस्पताल में मौजूद अन्य तीमारदार ओं ने जब मासूम की नाजुक हालत देख आला अधिकारियों को फोन किया तब करीब 3 घंटे बाद मासूम का इलाज शुरू हो पाया.

अस्पताल में मौजूद एक अन्य तीमारदार ने मौजूदा हालात को देखते हुए आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी तब जाकर करीब 5:00 बजे मासूम का इलाज शुरू हो पाया. प्रत्यक्षदर्शी दीपक सिंह के अनुसार घायल अवस्था में इस मासूम को ऑटो से अस्पताल में लाया गया. उसके बाद अस्पताल का ना कोई वार्ड बॉय और ना ही कोई डॉक्टर मासूम की ड्रेसिंग करने की जहमत उठाई काफी देर तक मासूम और उसका परिवार लोहे से गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने इलाज करने की जिम्मेदारी नहीं उठाई.


3 घंटे बाद अस्पताल पहुंचे सीएमएस को बांसडीह क्षेत्र के ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने घेर लिया और इलाज में लापरवाही करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की सीएमएस शिवप्रसाद ने बताया कि जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी हुई वह फौरन अस्पताल पहुंचे और चिकित्सा व्यवस्था को देखा उन्होंने कहा कि प्राथमिक इलाज कर दिया गया था और विशेषज्ञ को बुलाया गया था हो सकता है विशेषज्ञ के आने में कुछ देरी हुई हो.

बलिया जिला अस्पताल में डॉक्टरों की जो संवेदनहीनता देखने को मिली उससे साफ लगता है कि धरती के भगवान कहलाने वाले यह डॉक्टर कभी कभी अपने जिम्मेदारियों से इस कदर पीछे हटने लगते हैं जिससे किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है.

बलिया : जिले में डॉक्टरों की संवेदनहीनता का एक बड़ा मामला सामने आया है. सड़क दुर्घटना में जख्मी हुए एक 5 साल के मासूम को डॉक्टर ने 3 घंटे तक इलाज के लिए तड़पाते रहे. बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि घटना के दौरान नहीं उसका एक पैर पूरी तरह कट गया जबकि दूसरा पैर और हाथ भी बुरी तरह जख्मी था. इतना ही नही जिला अस्पताल की एक बेड पर बच्चा और उसका कटा हुआ पैर पड़ा रहा. इस बीच डॉक्टर और स्टाफ आते जाते लेकिन घंटों इलाज शुरू नहीं हो सका. लगभग 3 घंटे तक मासूम जख्मी हालत में तड़पता रहा बाद में चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक इलाज कर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया.

बलिया जिला अस्पताल

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घटना बांसडीह थाना इलाके का है जहां 5 साल का मासूम घर के बाहर खेल रहा था तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसे रौंद दिया. जिससे मासूम शिवम का एक पैर पूरी तरह कट गया और दूसरा पैर और एक हाथ गंभीर रूप से जख्मी हो गया. आनन-फानन में स्थानीय लोगों और परिवार के सदस्यों ने उसे जिला अस्पताल ले गए मासूम की मां सीमा के अनुसार अस्पताल आने के बाद भी काफी देर तक कोई भी डॉक्टर या वार्ड ब्वॉय सुध लेने तक नहीं आया. इसके बाद अस्पताल में मौजूद अन्य तीमारदार ओं ने जब मासूम की नाजुक हालत देख आला अधिकारियों को फोन किया तब करीब 3 घंटे बाद मासूम का इलाज शुरू हो पाया.

अस्पताल में मौजूद एक अन्य तीमारदार ने मौजूदा हालात को देखते हुए आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी तब जाकर करीब 5:00 बजे मासूम का इलाज शुरू हो पाया. प्रत्यक्षदर्शी दीपक सिंह के अनुसार घायल अवस्था में इस मासूम को ऑटो से अस्पताल में लाया गया. उसके बाद अस्पताल का ना कोई वार्ड बॉय और ना ही कोई डॉक्टर मासूम की ड्रेसिंग करने की जहमत उठाई काफी देर तक मासूम और उसका परिवार लोहे से गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने इलाज करने की जिम्मेदारी नहीं उठाई.


3 घंटे बाद अस्पताल पहुंचे सीएमएस को बांसडीह क्षेत्र के ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने घेर लिया और इलाज में लापरवाही करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की सीएमएस शिवप्रसाद ने बताया कि जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी हुई वह फौरन अस्पताल पहुंचे और चिकित्सा व्यवस्था को देखा उन्होंने कहा कि प्राथमिक इलाज कर दिया गया था और विशेषज्ञ को बुलाया गया था हो सकता है विशेषज्ञ के आने में कुछ देरी हुई हो.

बलिया जिला अस्पताल में डॉक्टरों की जो संवेदनहीनता देखने को मिली उससे साफ लगता है कि धरती के भगवान कहलाने वाले यह डॉक्टर कभी कभी अपने जिम्मेदारियों से इस कदर पीछे हटने लगते हैं जिससे किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
Intro:बलिया
जिले में डॉक्टरों की संवेदनहीनता का एक बड़ा मामला सामने आया है। सड़क दुर्घटना में जख्मी हुए एक 5 साल के मासूम को डॉक्टर ने 3 घंटे तक इलाज के लिए तड़पाते रहे। बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि घटना के दौरान नहीं उसका एक पैर पूरी तरह कट गया जबकि दूसरा पैर और हाथ भी बुरी तरह जख्मी था।इतना ही नही जिला अस्पताल की एक बेड पर बच्चा और उसका कटा हुआ पैर पड़ा रहा।इस बीच डॉक्टर और स्टाफ आते जाते लेकिन घंटों इलाज शुरू नहीं हो सका।लगभग 3 घंटे तक मासूम जख्मी हालत में तड़पता रहा बाद में चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक इलाज कर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया।


Body:घटना बांसडीह थाना इलाके का है जहां 5 साल का मासूम घर के बाहर खेल रहा था तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसे रौंद दिया जिससे मासूम शिवम का एक पैर पूरी तरह कट गया और दूसरा पैर और एक हाथ गंभीर रूप से जख्मी हो गया आनन-फानन में स्थानीय लोगों और परिवार के सदस्यों ने उसे जिला अस्पताल ले गए मासूम की मां सीमा के अनुसार अस्पताल आने के बाद भी काफी देर तक कोई भी डॉक्टर या वार्ड ब्वॉय सुध लेने तक नहीं आया इसके बाद अस्पताल में मौजूद अन्य तीमारदार ओं ने जब मासूम की नाजुक हालत देख आला अधिकारियों को फोन किया तब करीब 3 घंटे बाद मासूम का इलाज शुरू हो पाया।

बाइट1---सीमा----घायल की माँ

अस्पताल में मौजूद एक अन्य तीमारदार ने मौजूदा हालात को देखते हुए आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी तब जाकर करीब 5:00 बजे मासूम का इलाज शुरू हो पाया प्रत्यक्षदर्शी दीपक सिंह के अनुसार घायल अवस्था में इस मासूम को ऑटो से अस्पताल में लाया गया उसके बाद अस्पताल का ना कोई वार्ड बॉय और ना ही कोई डॉक्टर मासूम की ड्रेसिंग करने की जहमत उठाई काफी देर तक मासूम और उसका परिवार लोहे से गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने इलाज करने की जिम्मेदारी नहीं उठाई।

बाइट2---दीपक सिंह-----प्रत्यक्षदर्शी

3 घंटे बाद अस्पताल पहुंचे सीएमएस को बांसडीह क्षेत्र के ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने घेर लिया और इलाज में लापरवाही करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की सीएमएस शिवप्रसाद ने बताया कि जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी हुई वह फौरन अस्पताल पहुंचे और चिकित्सा व्यवस्था को देखा उन्होंने कहा कि प्राथमिक इलाज कर दिया गया था और विशेषज्ञ को बुलाया गया था हो सकता है विशेषज्ञ के आने में कुछ देरी हुई हो।

बाइट3---शिव प्रसाद----सीएमएस,जिला अस्पताल


Conclusion:बलिया जिला अस्पताल में डॉक्टरों की जो संवेदनहीनता देखने को मिली उससे साफ लगता है कि धरती के भगवान कहलाने वाले यह डॉक्टर कभी कभी अपने जिम्मेदारियों से इस कदर पीछे हटने लगते हैं जिससे किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST
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